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Navratri 2022: इस बार नवरात्रि होगी बेहद खास, ज्योतिषाचार्य एस.एस. नागपाल ने कही बड़ी बात

2022 Navratri Astrological Tips: मां का वाहन हाथी ज्ञान व समृद्धि का प्रतीक है। इससे देश में आर्थिक समृद्धि आयेगी। साथ ही ज्ञान की वृद्धि होगी

Jyotsna Singh
Published on: 25 Sept 2022 8:40 AM IST (Updated on: 25 Sept 2022 8:41 AM IST)
Navratri 2022
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Navratri 2022 (Social Media)

Navratri 2022: इस बार नवरात्र बेहद खास होने वाली है। मान्यता है कि जब भी नवरात्रि की शुरुआत सोमवार से होती है, तब मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आती हैं। मान्यता के अनुसार, नवरात्रि में जब मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आती हैं तो यह बेहद शुभ माना जाता है। हाथी पर सवार होकर मां दुर्गा अपने साथ ढेर सारी खुशियां और सुख-समृद्धि लेकर आती हैं। मां का वाहन हाथी ज्ञान व समृद्धि का प्रतीक है। इससे देश में आर्थिक समृद्धि आयेगी। साथ ही ज्ञान की वृद्धि होगी।

ज्योतिषाचार्य एस.एस. नागपाल, स्वास्तिक ज्योतिष केन्द्र, अलीगंज, लखनऊ के अनुसार शारदीय नवरात्र 26 सितंबर से

नवरात्री में मां के नौ रूपों का पूजन किया जाता है।नवरात्र में घट स्थापना , जौ बोने, दुर्गा सप्तशती का पाठ , हवन व कन्या पूजन से माँ दुर्गा प्रसन्न होती है। नवरात्र में नवार्णमंत्र की साधना और दुर्गा सप्तशती के पाठ से मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। शारदीय नवरात्र में शीत ऋतु के आगमन की सूचना देता है। शक्ति की उपासना अश्विन मास के प्रतिपदा से नवमी तक की जाती है। इस वर्ष नवरात्र 26 सितंबर से 4 अक्टूबर तक है। प्रतिपदा तिथि की शुरुआत 26 सितंबर को सुबह 03.24 से हो रही है और 27 सितंबर सुबह 03. 08 तक रहेगी. 26 सितंबर को अश्वनी शुक्ल घट स्थापना शुभ मुर्हूत में की जानी चाहिए। नवरात्री का प्रारम्भ सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग में हो रहा है इस दिन प्रातःकाल कन्या लग्न में प्रातःकाल 05.56 से 07ः35 तक, शुभ चौघड़िया में सुबह 8.57 से 10. 28 तक एवं अभिजीत मुर्हूत दिन 12.33 से 12.22 तक घट स्थापना एवं देवी का पूजन किया जा सकता है।

नवरात्रि में शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धदात्री की पूजा की जाती है. ये सभी मां के नौ स्वरूप हैं. प्रथम दिन घटस्थापना होती है। शैलपुत्री को प्रथम देवी के रूप में पूजा जाता है। नवरात्रि में पहले दिन माँ शैलपुत्री देवी को देसी घी, दूसरे दिन माँ ब्रह्मचारिणी देवी को शक्कर,सफेद मिठाई,मिश्री और फल, तीसरे दिन माँ चंद्रघंटा देवी को मिठाई और खीर, चौथे दिन माँ कुष्मांडा देवी को मालपुआ, पांचवे दिन माँ स्कंदमाता देवी को केला, छठे दिन माँ कात्यायनी देवी को शहद, सातवे दिन माँ कालरात्रि देवी को गुड़, आठवे दिन माँ महागौरी देवीको नारियल, नौवे दिन माँ सिद्धिदात्री देवी अनार और तिल का भोग लगाने से माँ शीघ्र प्रश्न होती है । 9 दिनों तक चलने वाले इस पर्व में व्रत और पूजा का विशेष महत्व बताया गया है 5 अक्टूबर को विजयदशमी है ।



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Anant kumar shukla

Anant kumar shukla

Content Writer

अनंत कुमार शुक्ल - मूल रूप से जौनपुर से हूं। लेकिन विगत 20 सालों से लखनऊ में रह रहा हूं। BBAU से पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएशन (MJMC) की पढ़ाई। UNI (यूनिवार्ता) से शुरू हुआ सफर शुरू हुआ। राजनीति, शिक्षा, हेल्थ व समसामयिक घटनाओं से संबंधित ख़बरों में बेहद रुचि। लखनऊ में न्यूज़ एजेंसी, टीवी और पोर्टल में रिपोर्टिंग और डेस्क अनुभव है। प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म पर काम किया। रिपोर्टिंग और नई चीजों को जानना और उजागर करने का शौक।

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