असम: बदरुद्दीन की AIUDF के खिलाफ हुए कांग्रेस नेता, गठबंधन तत्काल तोड़ने की मांग

कांग्रेस के नेताओं का मानना है कि अगर पार्टी ने AIUDF से गठबंधन नहीं तोड़ा तो BJP कांग्रेस को भारी नुकसान पहुंचा सकती है

Anshuman Tiwari
Written By Anshuman TiwariPublished By Ashiki
Published on: 17 May 2021 1:33 PM GMT
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Photo-Social Media

नई दिल्ली: पांच राज्यों में हाल में हुए विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के लचर प्रदर्शन पर रिपोर्ट देने के लिए पांच सदस्यीय समिति बनाई गई है। समिति के सदस्यों को विभिन्न राज्यों का दौरा करने का निर्देश दिया गया है मगर समिति की रिपोर्ट आने से पहले ही चुनावी राज्यों में कांग्रेस के गठबंधन को लेकर सवाल उठने लगे हैं। असम में एआईयूडीएफ से गठबंधन तोड़ने की मांग तेजी से उठ रही है।

असम में पार्टी का एक बड़ा तबका एआईयूडीएफ से तत्काल गठबंधन तोड़ने की मांग कर रहा है। असम कांग्रेस के अधिकांश नेताओं का मानना है कि अगर पार्टी ने एआईयूडीएफ से तत्काल गठबंधन नहीं तोड़ा तो उन राज्यों में भाजपा ध्रुवीकरण के जरिए कांग्रेस को भारी नुकसान पहुंचा सकती है जहां जल्द विधानसभा चुनाव होने हैं।

बदरुद्दीन के साथ गठबंधन हार का बड़ा कारण

हाल में हुए विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को सबसे ज्यादा उम्मीद केरल और असम से ही थी। केरल में पी विजयन की अगुवाई में वाम गठजोड़ ने कांग्रेस गठबंधन को जबर्दस्त झटका देते हुए पिछले करीब 40 साल से हर पांच साल में सत्ता परिवर्तन की परंपरा को तोड़ दिया। असम में भी कांग्रेस भाजपा को सत्ता से बेदखल करने विफल रही। असम में हार का बड़ा कारण मौलाना बदरुद्दीन अजमल की पार्टी एआईयूडीएफ के साथ गठबंधन को माना जा रहा है।

गठबंधन नहीं तोड़ा तो अन्य राज्यों में भी नुकसान

असम कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि कांग्रेस को एआईयूडीएफ के साथ गठजोड़ तुरंत तोड़ देना चाहिए। इसके लिए हार की समीक्षा के लिए बनी समिति की रिपोर्ट का इंतजार करना नुकसानदेह साबित होगा।


असम के कांग्रेसी नेताओं का मानना है कि एआईयूडीएफ के साथ गठबंधन न तोड़ने पर पार्टी को आने वाले दिनों में अन्य राज्यों में भी नुकसान उठाना पड़ सकता है। उन्होंने कहा कि अगले साल उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, गुजरात और पंजाब आदि राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं और इन चुनावों के दौरान भाजपा एआईयूडीएफ नेताओं के बयानों के आधार पर ध्रुवीकरण की जमीन तैयार करने की कोशिश करेगी।

बंगाल में चौधरी के रुख का समर्थन

पश्चिम बंगाल प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने राज्य में पीरजादा अब्बास सिद्दीकी की पार्टी आईएसएफ के साथ भविष्य में कोई संबंध न रखने का एलान किया है। चौधरी का कहना है कि आईएसएएफ के साथ गठबंधन का कांग्रेस को कोई फायदा नहीं मिला और पूरा मुस्लिम वोट बैंक तृणमूल कांग्रेस के साथ चला गया। कांग्रेस को ऐसे चुनाव क्षेत्रों भी हार का सामना करना पड़ा जिन्हें अभी तक पार्टी का मजबूत गढ़ माना जाता रहा है।

असम कांग्रेस के नेताओं ने चौधरी के रुख का समर्थन करते हुए कहा कि असम में भी पार्टी को जल्दी ही यह कदम उठाना चाहिए। उनका मानना है कि गठबंधन का असली फायदा एआईयूडीएफ को मिला जबकि कांग्रेस को इससे नुकसान उठाना पड़ा है।

एआईयूडीएफ को गठबंधन का फायदा

असम में चुनाव जीतने के लिए इस बार राहुल और प्रियंका ने काफी मेहनत की थी। खास तौर पर प्रियंका गांधी ने राज्य में कांग्रेस की चुनावी संभावनाओं को मजबूत बनाने के लिए काफी पसीना बहाया था मगर पार्टी को उसका फायदा नहीं मिल सका।

इस बार के चुनाव में कांग्रेस को करीब 30 फीसदी वोटों के साथ 29 सीटों पर कामयाबी मिली है। 2016 के विधानसभा चुनावों में पार्टी को 31 फ़ीसदी वोट मिले थे और पार्टी ने 26 सीटों पर जीत हासिल की थी। एआईयूडीएफ को 2016 के चुनाव में सिर्फ13 सीटों पर जीत मिली थी मगर इस बार के चुनाव में पार्टी ने नौ फीसदी वोटों के साथ 16 सीटों पर कब्जा किया है।

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