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108 Number Ka Mahatva: हिंदू ही नहीं कई धर्मों में है संख्या 108 का खास महत्व, आइए जानते हैं क्या है इस जादुई संख्या के पीछे छिपा राज
108 Number Ka Matlab: वर्तमान समय में ज्यादातर लोग संख्या 108 की अविश्वसनी शक्ति को नजर अंदाज कर देते हैं। जबकि इस संख्या का आध्यात्मिक, धार्मिक, गणितीय और यहां तक कि आपकी मानसिकता के साथ भी गहन संबंध है। आइए जानें इसका महत्व।
108 Number Ka Kya Matlab Hai: संख्या 108 की शक्ति और इसके प्रभाव से क्या आप परिचित हैं और क्या आप जानते हैं कि इस पवित्र संख्या का हमारे जीवन पर कितना गहरा प्रभाव है। दरअसल, 108 अंक की एक साधारण संख्या जो आपके जीवन को उन तरीकों से बदलने की ताकत रखती है जिनकी आपने कभी कल्पना भी नहीं की थी। यह सिर्फ कोई आंकड़ा नहीं है। यह संख्या प्राचीन परंपराओं में ब्रह्मांड के साथ अपना खास जुड़ाव रखती है और यहां तक कि यह आपके व्यक्तिगत विकास से भी जुड़ा हुआ है। लेकिन वर्तमान समय में ज्यादातर लोग संख्या 108 की अविश्वसनी शक्ति को नजर अंदाज कर देते हैं। जबकि इस संख्या का आध्यात्मिक, धार्मिक, गणितीय और यहां तक कि आपकी मानसिकता के साथ भी गहन संबंध है। इस लेख के माध्यम से आपको पता चल जाएगा की संख्या 108 हमारी संस्कृतियों में आधारशिला क्यों रहा है। आइए जानते हैं संख्या 108 से जुड़े महत्व के बारे में-
हृदय चक्र में होती हैं 108 नाड़ियां
आयुर्वेद में यह कहा जाता है की संख्या 108 हमारे शरीर और भीतर के ईश्वर के बीच की दूरी का प्रतीक है। आयुर्वेद के अनुसार, हमारे शरीर में लगभग 108 मर्म बिंदु जिसे वाइटल एनर्जी पॉइंट्स (Vital Energy Points) कहते हैं, जो जीवन शक्ति के महत्वपूर्ण बिंदु हैं। हृदय चक्र में 108 नाड़ियां होती हैं, जो इस ऊर्जा केंद्र को बनाने के लिए मिलती हैं। यही कारण है कि सभी मंत्रों का 108 बार जाप किया जाता है। क्योंकि प्रत्येक जब हमें भौतिक स्व से आध्यात्मिक स्व की ओर ले जाता है।
वैदिक ज्योतिष में संख्या 108 का महत्व (Vedic Jyotish Mein 108 Number Ka Matlab)
वैदिक ज्योतिष में संख्या 108 को खगोलीय पिंडों की सटीक स्थिति की गणना करने के लिए एक महत्वपूर्ण संख्या माना जाता है। यह एक ऐसा ब्रह्मांडीय अनुपात है जो सूक्ष्म जगत मतलब मानव को स्थूल जगत मतलब ब्रह्मांड को आपस में जोड़ता है। आंकड़ों के अनुसार, मतो आप आश्चर्यचकित हो जाएंगे कि सूर्य का व्यास लगभग 13 लाख 90000 किलोमीटर है और बात करें पृथ्वी के व्यास की तो यह 12742 किलोमीटर है। तथ्य यह है कि जब हम सूर्य के व्यास को को पृथ्वी के व्यास से भाग देते हैं तो सूर्य पृथ्वी से लगभग 108 गुना बड़ा है।
पृथ्वी से सूर्य की दूरी 150 मिलियन किलोमीटर है। सूर्य का व्यास लगभग 13 लाख 90000 किलोमीटर है। तथ्य यह है कि जब हम दूरी को सूर्य के व्यास से भाग देते हैं तो यह निकलकर आता है कि पृथ्वी से सूर्य की औसत दूरी सूर्य के व्यास का लगभग 108 गुना है। पृथ्वी से चंद्रमा की दूरी 3 लाख 84 हजार 400 किलोमीटर है। चंद्रमा का व्यास लगभग 3475 किलोमीटर है। जिसके पीछे तथ्य है कि जब हम दूरी को चंद्रमा के व्यास से भाग देते हैं तो यह निकलकर आता है कि, पृथ्वी से चंद्रमा की औसत दूरी चंद्रमा के व्यास का लगभग 108 गुना है। इससे यह पता चलता है की संख्या 108 पृथ्वी और ब्रह्मांड के बीच एक ब्रह्मांडीय संतुलन को दर्शाता है।
जीवन और ब्रह्मांड के बारे में गहराई से सोचने के लिए प्रेरित करती है संख्या 108
जब हम बात करते हैं संख्या 108 के संख्यात्मक महत्व की तो यह एक खास तरह का योग भी है। अगर हम 108 को छोटे-छोटे अंकों में तोड़े तो यह एक, शून्य और आठ होता है। यहां एक का मतलब है ईश्वर या ब्रह्मांड यहां एक हमें 'ईश्वर एक है' की याद दिलाता है। शून्य का मतलब है सब कुछ। जब हम कहते हैं कि शून्यता का मतलब है सब कुछ है तो इसका मतलब है कि सब कुछ जो हम देखते महसूस करते हैं या सोचते हैं, वह मूलतः शून्यता से ही उत्पन्न हुआ है। उदाहरण के लिए एक बीज में विशाल पेड़ की संभावना होती है। बीज के अंदर कुछ भी नहीं होता लेकिन यह एक नए जीवन की शुरुआत का प्रतीक है।
शून्यता में कुछ ना होना और सब कुछ होना एक दूसरे से विपरीत लग सकते हैं। लेकिन वह वास्तव में एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। शून्यता सब कुछ की उत्पत्ति और अंत दोनों है। यह एक ऐसा विचार है। जो हमें जीवन और ब्रह्मांड के बारे में गहराई से सोचने के लिए प्रेरित करता है और आठ जो इंफिनिटी का प्रतीक एक ऐसा विशेष चिन्ह है जो अनंत या कभी खत्म न होने वाला एक आठ की तरह दिखता है। जहां इसका अर्थ है एक ऐसी संख्या या मंत्र जो किसी सीमा से बंधी नहीं है यानी अनंत है। बात करते और नौ ग्रह होते हैं इसे मल्टीप्लाई करें तो हमें 108 ही मिलता है। यानी यह संख्या प्रकृति और ब्रह्मांड से जुड़ी हुई है। यही कारण है कि हिंदुओं ने संख्या 108 को पवित्र माना है।
108 है एक हर्षद संख्या (Lucky Number)
108 एक हर्षद संख्या है। हर्षद संख्या एक ऐसी संख्या होती है जो अपने अंकों के योग से पूर्णता विभाज्य होती है। 108 के बहुत सारे भाजक होते हैं। अगर आप 108 के आसपास की अन्य संख्याओं के भाजकों की संख्या देखेंगे तो आपको पता चलेगा कि 108 के भाजक सबसे अधिक हैं।
संख्या 108 का फिबोनाची संख्याओं से है गहरा संबंध
108 संख्या का संबंध कई प्राचीन संस्कृतियों और वास्तु सिद्ध डिजाइनों से है। कई प्राचीन सभ्यताओं ने अपनी वास्तुकला और धार्मिक संरचनाओं में 108 संख्या का उपयोग किया है। जिनमें मंदिरों में स्तूपों और अन्य पवित्र स्थलों में आप 108 सीढ़ियां 108 खंभे या 108 कक्ष देख सकते हैं। यह संरचनाएं अक्सर ज्योमैट्रिकल आकृतियों पर आधारित होती है। जिसमें 108 एंगल्स और पेंटागन उपयोग होते हैं। संख्या 108 का फिबोनाची संख्याओं से भी गहरा संबंध है। इन्वेस्टिंग से गहरा संबंध रखने वालों का इस सीरीज से हमेशा एक लगाव रहा है।
फिबोनाची संख्याएं वह संख्या सीरीज है जिसमें प्रत्येक संख्या पहले की दो संख्याओं का योग होती है। इस सीरीज में पहले दो संख्याएं शून्य और एक है और यह सीरीज अनंत तक चलती है संख्या 108 का दशमलव समता जिसे डेसिमल पैरीटी कहते हैं की अवधारणा के माध्यम से फिबोनाची सीरीज से एक दिलचस्प संबंध है। फिबोनाची अनुक्रम में पहली 24 संख्याएं हैं। जिसमें पहली संख्या शून्य है और आखिरी 28657 है। दशमलव समता में प्रत्येक संख्या को एक अंक में कम यानी सिंगल डिजिट करना शामिल है। जब तक की एक अंक प्राप्त नहीं हो जाता तब तक उसके अंकों को बार-बार योग किया जाता है। उदाहरण के लिए संख्या 13 बन जाता है चार।
पहली फिबोनाची 24 संख्याओं पर दशमलव समता लागू करने पर पहली संख्या शून्य और आखिरी संख्या एक मिलती है। इन 24 अंकों का योग 108 होता है। इसके बाद जब हमने फिबोनाची 24 संख्याओं पर दशमलव समता को लागू किया और पहली संख्या शून्य को लिया तो हमें उसका योग भी 108 प्राप्त होता है। उसके बाद की भी 24 फिबोनाची संख्याओं पर दशमलव संख्या को लागू करते पर पहली संख्या शून्य लें तो उसका योग भी 108 आता है। ये पैटर्न दर्शाता है कि दशमलव समता का उपयोग करने पर संख्या 108 का फिबोनाची अनुक्रम से एक गहरा संबंध निकल कर आता है।
108 अंक का ध्यान और योग से संबंध
ध्यान या योग एक ऐसी शक्तिशाली तकनीक है जो हमें तनाव से मुक्त कर देती है और हमारे मन को शांत करती है। योग में सूर्य नमस्कार का 108 बार अभ्यास करने का विशेष महत्व है। क्योंकि ये शरीर और मन को शुद्ध करता है। प्राणायाम में चक्रों को अक्सर 108 चक्र में दोहराया जाता है। यहां तक कि सूर्य नमस्कार भी अक्सर 12 आसनों के नौ राउंड में पूरे किए जाते हैं जिन्हें गुणा करने पर 108 हो जाता है। प्राचीन काल में योगियों का मानना था कि 108 बार अभ्यास करके हम सृष्टि की लय के साथ खुद को समायोजित कर सकते हैं।
हिंदू धर्म में है 108 उपनिषदों (108 Meaning In Hinduism)
हिंदू धर्म में सबसे पहले बात करते हैं 108 उपनिषदों की। उपनिषद प्राचीन भारतीय ग्रंथ है जो हिंदू धर्म के दार्शनिक आधार को बनाते हैं यह ग्रंथ मुख्य रूप से वेदों की अंतिम कड़ी माने जाते हैं और इन्हें वेदांत भी कहा जाता है। उपनिषद का अर्थ है पास बैठना जो गुरुकुल में गुरु के पास बैठकर ज्ञान प्राप्त करने का प्रतीक है। उपनिषदों में आत्मा का मतलब आत्ममन और ब्रह्मा मतलब परम सत्य बताया गया है। ऋग्वेद, यजुर्वेद और अथर्ववेद, सामवेद में उपनिषदों का योग देखते हैं तो वह 108 ही आता है।
शक्तिपीठों की कुल संख्या विभिन्न धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, अलग-अलग बताई गई है। कुछ ग्रंथो में 51, 52 और 64 और 108 शक्तिपीठों का उल्लेख मिलता है। दिव्या देसम भगवान विष्णु को समर्पित 108 मंदिरों का समूह है। भगवान शिव के 108 नाम है। यही कारण है कि हिंदुओं ने संख्या 108 को पवित्र माना है। धर्मों में मंत्रों का जाप 108 बार किया जाता है। 108 बार गायत्री मंत्र, महामृत्युंजय मंत्र, आदि जापो को 108 बार उच्चारण किया जाता है। कई धर्म में मंत्रों का उपयोग 108 बार किया जाता है।
इसलिए होते हैं पूजा की माला में 108 मनके
हिंदू धर्म में प्रार्थना के लिए इस्तेमाल होने वाली माला में अक्सर 108 मनके होते हैं। इसका सिर्फ हिंदू धर्म में ही नहीं बल्कि बौद्ध, जैन और कई अन्य धर्म में भी 108 संख्या का बहुत महत्व है। बौद्ध धर्म में भी प्रार्थना के लिए 108 मनको वाली माला का उपयोग किया जाता है। ध्यान करते समय 108 बार सांस लेने और छोड़ने की प्रक्रिया का अभ्यास किया जाता है। बौद्ध धर्म में 108 पृथ्वी की इच्छाएं 108 झूठ और मन के 108 ब्रह्म माने जाते हैं। जैन धर्म में भी मंत्रों का जप 108 बार किया जाता है क्योंकि 108 बार मंत्र जप और माला जप करने से कई लाभ होते हैं। मंत्र जाप करने से मन शांत होता है और तनाव कम होता है।
वहीं 108 बार जप करने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, जिससे व्यक्ति का मनोबल बढ़ता है। नियमित रूप से मंत्र जाप करने से ध्यान और एकाग्रता की शक्ति बढ़ती है। यह जप आत्मा की शुद्धि और आध्यात्मिक विकास में मदद करता है। इसके अभ्यास से शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। ओवर थिंकिंग और डिप्रेशन भी कम होता है। 108 बार जब करने से मन की शक्ति और स्थिरता बढ़ती है।
यह संख्या सदियों से मानव सभ्यता को मोहित करती रही है और इसका महत्व आज भी उतना ही है जितना पहले था। 108 बार मंत्र जाप और ध्यान करने को मन और शरीर को शुद्ध करने का एक प्रभावी तरीका माना जाता था। यह तनाव कम और रक्तचाप को नियमित करने वाली एक शक्तिशाली और सकारात्मक संख्या है।