Akshaya Tritiya 2023: जानिए क्यों मनाई जाती है अक्षय तृतीया, इस दिन को मानते हैं सर्वोत्तम मुहूर्त

Akshaya Tritiya 2023: अक्षय संस्कृत का शब्द है जिसका अर्थ है ‘शाश्वत’ यानी जो सदा के लिए है इसीलिए इस दिन किया गया या शुरू किया गया कुछ भी काम हमेशा के लिए या कभी खत्म नहीं होने वाला माना जाता है।

Neel Mani Lal
Published on: 22 April 2023 1:16 PM GMT
Akshaya Tritiya 2023: जानिए क्यों मनाई जाती है अक्षय तृतीया, इस दिन को मानते हैं सर्वोत्तम मुहूर्त
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Akshaya Tritiya 2023 (photo: social media )

Akshaya Tritiya 2023: अक्षय तृतीया का पर्व आखा तीज या अकती के नाम से भी जाना जाता है और इसे हिन्दुओं के अलावा जैन समुदाय के लोग भी मनाते हैं। अक्षय तृतीया को सर्वोत्तम मुहूर्त माना जाता है यानी इस दिन कोई भी नया या शुभ कार्य शुरू किया जा सकता है।

अक्षय यानी जिसका क्षय न हो

अक्षय संस्कृत का शब्द है जिसका अर्थ है ‘शाश्वत’ यानी जो सदा के लिए है इसीलिए इस दिन किया गया या शुरू किया गया कुछ भी काम हमेशा के लिए या कभी खत्म नहीं होने वाला माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि अक्षय तृतीया पर भगवान गणेश और वेद व्यास ने महाकाव्य महाभारत लिखा था। ये भी मान्यता है कि इसी दिन देवी अन्नपूर्णा का जन्म हुआ था। यह भी माना जाता है कि इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने अपने मित्र सुदामा को धन धान्य दिए थे और द्रौपदी को अक्षय पात्र का आशीर्वाद भी दिया था।

अक्षय तृतीया भगवान विष्णु को समर्पित है और पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस दिन त्रेता युग की शुरुआत हुई थी। इस दिन को भगवान विष्णु के छठे अवतार परशुराम जयंती के रूप में भी मनाया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि भगवान विष्णु ने इस ग्रह पर बुराई को नष्ट करने के लिए परशुराम के रूप में पृथ्वी पर पुनर्जन्म लिया था। एक अन्य मान्यता के मुताबिक, अक्षय तृतीया पर ही गंगा का पृथ्वी पर अवतरण हुआ था। यमुनोत्री मंदिर और गंगोत्री मंदिर छोटा चार धाम तीर्थ यात्रा के दौरान अक्षय तृतीया के शुभ अवसर पर अभिजीत मुहूर्त पर खोले जाते हैं। यदि अक्षय तृतीया सोमवार (रोहिणी) को पड़ती है, तो त्योहार और भी शुभ माना जाता है। माना जाता है कि इस शुभ दिन पर कुबेर धन के देवता नियुक्त किए गए थे।

जैन धर्म

जैन धर्म में, अक्षय तृतीया का बहुत महत्व है। जैन धर्म की मान्यता के अनुसार, पहले तीर्थंकर भगवान ऋषभनाथ ने एक वर्ष की तपस्या करने के बाद वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि अर्थात अक्षय तृतीया के दिन इक्षु रस (गन्ने का रस) से अपनी तपस्या का पारण किया था। इस कारण जैन समुदाय में यह दिन विशेष माना जाता है। भगवान ऋषभनाथ का जन्म चैत्र कृष्ण की नवमी तिथि के दिन हुआ था। उन्हें भगवान आदिनाथ के नाम से भी जाना जाता है। उन्होंने अपने सांसारिक जीवन में वर्षों तक सुखपूर्वक राज्य किया। फिर अपने पांच पुत्रों के बीच राज्य का बंटवारा कर वे सांसारिक जीवन को त्यागकर दिगंबर तपस्वी बन गए थे।

Neel Mani Lal

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