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असम में भाजपा के चाणक्य हैं हेमन्त, चुनाव आयोग ने दे दिया तगड़ा झटका

चुनाव आयोग ने ये कार्रवाई सरमा द्वारा नेता हाग्रामा मोहिलरी पर दिए बयान को लेकर की है।

Neel Mani Lal
Written By Neel Mani LalPublished By Shivani
Published on: 4 April 2021 4:35 AM GMT (Updated on: 4 April 2021 8:21 AM GMT)
असम में भाजपा के चाणक्य हैं हेमन्त, चुनाव आयोग ने दे दिया तगड़ा झटका
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लखनऊ। असम में भाजपा के सबसे बड़े चेहरों में से एक हैं हेमन्त बिस्व सरमा। हेमन्त को चुनाव प्रचार से रोकने का चुनाव आयोग का एक आदेश भाजपा के लिए बड़ा झटका है।

चुनाव आयोग ने हेमन्त के चुनाव प्रचार पर लगाया बैन

दरअसल, चुनाव आयोग ने ये कार्रवाई सरमा द्वारा नेता हाग्रामा मोहिलरी पर दिए बयान को लेकर की है। सरमा ने कहा था कि अगर मोहिलारी विद्रोही बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट नेता एम बाथा के साथ उग्रवाद को बढ़ावा देते हैं तो केंद्रीय जांच एजेंसी एनआईए के जरिए उन्हें जेल भेजा जाएगा। बीपीएफ असम में कांग्रेस की सहयोगी पार्टी है जबकि ये पार्टी पहले भाजपा के साथ थी। इस बयान पर कांग्रेस ने चुनाव आयोग से शिकायत की थी। चुनाव आयोग ने हेमंत बिस्व सरमा पर जुलूस निकालने, रैलियां करने, रोडशो, इंटरव्यू देने और मीडिया में बयान देने पर भी रोक 48 घंटे की रोक लगा दी थी लेकिन ये रोक बाद में 24 घण्टे की कर दी।


हेमन्त अपनी आक्रामक शैली के लिए मशहूर हैं। वे बांग्लादेश से आये मुस्लिम और मदरसों आदि के बारे में सख्त राय जाहिर करते रहे हैं। हेमंत बिस्व सरमा ने कहा है कि मुस्लिम समुदाय भाजपा के लिए वोट नहीं करता है और भाजपा को वो सीटें नहीं मिलेंगी जो 'मियां मुस्लिम' के हाथों में हैं।

कांग्रेस से भाजपा में आये हेमन्त बिस्व सरमा

हेमंत बिस्व सरमा जोरहाट में पैदा हुए थे। उनके पिता कैलाश नाथ सरमा प्रख्यात कवि थे और उनकी मां मृणालिनि देवी असम साहित्य सभा से जुड़ी हुई थीं। हेमंत बिस्व सरमा ने अपना राजनीतिक जीवन कांग्रेस से शुरू किया और जालुकबारी विधानसभा सीट से 2001 से 2015 तक कांग्रेस के विधायक रहे। इसके बाद अगस्त, 2015 में उन्होंने भाजपा का दामन थाम लिया।
हेमंत बिस्व सरमा इस वक्त असम में भाजपा के सबसे बड़े चेहरों में से एक हैं। अटकलें हैं कि अगर इस चुनाव में भाजपा की जीत पर सोनोवाल की जगह हेमंत बिस्व सरमा मुख्यमंत्री बन सकते हैं।
Shivani

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