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Adbhut Kahaniyan Hindi: चंद्रमा की सुन्दरता व राजा दक्ष प्रजापति का चंद्रमा को श्राप

Adbhut Kahaniyan Hindi: दक्ष ने समझाया सगी बहनों का एक ही पति होने से दांपत्य जीवन में बाधा आएगी। लेकिन चंद्रमा के प्रेम में पागल दक्ष पुत्रियां जिद पर अड़ी रहीं। अश्विनी सबसे बड़ी थी। उसने कहा कि पिताजी हम आपस में मेलजोल से मित्रवत रहेंगे।

Kanchan Singh
Published on: 15 Jun 2023 4:10 PM IST
Adbhut Kahaniyan Hindi: चंद्रमा की सुन्दरता व राजा दक्ष प्रजापति का चंद्रमा को श्राप
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(Pic: Social Media)

Adbhut Kahaniyan Hindi: चंद्रमा की सुंदरता पर राजा दक्ष की सत्ताइस पुत्रियां मोहित हो गईं। वे सभी चंद्रमा से विवाह करना चाहती थीं। दक्ष ने समझाया सगी बहनों का एक ही पति होने से दांपत्य जीवन में बाधा आएगी। लेकिन चंद्रमा के प्रेम में पागल दक्ष पुत्रियां जिद पर अड़ी रहीं। अश्विनी सबसे बड़ी थी। उसने कहा कि पिताजी हम आपस में मेलजोल से मित्रवत रहेंगे। आपको शिकायत नहीं मिलेगी। दक्ष ने सत्ताईस कन्याओं का विवाह चंद्रमा से कर दिया।

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विवाह से चंद्रमा और उनकी पत्नियां दोनों बहुत प्रसन्न थे। लेकिन ये खुशी ज्यादा दिनों तक नहीं रही। जल्द ही चंद्रमा सत्ताइस बहनों में से एक रोहिणी पर ज्यादा मोहित हो गए और अन्य पत्नियों की उपेक्षा करने लगे। यह बात दक्ष को पता चली और उन्होंने चंद्रमा को समझाया। कुछ दिनों तक तो चंद्रमा ठीक रहे । लेकिन जल्द ही वापस रोहिणी पर उनकी आसक्ति पहले से भी ज्यादा तेज हो गई। अन्य पुत्रियों के विलाप से दुखी दक्ष ने फिर चंद्रमा से बात की। लेकिन उन्होंने इसे अपना निजी मामला बताकर दक्ष का अपमान कर दिया।

दक्ष प्रजापति थे। कोई देवता भी उनका अनादर नहीं करता था। क्रोधित होकर उन्होंने चंद्रमा को शाप दिया कि तुम क्षय रोग के मरीज हो जाओ। दक्ष के शाप से चंद्रमा क्षय रोग से ग्रस्त होकर धूमिल हो गए। उनकी चमक समाप्त हो गई। पृथ्वी की गति बिगड़ने लगी। परेशान ऋषि-मुनि और देवता भगवान ब्रह्मा की शरण में गए। ब्रह्मा, दक्ष के पिता थे। लेकिन दक्ष के शाप को समाप्त कर पाना उनके वश में नहीं था। उन्होंने देवताओं को शिवजी की शरण में जाने का सुझाव दिया।

ब्रह्मा ने कहा- चंद्रदेव भगवान शिव को तप से प्रसन्न करें। दक्ष पर उनके अलावा किसी का वश नहीं चल सकता। ब्रह्मा की सलाह पर चंद्रमा ने शिवलिंग बनाकर घोर तप आरंभ किया। महादेव प्रसन्न हुए और चंद्रमा से वरदान मांगने को कहा। चंद्रमा ने शिवजी से अपने सभी पापों के लिए क्षमा मांगते हुए क्षय रोग से मुक्ति का वरदान मांगा।

भगवान शिव ने कहा कि तुम्हें जिसने शाप दिया है वह कोई साधारण व्यक्ति नहीं है। उसके शाप को समाप्त करना संभव नहीं फिर भी मैं तुम्हारे लिए कुछ न कुछ करूंगा जरूर।शिवजी बोले- एक माह में जो दो पक्ष होते हैं, उसमें से एक पक्ष में तुम मेरे वरदान से निखरते जाओगे। लेकिन दक्ष के शाप के प्रभाव से दूसरे पक्ष में क्षीण होते जाओगे। शिव के वरदान से चंद्रमा शुक्लपक्ष में तेजस्वी रहते हैं और कृष्ण पक्ष में धूमिल हो जाते हैं। चंद्रमा की स्तुति से महादेव जिस स्थान पर निराकार से साकार हो गए थे उस स्थान की देवों ने पूजा की और वह स्थान सोमनाथ के नाम से विख्यात हुआ। चंद्रमा की वे सताइस पत्नियां ही सताइस विभिन्न नक्षत्र है।



Kanchan Singh

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