TRENDING TAGS :
Navratri 6th Day Puja Vidhi: नवरात्रि के छठे दिन होती है मां कात्यायनी की पूजा, जानें विधि, मंत्र और आरती
Navratri Day 6 Puja Vidhi: नवरात्रि के छठे दिन इस साल 1 अक्टूबर को मां दुर्गा के छठे स्वरूप मां कात्यायनी की पूजा होगी। बता दे मां कात्यायनी का स्वरूप अत्यंत भव्य और चमकीला है।
Navratri 6Th Day Puja Maa Katyayani: नवरात्रि की धूम भारत के साथ साथ कई अन्य देशों में भी रहती है। नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा होती है। इस साल 1 अक्टूबर को मां दुर्गा के छठे स्वरूप मां कात्यायनी की पूजा होगी। मां कात्यायनी का स्वरूप अत्यंत भव्य और चमकीला है। मां कात्यायनी की चार भुजाएं हैं और मां का वाहन सिंह हैं। तो आइए जानते हैं नवरात्रि के छठे दिन कैसे करें मां कात्यायनी की पूजा और विधि, शुभ मुहूर्त, भोग, मंत्र, कथा और आरती
मां कात्यायनी का स्वरूप
दरअसल पौराणिक शास्त्रों के अनुसार माता कात्यायनी का स्वरूप स्वर्ण के समान चमकीला है और उनकी चार भुजाएं हैं। प्रत्येक भुजा में माता कात्यायनी ने तलवार, कमल, अभय मुद्रा और वर मुद्रा धारण किया है। माता कात्यायनी को लाल रंग बहुत पसंद है। हिंदू मान्यता के अनुसार महर्षि कात्यायन की तपस्या के बाद माता कात्यायनी ने उनकी पुत्री के रूप में जन्म लिया था। मां दुर्गा ने अपनी इन्हीं रूप में महिषासुर का वध कर उसके आतंक से देव और मनुष्यों को भय मुक्त किया था।
माता कात्यायनी पूजा विधि (Maa Katyayani Puja Vidhi)
नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा करने के लिए सबसे पहले स्नान-ध्यान कर स्वच्छ हो जाएं, फिर इसके बाद कलश की पूजा करें और इसके बाद मां दुर्गा की और माता कात्यायनी की पूजा करें। पूजा शुरू करने से पहले मां कात्यायनी को स्मरण करें और हाथ में फूल लेकर संकल्प जरूर लें। अब इसके बाद वह फूल मां को अर्पित कर दें। फिर इसके बाद कुमकुम, अक्षत, फूल आदि और सोलह श्रृंगार माता को अर्पित करें। उसके बाद मां कात्यायनी को उनके प्रिय भोग शहद अर्पित करें और मिठाई आदि का भी भोग लगाएं। फिर मां कात्यायनी को जल अर्पित करें और घी के दीपक जलाकर दुर्गा चालीसा और दुर्गा सप्तशती का पाठ करें। इसके बाद माता की आरती करें और प्रसाद सभी में बांट दे और खुद भी खाएं।
माता कात्यायनी पूजा के लिए शुभ मुहूर्त (Maa Katyayani Shubh Muhurat)
दरअसल माता कात्यायनी की पूजा शुक्ल षष्ठी 30 सितंबर को रात 10:34 बजे शुरू होगी और 01 अक्टूबर को रात 08:46 बजे समाप्त होगी।
माता कात्यायनी के इन मंत्रों का जाप करें (Maa Katyayani Mantra)
पहला मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु माँ कात्यायनी रूपेण संस्थिता
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: ।।
दूसरा मंत्र
चंद्रहासोज्जवलकरा शार्दूलवर वाहना
कात्यायनी शुभंदद्या देवी दानवघातिनि ।।
माता कात्यायनी का भोग और रंग (Maa Katyayani Bhog and Colour)
दरअसल ऐसी मान्यता है कि भोग में मां कात्यायनी को शहद चढ़ाना चाहिए क्योंकि शहद मां कात्यायनी को बहुत प्रिय है। वहीं मां कात्यायनी की पूजा में ग्रे रंग का इस्तेमाल करें और ग्रे रंग के कपड़े पहनकर पूजा करें क्योंकि ग्रे रंग संतुलित भावनाओं का प्रतिनिधित्व करता है। साथ ही मां कात्यायनी को ग्रे रंग बहुत प्रिय है।
माता कात्यायनी की कथा (Maa Katyayani Katha)
दरअसल महार्षि कात्यायन ने देवी आदिशक्ति की घोर तपस्या की थी। जिसके परिणामस्वरूप उन्हें देवी उनकी पुत्री के रूप में प्राप्त हुई थीं। बता दे देवी का जन्म महार्षि कात्यान के आश्राम में हुआ था। इनकी पुत्री होने के कारण ही इन्हें कात्यायनी पुकारा जाता है। दरअसल देवी का जन्म जब हुआ था उस समय महिषासुर नाम के राक्षस का अत्याचार बहुत ज्यादा बढ़ गया था। असुरों ने धरती के साथ-साथ स्वर्ग में त्राही मचा रखी थी। बता दे त्रिदेवों के तेज देवी ने ऋषि कात्यायन के घर अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन जन्म लिया था। दरअसल इसके बाद ऋषि कात्यायन ने मां का पूजन तीन दिन तक किया। जिसके बाद दशमी तिथि के दिन महिषासुर का अंत मां ने किया था। दरअसल बता दे कि इतना ही नहीं, शुम्भ और निशुम्भ ने भी स्वर्गलोक पर आक्रमण कर दिया था। वही, इंद्रदेव का सिंहासन भी छीन लिया था। इसके अलावा नवग्रहों को बंधक भी बना लिया था और असुरों ने अग्नि और वायु का बल भी अपने कब्जे में कर लिया था। जब स्वर्ग से अपमानित कर असुरों ने देवताओं को निकाल दिया। बता दे तब सभी देवता देवी के शरण में गए और उनसे प्रार्थना की कि वो उन्हें असुरों के अत्याचार से मुक्ति दिलाए। दरअसल मां ने इन असुरों का वध किया और सबको इनके आतंक से मुक्त किया।
माता कात्यायनी की आरती (Maa Katyayani Aarti)
जय जय अम्बे, जय कात्यायनी।
जय जग माता, जग की महारानी।
बैजनाथ स्थान तुम्हारा।
वहां वरदाती नाम पुकारा।
कई नाम हैं, कई धाम हैं।
यह स्थान भी, तो सुखधाम है।
हर मंदिर में जोत तुम्हारी।
कहीं योगेश्वरी महिमा न्यारी।
हर जगह उत्सव होते रहते।
हर मंदिर में भक्त हैं कहते।
कात्यायनी रक्षक काया की।
ग्रंथि काटे मोह माया की।
झूठे मोह से छुड़ाने वाली।
अपना नाम जपाने वाली।
बृहस्पतिवार को पूजा करियो।
ध्यान कात्यायनी का धरियो।
हर संकट को दूर करेगी।
भंडारे भरपूर करेगी।
जो भी मां को भक्त पुकारे।
कात्यायनी सब कष्ट निवारे।
Maa Katyayani Ki Jai 🙏🙏