Aaj Ka Vedic Panchang 3 August 2024: आज का वैदिक पंचांग

Aaj Ka Vedic Panchang 3 August 2024: हर शनिवार को पीपल की जड़ में जल चढ़ाने और दीपक जलाने से अनेक प्रकार के कष्टों का निवारण होता है ।(पद्म पुराण)

Kanchan Singh
Published on: 3 Aug 2024 10:17 AM GMT
Aaj Ka Vedic Panchang
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Aaj Ka Vedic Panchang 

दिन - शनिवार

विक्रम संवत - 2081 (गुजरात-महाराष्ट्र अनुसार 2080)

शक संवत -1946

अयन - दक्षिणायन

ऋतु - वर्षा ॠतु

मास - श्रावण (गुजरात महाराष्ट्र अनुसार आषाढ)

पक्ष - कृष्ण

तिथि - चतुर्दशी शाम 03:50 तक तत्पश्चात अमावस्या

नक्षत्र - पुनर्वसु सुबह 11:59 तक तत्पश्चात पुष्य

योग - वज्र सुबह 11:01 तक तत्पश्चात सिद्धि

राहुकाल - सुबह 09:29 से सुबह 11:07 तक

सूर्योदय -06:14

सूर्यास्त- 19:15

दिशाशूल - पूर्व दिशा मे

*व्रत पर्व विवरण-

विशेष - *चतुर्दशी अमावस्या व व्रत के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)

ब्रह्म पुराण' के 118 वें अध्याय में शनिदेव कहते हैं- 'मेरे दिन अर्थात् शनिवार को जो मनुष्य नियमित रूप से पीपल के वृक्ष का स्पर्श करेंगे, उनके सब कार्य सिद्ध होंगे तथा मुझसे उनको कोई पीड़ा नहीं होगी। जो शनिवार को प्रातःकाल उठकर पीपल के वृक्ष का स्पर्श करेंगे, उन्हें ग्रहजन्य पीड़ा नहीं होगी।' (ब्रह्म पुराण')

शनिवार के दिन पीपल के वृक्ष का दोनों हाथों से स्पर्श करते हुए 'ॐ नमः शिवाय।' का 108 बार जप करने से दुःख, कठिनाई एवं ग्रहदोषों का प्रभाव शांत हो जाता है। (ब्रह्म पुराण')

हर शनिवार को पीपल की जड़ में जल चढ़ाने और दीपक जलाने से अनेक प्रकार के कष्टों का निवारण होता है ।(पद्म पुराण)

वैदिक पंचांग

व्यतिपात योग

04 अगस्त 2024 रविवार को सुबह 10:38 से 05 अगस्त सुबह 10:38 तक व्यतिपात योग है।

व्यतिपात योग की ऐसी महिमा है कि उस समय जप पाठ प्राणायम, माला से जप या मानसिक जप करने से भगवान की और विशेष कर भगवान सूर्यनारायण की प्रसन्नता प्राप्त होती है जप करने वालों को, व्यतिपात योग में जो कुछ भी किया जाता है उसका १ लाख गुना फल मिलता है।

वाराह पुराण में ये बात आती है व्यतिपात योग की।

वैदिक पंचांग

पुष्य नक्षत्र योग

04 अगस्त 2024 रविवार को सूर्योदय से दोपहर 01:26 तक रविपुष्यामृत योग है ।

१०८ मोती की माला लेकर जो गुरुमंत्र का जप करता है, श्रद्धापूर्वक तो २७ नक्षत्र के देवता उस पर खुश होते हैं और नक्षत्रों में मुख्य है पुष्य नक्षत्र, और पुष्य नक्षत्र के स्वामी हैं देवगुरु ब्रहस्पति | पुष्य नक्षत्र समृद्धि देनेवाला है, सम्पति बढ़ानेवाला है | उस दिन ब्रहस्पति का पूजन करना चाहिये | ब्रहस्पति को तो हमने देखा नहीं तो सद्गुरु को ही देखकर उनका पूजन करें और मन ही मन ये मंत्र बोले –

ॐ ऐं क्लीं ब्रहस्पतये नम : |...... ॐ ऐं क्लीं ब्रहस्पतये नम : |

वैदिक पंचांग

कैसे बदले दुर्भाग्य को सौभाग्य में

बरगद के पत्ते पर गुरुपुष्य या रविपुष्य योग में हल्दी से स्वस्तिक बनाकर घर में रखें |

-लोककल्याण सेतु – जून २०१४ से

~ वैदिक पंचांग ~

धन-धान्य व सुख-संम्पदा के लिए

04 अगस्त 2024 रविवार को अमावस्या है।

हर अमावस्या को घर में एक छोटा सा आहुति प्रयोग करें।

सामग्री : १. काले तिल, २. जौं, ३. चावल, ४. गाय का घी, ५. चंदन पाउडर, ६. गूगल, ७. गुड़, ८. देशी कर्पूर, गौ चंदन या कण्डा।

विधि: गौ चंदन या कण्डे को किसी बर्तन में डालकर हवनकुंड बना लें, फिर उपरोक्त ८ वस्तुओं के मिश्रण से तैयार सामग्री से, घर के सभी सदस्य एकत्रित होकर नीचे दिये गये देवताओं की १-१ आहुति दें।

आहुति मंत्र

१. ॐ कुल देवताभ्यो नमः

२. ॐ ग्राम देवताभ्यो नमः

३. ॐ ग्रह देवताभ्यो नमः

४. ॐ लक्ष्मीपति देवताभ्यो नमः

५. ॐ विघ्नविनाशक देवताभ्यो नमः

वैदिक पंचांग संपादक ~ अंजनी बहेन निलेश ठक्कर

वैदिक पंचांग प्रकाशित स्थल ~ सुरत शहर (गुजरात)

~ वैदिक पंचांग ~


Shalini Rai

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