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Assam Flood Update: असम में शवों को घर में रखने को मजबूर हुए लोग, हर तरफ पानी ही पानी
Assam Flood Update: असम में बाढ़ की वजह से करीबन 21 लाख लोग बुरी तरह से प्रभावित हुई है।
Assam Flood Update: असम में बाढ़ की वजह से लोगों का जीवन बिल्कुल अस्त-व्यस्त हो गया है। राज्य में बाढ़ की वजह से करीबन 21 लाख लोग बुरी तरह से प्रभावित हुई है। ऐसे में सिलचर शहर (assam silchar flood conditions) में बाढ़ से हालत काफी ज्यादा भयानक हो गए हैं। श्मशाम घाट से लेकर शहर में हर जगह सिर्फ पानी ही पानी दिखाई दे रहा है। बाढ़ के बीच श्मशाम घाट में दाह संस्कार करने आए लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इन स्थितियों में अपनों को खोने वाले लोग चारों तरफ पानी होने की वजह से शव को श्मशान तक नहीं ले जा पा रहे हैं। सबसे बड़ी बात ये कि कछार जिला प्रशासन भी उन लोगों की मदद को नहीं पहुंच रहा है।
बाढ़ से विकट हुए हालातों (assam flood situation) के बारे में आला अधिकारियों ने बताया कि बेतकुंडी में बांध टूटने के बाद पानी घुस आने से सिलचर बुरी तरह प्रभावित हुआ है। ऐसे में ये भी आरोप है कि कुछ बदमाशों ने 19 जून को यह बांध तोड़ दिया था।
शव दो दिन तक रखा रहा घर में
आगे उन्होंने बताया कि सिलचर शहर में लगभग तीन लाख लोग बाढ़ से प्रभावित हुए हैं। सिलचर के पास चुतरासंगन गांव के निवासी निरेन दास की 24 जून को मौत हो गई थी, लेकिन बाढ़ के कारण करीब दो दिन तक उनका अंतिम संस्कार नहीं हो सका।
इस परिवार की सहायता के एक कॉलेज के शिक्षक रामेंद्र दास आगे आए और शोक में डूबे परिवार के कुछ सदस्यों के साथ मिलकर शव को नाव के सहारे लेकर गए। रामेंद्र दास को 15 किलोमीटर तक नाव चलाने के बाद सिलचर शहर के बाहर बाबरबाजार में एक सूखी जगह मिली। उसी सूखी जगह पर परिवार के लोगों ने निरेन दास का अंतिम संस्कार किया।
इन दिनों सिलचर शहर की एक फोटो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही है। इस फोटो में कुछ लोगों गले तक बाढ़ का पानी पहुंच चुका है। ये लोग पानी में एक अरथी को ले जाते हुए दिख रहे हैं।
इससे पहले बीते हफ्ते स्थानीय स्वंयसेवकों को सिलचर में ही एक महिला का शव तैरता हुआ मिला था। महिला के शव के साथ एक पत्र भी मिला था, जिसमें लिखा था कि जिसे भी ये शव मिले, वह उसका अंतिम संस्कार कर दे।
इस कदर बुरे हालातों(assam flood situation) से गुजरना पड़ रहा है सिलचर के लोगों को। यहां के स्थानीय लोगों का आरोप है कि प्रशासन और निर्वाचित प्रतिनिधि बाढ़ में फंसे हुए लोगों की समस्याओं का समाधान करने में किसी प्रकार से सफल नहीं रहे। किसी स्तर पर पीड़ित लोगों की मदद नहीं की जा रही है।