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Amla Navami 2021 Date Shubh Muhurat: अक्षय नवमी कब है शुभ मुहूर्त, जानिए इस दिन क्या करने से बढ़ती है समृद्धि

Amla Navami 2021 Date Shubh Muhurat: आंवली नवमी के दिन महिलाएं परिवार की सुख और शांत के लिए आंवला के वृक्ष की परिक्रमा लगाकर पूजा करती है। साथ ही आंवला के वृक्ष के नीचे पकवान बनाकर अपना व्रत खोलती हैं। इस दिन आंवला वृक्ष की पूजा का महत्व है।

Suman  Mishra | Astrologer
Published on: 11 Nov 2021 11:15 AM IST (Updated on: 11 Nov 2021 10:12 PM IST)
Amla Navami 2021
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सांकेतिक तस्वीर ( सौ. से सोशल मीडिया)

आंवला नवमी 2021 में कब है?

आंवला नवमी कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन दान-धर्म का बहुत अधिक महत्व होता है। ऐसी मान्यता है कि आवंला नवमी के दिन जो भी दान किया जाता है, उसका लाभ अगले जन्म में भी मिलता है।आंवला नवमी 12 नवंबर को मनाया जाएगा। इस दिन को अक्षय नवमी भी कहते हैं।

आंवली नवमी के दिन महिलाएं परिवार की सुख और शांत के लिए आंवला के वृक्ष की परिक्रमा लगाकर पूजा करती है। साथ ही आंवला के वृक्ष के नीचे पकवान बनाकर अपना व्रत खोलती हैं। इस दिन आंवला वृक्ष की पूजा का महत्व है।

आंवला नवमी 2021 शुभ मुहूर्त

  • आंवला नवमी इस साल 12 नवंबर, शुक्रवार को है। 12 नवंबर 2021 दिन शुक्रवार को सुबह 06 बजकर 50 मिनट से दोपहर 12 बजकर 10 मिनट तक पूजन का शुभ मुहूर्त है।
  • नवमी तिथि प्रारंभ- 12 नवंबर 2021, दिन शुक्रवार को सुबह 05 बजकर 51 मिनट से प्रारंभ होगी, 13 नवंबर, शनिवार को सुबह 05 बजकर 30 मिनट तक रहेगी।
    • रवि योग 02:54 PM से 06:14 AM, Nov 13

अक्षय नवमी का क्या महत्व है?

महिलाएं आंवला नवमी के दिन स्नान आदि करके किसी आंवला वृक्ष के समीप जाएं। उसके आसपास साफ-सफाई करके आंवला वृक्ष की जड़ में शुद्ध जल अर्पित करें। फिर उसकी जड़ में कच्चा दूध डालें। पूजन सामग्रियों से वृक्ष की पूजा करें और उसके तने पर कच्चा सूत या मौली 8 परिक्रमा करते हुए लपेटें। कुछ जगह 108 परिक्रमा भी की जाती है। इसके बाद परिवार और संतान के सुख-समृद्धि की कामना करके वृक्ष के नीचे ही बैठकर परिवार, मित्रों सहित भोजन किया जाता है।

कार्तिक मास में स्नान दान का बहुत महत्व होता है। इस माह के शुक्ल पक्ष की नवमी को अक्षय नवमी कहते हैं। इस दिन को आंवला नवमी भी कहा जाता हैं। कहते हैं कि इस दिन स्नान करने से अक्षय फल मिलता है। इस साल हिंदू पंचांग के अनुसार 12 नवंबर को अक्षय नवमी की पूजा है।


सांकेतिक तस्वीर ( सौ. से सोशल मीडिया)

अक्षय नवमी के दिन क्या करना चाहिए?

पेड़ में लक्ष्मी का वास

इस दिन स्नान, पूजन, तर्पण और अन्न दान करने से हर मनोकामना पूरी होती है। अक्षय नवमी के दिन आंवले के पेड़ की पूजा करने का नियम है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार आंवले का पेड़ भगवान विष्णु को प्रिय है, क्योंकि इसमें लक्ष्मी का वास होता है। इसलिए इसकी पूजा करने से मनोकामना पूरी होती है।

करें आंवला पेड़ की पूजा

इस दिन गुप्त दान करना शुभ माना जाता है। आंवला के पेड़ के नीचे भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। दीया जलाया जाता है, परिक्रमा कर रक्षा सूत्र बांधा जाता है। इस दिन पेड़ के नीचे बैठकर खाना खाने से अच्छा फल मिलता हैं। ये तिथि बहुत ही शुभ होती है। इसलिए इस दिन कई शुभ काम शुरू किए जाते हैं।


अक्षय नवमी की पूजा विधि

  • आंवला नवमी के दिन आवंला की पूजा करने के लिए सूर्योदय से पहले उठकर स्नान कर लेना चाहिए। फिर आंवले की पेड़ की पूजा करनी चाहिए। महिलाएं आंवला वृक्ष की 108 परिक्रमा लगाकर पूजा करती है। आंवला पेड़ पर कच्चा दूध, हल्दी, रौली लगाया जाता है। इसके बाद आंवला पेड़ की परिक्रमा कर व्रती महिलाएं मौली बांधती है।
  • हिन्दू धर्म की मान्यता है कि अक्षय नवमी पर मां लक्ष्मी ने पृथ्वी लोक में भगवान विष्णु एवं शिव की पूजा आंवले के रूप में की गयी थी और इसी पेड़ के नीचे बैठकर भोजन ग्रहण किया था। अगर आप किसी भी कारणवश आप इस दिन आंवले के पेड़ की पूजा नहीं कर पा रहे हैं या उसके नीचे बैठकर भोजन ग्रहण नहीं कर पा रहे हैं तो इस दिन आंवला जरूर खाएं।
  • इस दिन सुबह स्नान कर दाहिने हाथ में जल, चावल, फूल आदि लेकर व्रत का संकल्प किया जाता है। इस दिन आंवला जरूर खाएं। बहुत शुभ होता है। आंवले का रस मिलाकर नहाएं। ऐसा करने से आपके ईर्द-गिर्द जितनी भी नेगेटिव ऊर्जा होगी, वह समाप्त हो जाती है। सकारात्मकता और पवित्रता बढ़ती है। फिर आंवले के पेड़ और देवी लक्ष्मी का पूजन करें। ऐसा करने से पाप कर्म पुण्य में बदल जाते हैं।
Suman  Mishra | Astrologer

Suman Mishra | Astrologer

एस्ट्रोलॉजी एडिटर

मैं वर्तमान में न्यूजट्रैक और अपना भारत के लिए कंटेट राइटिंग कर रही हूं। इससे पहले मैने रांची, झारखंड में प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया में रिपोर्टिंग और फीचर राइटिंग किया है और ईटीवी में 5 वर्षों का डेस्क पर काम करने का अनुभव है। मैं पत्रकारिता और ज्योतिष विज्ञान में खास रुचि रखती हूं। मेरे नाना जी पंडित ललन त्रिपाठी एक प्रकांड विद्वान थे उनके सानिध्य में मुझे कर्मकांड और ज्योतिष हस्त रेखा का ज्ञान मिला और मैने इस क्षेत्र में विशेषज्ञता के लिए पढाई कर डिग्री भी ली है Author Experience- 2007 से अब तक( 17 साल) Author Education – 1. बनस्थली विद्यापीठ और विद्यापीठ से संस्कृत ज्योतिष विज्ञान में डिग्री 2. रांची विश्वविद्यालय से पत्राकरिता में जर्नलिज्म एंड मास कक्मयूनिकेश 3. विनोबा भावे विश्व विदयालय से राजनीतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री

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