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Agahan Mah Ka Mahatva: अगहन माह का महत्व:इन कामों से बढ़ेगा भाग्य, इस माह में करें ये सारे काम, जानिए पर्व त्योहार की लिस्ट

Agahan Mah Ka Mahatva: अगहन माह का महत्व : श्रीकृष्ण का सानिध्य पाने और मां लक्ष्मी कृपा के लिए अगहन मास में विशेष धार्मिक कृत्य करने चाहिए इससे भाग्य फलदायी होता है।

Suman  Mishra | Astrologer
Published on: 29 Nov 2023 6:15 AM IST (Updated on: 29 Nov 2023 6:15 AM IST)
Agahan Mah Ka Mahatva: अगहन माह का महत्व:इन कामों से बढ़ेगा भाग्य, इस माह में करें  ये सारे काम, जानिए पर्व त्योहार की लिस्ट
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Agahan Maah Ka Mahatava अगहन माह का महत्व : 28 नवंबर से 26 दिसंबर तक मार्गशीर्ष या अगहन माह है। इस माह का धार्मिक महत्व है। पुराणों में समुद्र मंथन के दौरान प्राप्त हुए 14 रत्नों में से ये एक रत्न है शंख। सुख-सौभाग्य की वृद्धि के लिए इसे अपने घर में स्थापित करना चाहिए। माना जाता है कि अगहन (मार्गशीर्ष) के महीने में शंख पूजन का विशेष महत्व है। अगहन के महीने में किसी भी शंख को भगवान श्रीकृष्ण का स्वरुप मान कर उसका पूजन-अर्चन करने से मनुष्य की समस्त इच्छाएं पूरी होती हैं।

मार्गशीर्ष महीने की पूर्णिमा मृगशिरा नक्षत्र से युक्त होती है, इसलिए इस माह को मार्गशीर्ष कहा जाता है। इसके अलावा इसे मगसर, मंगसिर, अगहन, अग्रहायण आदि नामों से भी जाना जाता है। ये पूरा मास बड़ा ही पवित्र माना गया है। इसकी महिमा स्वयं श्री कृष्ण भगवान ने गीता में बताई है। गीता के 10वें अध्याय के 35वें श्लोक में भगवान श्री कृष्ण ने कहा है -

बृहत्साम तथा साम्नां गायत्री छन्दसामहम्।

मासानां मार्गशीर्ष Sहमृतूनां कुसुमाकरः।।

अर्थात् गायन करने योग्य श्रुतियों में मैं बृहत्साम और छंदों में मैं गायत्री छंद हूं तथा महीनों में मार्गशीर्ष और ऋतुओं में बसंत मैं हूं। अतः इस महीने में भगवान श्री कृष्ण की उपासना की बड़ी ही महिमा है। इस महीने में भगवान श्री कृष्ण की उपासना करने से व्यक्ति को जीवन में हर तरह की सफलता प्राप्त होती है और वो हर तरह के संकट से बाहर निकलने में सक्षम होता है।

मार्गशीर्ष माह शुभ फलदायक

सतयुग में देवों ने वर्ष का आरंभ मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि से ही किया था। साथ ही ऋषि कश्यप ने भी इसी महीने के दौरान कश्मीर नामक जगह की स्थापना की थी, जो कि इस समय भारत का अभिन्न अंग है। मार्गशीर्ष मास के दौरान स्नान-दान का बड़ा ही महत्व है।

इस महीने के दौरान यमुना नदी में स्नान का महत्व है। मार्गशीर्ष महीने के दौरान यमुना नदी में स्नान करने से भगवान सहज ही प्राप्त होते हैं। अतः जो लोग जीवन में भगवान का आशीर्वाद बनाए रखना चाहते हैं और हर संकट से छुटकारा पाना चाहते हैं, उन्हें मार्गशीर्ष के दौरान कम से कम एक बार यमुना नदी में स्नान करने अवश्य जाना चाहिए, लेकिन जिन लोगों के लिए ऐसा करना संभव नहीं है, वो लोग घर पर ही अपने स्नान के पानी में थोड़ा-सा पवित्र जल मिलाकर स्नान कर लें।

मार्गशीर्ष के दौरान सुबह जल्दी उठकर स्नान से पवित्र होकर भगवान का ध्यान करना चाहिए और उनकी पूजा-अर्चना करनी चाहिए। स्नान से पहले तुलसी की जड़ की मिट्टी से भी स्नान करें, यानी अपने शरीर पर उसका लेप लगाएं और लेप लगाने के कुछ देर बाद पानी से स्नान करें। साथ ही स्नान के समय 'ॐ नमो भगवते नारायणाय' या गायत्री मंत्र का जप करें।

इस मौसम में शीतलहर आरंभ हो जाती है अत: गर्म कपड़े,कंबल,मौसमी फल,शैया,भोजन और अन्नदान का विशेष महत्व है। साथ ही इस माह में पूजा संबंधी सामग्री जैसे आसन, तुलसी माला,चंदन,पूजा की प्रतिमा,मोर पंख,जलकलश,आचमनी,पीतांबर,दीपक आदि का दान शुभ माना गया है।

अगहन मास में शंख की पूजा

दक्षिणावर्ती शंख को लक्ष्मी रूप कहा जाता है। इसके बिना लक्ष्मीजी की आराधना पूरी नहीं मानी जाती है। अगहन मास में खास तौर पर गुरुवार के दिन लक्ष्मी पूजन करते समय दक्षिणावर्ती शंख की पूजा अवश्य करनी चाहिए। इसके अलावा भी प्रतिदिन घर में शंख पूजन करने से जीवन में कभी भी रुपए-पैसे, धन की कमी महसूस नहीं होती।

शंख, कुंमकुंम, चावल, जल का पात्र, कच्चा दूध, एक स्वच्छ कपड़ा, एक तांबा या चांदी का पात्र (शंख रखने के लिए) सफेद पुष्प, इत्र, कपूर, केसर, अगरबत्ती, दीया लगाने के लिए शुद्ध घी, भोग के लिए नैवेद्य चांदी का वर्क आदि।

प्रात: काल में स्नान कर स्वच्छ धुले हुए वस्त्र धारण करें। पटिए पर एक पात्र में शंख रखें। अब उसे कच्चे दूध और जल से स्नान कराएं। अब स्वच्छ कपड़े से उसे पोंछें और उस पर चांदी का वर्क लगाएं। तत्पश्चात घी का दीया और अगरबत्ती जला लीजिए।

अब शंख पर दूध-केसर के मिश्रित घोल से श्री एकाक्षरी मंत्र लिखें तथा उसे चांदी अथवा तांबा के पात्र में स्थापित कर दें। उपरोक्त शंख पूजन के मंत्र का जप करते हुए कुंमकुंम, चावल तथा इत्र अर्पित करके सफेद पुष्प चढ़ाएं। नैवेद्य का भोग लगाकर पूजन संपन्न करें।

त्वं पुरा सागरोत्पन्न विष्णुना विधृत: करे।

निर्मित: सर्वदेवैश्च पाञ्चजन्य नमोऽस्तु ते।

तव नादेन जीमूता वित्रसन्ति सुरासुरा:।

शशांकायुतदीप्ताभ पाञ्चजन्य नमोऽस्तु ते॥

अगहन मास में करें ये काम

इस महीने में नित्य श्रीमद्‍भगवतगीता का पाठ करें। पूरे महीने ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का निरंतर जाप करें।

भगवान श्री कृष्ण की उपासना अधिक से अधिक समय तक करें। इस महीने से संध्याकाल की उपासना अनिवार्य हो जाती है।

कृष्ण को तुलसी के पत्तों का भोग लगाकर उसे प्रसाद स्वरूप ग्रहण करें।इस महीने से चिकनाई वाले खाद्य पदार्थों का सेवन शुरू कर देना चाहिए।

मार्गशीर्ष के इस पवित्र महीने में सभी बातों का ध्यान रखते हुए भगवान श्री कृष्ण की उपासना की और उनका भजन-कीर्तन किया तो निश्चित ही मनोकामना पूर्ण होती है।

अगर इस महीने किसी पवित्र नदी में स्नान का अवसर मिले तो इसे न गंवाएं, अवश्य ही नदी में स्नान करें। इस महीने से मोटे परिधानों का उपयोग भी शुरू कर देना चाहिए।

मार्गशीर्ष के महीने में तेल की मालिश बहुत उत्तम होती है। अगहन के महीने में जीरे का सेवन नहीं करना चाहिए।

अगहन मास में त्योहार

कालभैरव अष्टमी (5 दिसंबर, मंगलवार)

मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालभैरव अष्टमी का व्रत किया जाएगा. काल भैरव को भगवान शिव का रूद्र अवतार माना जाता है. हर माह की कृष्ण की अष्टमी को कालाष्टमी या काल भैरव अष्टमी मनाई जाती है. इस दिन भगवान भैरव की पूजा अर्चना करने से सभी भय दूर हो जाते हैं और रोगों से मुक्ति मिल जाती है।

8 दिसंबर- उत्पन्ना एकादशी

उत्पन्ना एकदशी यामार्गशीर्ष बहुला एकदशी कृष्ण पक्ष की एकदशी है जो कार्तिक पूर्णिमा के बाद आती है. सबसे महत्वपूर्ण एकादशियों में से एक, देवउत्थान एकादशी के बाद आने वाली एकादशी है. इस वर्ष यह 8 दिसंबर को है

11 दिसंबर - मासिक शिवरात्रि

वैसे तो हर सोमवार भगवान शिव को समर्पित है, लेकिन हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए सबसे अच्छी मानी जाती है, इस तिथि को मास शिवरात्रि के नाम से जाना जाता है. इस बार शिवरात्रि 11 दिसंबर को मनाई जा रही है.

12 दिसंबर - अमावस्या

भगवान शिव के प्रिय माह कार्तिक माह की अमावस्या 12 दिसंबर, मंगलवार को मनाई जाती है. इस दिन पवित्र नदियों में स्नान और दान देने का बहुत महत्व है. इसके अलावा जिन लोगों की कुंडली में पितृ दोष है उन्हें अमावस्या के दिन कुछ पूजा-पाठ भी करने चाहिए. कार्तिक अमावस्या को छठी अमावस्या या दर्श अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है.

18 दिसंबर - चंपा षष्ठी

चंपा षष्ठी इस बार 18 दिसंबर को मनाई जाती है. इस दिन शिव और उनके बड़े पुत्र कार्तिकेय की पूजा की जाती है. मान्यता है कि इस दिन व्रत और पूजा करने से पाप दूर होते हैं, कष्ट दूर होते हैं और मनोकामनाएं पूरी होती हैं.

मोक्षदा एकादशी और गीता जयंती (22 दिसंबर, शुक्रवार)

मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मोक्षदा एकादशी कहते हैं. इसे मुक्कोटि एकदशी, पुत्रदा एकदशी के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन वैकुंठ का उत्तरी द्वार खुलता है. सभी देवता भगवान विष्णु के दर्शन के लिए उस द्वार से जाते हैं.

संकष्टी चतुर्थी-30 दिसंबर को कृष्ण पक्ष की चतुर्थी होने के कारण इसे संकष्ट चतुर्थी या संकष्टहारा चतुर्थी कहा जाता है. इस दिन भगवान गणेश को प्रसन्न करने के लिए चतुर्थी का व्रत रखा जाता है. संस्कृत में संकष्ट शब्द का अर्थ है कठिन समय से मुक्ति।इसलिए इस दिन आपको सभी कठिनाइयों का समाधान करने के लिए कहा जाता है।



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Suman  Mishra | Astrologer

Suman Mishra | Astrologer

एस्ट्रोलॉजी एडिटर

मैं वर्तमान में न्यूजट्रैक और अपना भारत के लिए कंटेट राइटिंग कर रही हूं। इससे पहले मैने रांची, झारखंड में प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया में रिपोर्टिंग और फीचर राइटिंग किया है और ईटीवी में 5 वर्षों का डेस्क पर काम करने का अनुभव है। मैं पत्रकारिता और ज्योतिष विज्ञान में खास रुचि रखती हूं। मेरे नाना जी पंडित ललन त्रिपाठी एक प्रकांड विद्वान थे उनके सानिध्य में मुझे कर्मकांड और ज्योतिष हस्त रेखा का ज्ञान मिला और मैने इस क्षेत्र में विशेषज्ञता के लिए पढाई कर डिग्री भी ली है Author Experience- 2007 से अब तक( 17 साल) Author Education – 1. बनस्थली विद्यापीठ और विद्यापीठ से संस्कृत ज्योतिष विज्ञान में डिग्री 2. रांची विश्वविद्यालय से पत्राकरिता में जर्नलिज्म एंड मास कक्मयूनिकेश 3. विनोबा भावे विश्व विदयालय से राजनीतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री

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