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घने अंधकार से प्रकाश का मार्ग दिखाती हैं मां कालरात्रि, ऐसे करें पूजा

मां की ये शक्ति अंधकारमय स्थितियों का विनाश करने वाली और काल से भी रक्षा करने वाली है।

Suman  Mishra | Astrologer
Published on: 18 April 2021 9:31 PM IST
सातवें दिन कालरात्रि की पूजा
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मां कालरात्रि की तस्वीर, साभार-सोशल मीडिया

लखनऊ : दुर्गा देवी (Durga Devi) का सातवां स्वरूप कालरात्रि है। इनका रंग काला होने के कारण ही इन्हें कालरात्रि कहते हैं। असुरों के राजा रक्तबीज (Raktabīja) का वध करने के लिए देवी दुर्गा ने अपने तेज से इन्हें उत्पन्न किया था। इनके शरीर का रंग (Colour) घने अंधकार की तरह एकदम काला है, सिर के बाल बिखरे हुए हैं और गले में बिजली की तरह चमकने (Bright ) वाली माला है।

अंधकार का विनाश

मां की ये शक्ति अंधकारमय स्थितियों का विनाश करने वाली और काल से भी रक्षा करने वाली है। देवी के तीन नेत्र हैं। ये तीनों ही नेत्र ब्रह्मांड के समान गोल हैं। इनकी सांसों से अग्नि निकलती रहती है। ये गर्दभ की सवारी करती हैं। ऊपर उठे हुए दाहिने हाथ की वर मुद्रा भक्तों को वर देती है। दाहिनी ही तरफ का नीचे वाला हाथ अभय मुद्रा में है। मतलब भक्तों को हमेशा निडर और निर्भय रहना चाहिए। इस मंत्र से देवी की जप करना चाहिए।


मां कालरात्रि की तस्वीर, साभार-सोशल मीडिया


लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी॥

वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा।

वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयंकरी॥


बाईं तरफ के ऊपर वाले हाथ में लोहे का कांटा और नीचे वाले हाथ में खड्ग है। इनका रूप भले ही भयंकर हो, लेकिन ये सदैव शुभ फल देने वाली मां हैं। इसीलिए ये शुभंकरी कहलाईं और इनसे भक्तों को किसी भी प्रकार से भयभीत या आतंकित होने डर नहीं है।ये अपने भक्तों को हमेशा शुभ फल देने वाली होती है। उनके साक्षात्कार से भक्त पुण्य का भागी बनता है।

काल से भी रक्षा करने वाली यह शक्ति है।


देवी सर्वभूतेषु मां कालरात्रि रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

रक्तबीज का मुंड लिए मां कालरात्रि की तस्वीर, साभार-सोशल मीडिया

शत्रु और रात्रि भय से मुक्ति

सप्तमी तिथि के दिन भगवती की पूजा में गुड़ का नैवेद्य अर्पित करके ब्राह्मण को दे देना चाहिए। ऐसा करने से पुरुष शोकमुक्त हो सकता है। कालरात्रि की उपासना करने से ब्रह्मांड की सारी सिद्धियों के दरवाजे खुलने लगते हैं और तमाम असुरी शक्तियां उनके नाम के उच्चारण से ही भयभीत होकर दूर भागने लगती हैं। इसलिए दानव, दैत्य, राक्षस और भूत-प्रेत उनके स्मरण से ही भाग जाते हैं। ये ग्रह बाधाओं को भी दूर करती हैं और अग्नि, जल, जंतु, शत्रु और रात्रि भय दूर हो जाते हैं। इनकी कृपा से भक्त हर तरह के भय से मुक्त हो जाता है।।




Suman  Mishra | Astrologer

Suman Mishra | Astrologer

एस्ट्रोलॉजी एडिटर

मैं वर्तमान में न्यूजट्रैक और अपना भारत के लिए कंटेट राइटिंग कर रही हूं। इससे पहले मैने रांची, झारखंड में प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया में रिपोर्टिंग और फीचर राइटिंग किया है और ईटीवी में 5 वर्षों का डेस्क पर काम करने का अनुभव है। मैं पत्रकारिता और ज्योतिष विज्ञान में खास रुचि रखती हूं। मेरे नाना जी पंडित ललन त्रिपाठी एक प्रकांड विद्वान थे उनके सानिध्य में मुझे कर्मकांड और ज्योतिष हस्त रेखा का ज्ञान मिला और मैने इस क्षेत्र में विशेषज्ञता के लिए पढाई कर डिग्री भी ली है Author Experience- 2007 से अब तक( 17 साल) Author Education – 1. बनस्थली विद्यापीठ और विद्यापीठ से संस्कृत ज्योतिष विज्ञान में डिग्री 2. रांची विश्वविद्यालय से पत्राकरिता में जर्नलिज्म एंड मास कक्मयूनिकेश 3. विनोबा भावे विश्व विदयालय से राजनीतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री

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