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Ahoi Ashtami Vrat Kab Hai: जानिए कब है अहोई अष्टमी व्रत? शुभ मुहूर्त और महत्व
Ahoi Ashtami Vrat Date and Time: कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाया जाता है। अपनी संतान की लंबी आयु के लिए ये व्रत किया जाता है। जानते हैं इसका मुहूर्त...
Ahoi Ashtami Vrat Kab Hai: अहोई अष्टमी का व्रत हिंदू माताओं के लिए खास है। इस दिन माताएं अपने बच्चों की लंबी उम्र के लिए अहोई माता का व्रत रखती हैं और सन्तान की लंबी उम्र और तरक्की का वरदान मां से मांगती है।अहोई अष्टमी कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि (Ahoi Ashtami 2023 Date) को मनाई जाती है। हर साल कार्तिक मास की अष्टमी तिथि को अहोई अष्टमी का व्रत रखा जाता है। इस दिन माताएं अपनी संतान की लंबी आयु, अच्छे स्वास्थ्य और उज्जवल भविष्य के लिए अहोई माता की पूजा अर्चना करती है। इस व्रत को साल के सबसे कठोर व्रतों में से एक माना जाता है, क्योंकि इस दिन महिलाएं करवा चौथ की तरह की निर्जला व्रत रखती हैं। इस दिन माता अहोई की पूजा करने के साथ भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा करने का विधान है।
अहोई अष्टमी शुभ महूर्त
कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 5 नवंबर 2023 को सुबह 12.59 मिनट से आरंभ हो रही है, जो 6 नवंबर को सुबह 3.08 मिनट पर समाप्त हो रही है। उदया तिथि और तारा देखने के कारण अहोई अष्टमी का व्रत 5 नवंबर को रखा जाएग।
अहोई अष्टमी 2023 तिथि- 5 नवंबर 2023, रविवार
अहोई अष्टमी पूजा मुहूर्त- शाम 5 .33 मिनट से 6. 52 मिनट तक
अहोई अष्टमी तारा को देखने का समय- शाम 5. 58 मिनट पर
अहोई अष्टमी 2023 चंद्रोदय का समय
अहोई अष्टमी के दिन चंद्रोदय का समय- 6 नवंबर को रात 12 . 2 मिनट पर
अहोई अष्टमी का व्रत कार्तिक मास की अष्टमी तिथि को रखा जाता है, जो दिवाली से एक सप्ताह पहले पड़ता है। इस व्रत को महिलाएं अपनी संतान के लिए रखती हैं। इस दिन अहोई माता की तस्वीर के साथ सेई और सई के बच्चों के चित्र की पूजा करने का विधान है। इस दिन कठोर व्रत रखने के बाद शाम को तारों को देखने के बाद व्रत तोड़ने का विधान है।
अहोई अष्टमी की व्रत को लेकर मान्यता है कि जिन महिलाओं को संतान की प्राप्ति नहीं हो रही है या फिर बच्चों की मृत्यु गर्भ में ही हो जाती है, तो उन्हें अहोई अष्टमी व्रत जरूर रखना चाहिए।
अहोई अष्टमी पूजा विधि
अहोई अष्टमी के पावन अवसर पर माताएं अपने बच्चों की लंबी उम्र का आशीर्वाद लेने के लिए व्रत और पूजा करती हैं। पूजा पूरी श्रद्धा और पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ की जाती है।इस दिन व्रत रखने के लिए आपको सुबह जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए और साफ कपड़े धारण करें।इसके बाद पूजा के लिए एक वेदी या पवित्र स्थान का चयन करें। दीवार को साफ करें और उस पर अहोई माता की तस्वीर बनाए या लगाएं। यह छवि आमतौर पर लाल मिट्टी या सिंदूर का उपयोग करके बनाई जाती है या एक मुद्रित चित्र या मूर्ति का उपयोग किया जा सकता है।फिर अहोई माता की तस्वीर के सामने तेल या घी का दीपक जलाएं। आप अहोई माता को फूल, फल और मिठाई या हलवा का भोग लगा सकते हैं। कुछ जगहों पर अहोई माता को दूध और जल भी अर्पित करते हैं।
इसके बाद आप अहोई माता के मंत्रों का पाठ कर सकती हैं।कुछ जगहों पर माताएं अपने बच्चों को अहोई अष्टमी से जुड़ी कथा सुनाती हैं। यह त्यौहार के सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व को युवा पीढ़ी तक पहुंचाने में मदद करता है।पूजा और मंत्रोच्चारण के बाद अहोई माता की आरती करें।न माताएं बिना अन्न या जल ग्रहण किए व्रत रखती हैं। शाम को तारे देखने के बाद ही व्रत खोला जाता है। कुछ महिलाएं आंशिक उपवास भी करती हैं जहां वे फल और दूध का सेवन करती हैं।शाम के समय तारों को देखकर जल देने के बाद ही यह व्रत संपूर्ण माना जाता है और तारों को देखकर जल देने के बाद आप व्रत खोल सकती हैं।