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Anandadi Yoga In Astrology: ज्योतिष में आनंदादि योग क्या है, जानते हैं इसके शुभ-अशुभ प्रभाव के बारे में

Anandadi Yoga In Astrology:आनंदादि योग क्या है, कितने तरह का होता है, जानिए इसके प्रभाव और महत्व...

Suman  Mishra | Astrologer
Published on: 22 Jan 2025 9:08 AM IST
Anandadi Yoga Astrology
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Anandadi Yoga Astrology : ज्योतिष शास्त्र में पंचांग के पांच अंगों में से एक है आनंदादि योग, जो विशेष रूप से करण और वार के आधार पर होता है। यह योग व्यक्ति के जीवन में सुख-दुख, सफलता-असफलता, और अन्य घटनाओं को प्रभावित करता है।

आनंदादि योग का मतलब

"आनंदादि" शब्द का अर्थ है आनंद से शुरू होने वाला। इसमें कुल 27 योग होते हैं, जिनमें से प्रत्येक का अलग-अलग प्रभाव होता है। ये योग किसी दिन विशेष के लिए शुभ या अशुभ माने जाते हैं और इसका निर्धारण चंद्रमा की स्थिति और गणनाओं से होता है।पंचांग में तिथि, नक्षत्र, योग, करण और वार ये पांच अंग महत्व पूर्ण होते हैं, परंतु इसी के साथ ही मास, मुहूर्त, आनन्दादि योग और सम्वत्सर को भी बहुत महत्वपूर्ण मानया गया है जिन्हें मिलाकर ही संपूर्ण फलादेश निकलता है। आओ जानते हैं कि योग कितने होते हैं और आनन्दादि योग क्या हैं एवं ये कितने होते हैं।

आनंदादि योग कितने होते है.

सात वारों तथा अभिजीत सहित अश्विनी आदि अट्ठाईस नक्षत्रों को मिलाने से आन्दादि 28 योग बनते हैं। सूर्य तथा चन्द्रमा के राशि अंशों के मेल से बनने वाले योग 27 होते हैं। इसी प्रकार वार तथा नक्षत्रों के विशेष संयोजन से 28 योग बनते हैं जिन्हें 'आनन्दादि' योग कहते हैं। 27 योगों को तीन श्रेणियों में बांटा गया है:

पहला शुभ योग: ये योग सौभाग्य, सुख, और सफलता प्रदान करते हैं।

दूसरा मध्यम योग: इनका प्रभाव सामान्य होता है, न बहुत अच्छा और न बहुत बुरा।

तीसरा अशुभ योग: ये योग बाधा, कष्ट, और असफलता का संकेत देते हैं।

इसका निर्धारण वार और करण के योग से किया जाता है। शुभ योग: आनंद, सिद्धि, शुभ, अमृत, सौभाग्य, और सर्वार्थसिद्धि।

अशुभ योग: मृत्यु, विष, कष्ट, व्याघात, और गुलिक।

आनंदादि योग शुभ और अशुभ समय का प्रभाव

शुभ असर में किसी भी शुभ कार्य (जैसे विवाह, गृह प्रवेश, व्यापार की शुरुआत) के लिए उत्तम माने जाते हैं।इन योगों में किए गए कार्यों से सफलता और समृद्धि मिलती है।व्यक्ति के मन में शांति और आनंद की अनुभूति होती है।

अशुभ योग का प्रभाव:इन योगों में शुभ कार्य करना वर्जित माना जाता है।किसी भी नए कार्य की शुरुआत अशुभ परिणाम दे सकती है।विवाद, स्वास्थ्य समस्याएं, और आर्थिक कष्ट हो सकते हैं।

आनंदादि योग 27 योग के नाम स्वामी

योग-स्वामी

विष्कुम्भ-यमराज

प्रीति -विष्णु

आयुष्मान-चन्द्रमा

सौभाग्य-ब्रह्मा

शोभन-बृहस्पति

अतिगण्ड-चन्द्रमा

सुकर्मा-चन्द्र

धृति-जल

शूल-सर्प

गण्ड-अग्नि

वृद्धि-सूर्य

ध्रुव-भूमि

व्याघात-वायु

हर्षण-भग

वङ्का-वरुण

सिद्धि-गणेश

व्यतिपात-रुद्र

वरीयान-कुबेर

परिघ-विश्वकर्मा

शिव-मित्र

सिद्ध-कार्तिकेय

साध्य-सावित्री

शुभ-लक्ष्मी

शुक्ल-पार्वती

ब्रह्म-अश्विनीकुमार

ऐन्द्र-पितर

वैधृति-दिति

योग के नाम और फल

आनन्द- सिद्धि-

कालदण्ड- मृत्यु-

धुम्र- असुख-

धाता/प्रजापति- सौभाग्य-

सौम्य- बहुसुख-

ध्वांक्ष- धनक्षय-

केतु/ध्वज- सौभाग्य-

श्रीवत्स- सौख्यसम्पत्ति-

वज्र- क्षय-

मुद्गर- लक्ष्मीक्षय-

छत्र- राजसन्मान-

मित्र- पुष्टि-

मानस- सौभाग्य-

पद्म- धनागम-

लुम्बक- धनक्षय-

उत्पात- प्राणनाश-

मृत्यु- मृत्यु-

काण- क्लेश-

सिद्धि- कार्यसिद्धि-

शुभ- कल्याण-

अमृत- राजसन्मान-

मुसल- धनक्षय-

गद- भय-

मातङ्ग- कुलवृद्धि-

राक्षस- महाकष्ट-

चर- कार्यसिद्धि-

स्थिर- गृहारम्भ-

वर्धमान- विवाह-

रविवार को अश्विनी नक्षत्र से गिने, सोमवार को मृगशिरा से गिने, मंगलवार को आश्लेषा से गिने, बृहस्पतिवार को अनुराधा से गिने, शुक्रवार को उत्तराषाढ़ा से गिने और शनिवार को शतभिषा से गिने। रविवार को अश्विनी हो तो आनन्द योग, भरणी हो तो कालदण्ड इत्यादि इस क्रम में योग जानेंगे। इसी प्रकार से सोमवार को मृगशिरा हो तो आनन्द, आद्रा हो तो कालदण्ड इत्यादि क्रम से जानें।शुभ कार्यों की योजना बनाते समय पंचांग में योग का अध्ययन किया जाता है।अशुभ योग के समय विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है।किसी भी कार्य में सफलता पाने के लिए योग के साथ ग्रहों और नक्षत्रों का भी ध्यान रखना आवश्यक है।

आनंदादि योग का सही इस्तेमाल जीवन को सरल और सफल बनाने में सहायक होता है। शुभ योगों में कार्य करने से लाभ होता है, जबकि अशुभ योगों में कार्य करने से बचाव और उपाय आवश्यक है। इसलिए पंचांग और ज्योतिषीय गणनाओं का ध्यान रखते हुए ही महत्वपूर्ण निर्णय लेना चाहिए।


नोट : ये जानकारियां धार्मिक आस्था और मान्यताओं पर आधारित हैं। Newstrack.com इसकी पुष्टि नहीं करता है।इसे सामान्य रुचि को ध्यान में रखकर लिखा गया है



Suman  Mishra | Astrologer

Suman Mishra | Astrologer

एस्ट्रोलॉजी एडिटर

मैं वर्तमान में न्यूजट्रैक और अपना भारत के लिए कंटेट राइटिंग कर रही हूं। इससे पहले मैने रांची, झारखंड में प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया में रिपोर्टिंग और फीचर राइटिंग किया है और ईटीवी में 5 वर्षों का डेस्क पर काम करने का अनुभव है। मैं पत्रकारिता और ज्योतिष विज्ञान में खास रुचि रखती हूं। मेरे नाना जी पंडित ललन त्रिपाठी एक प्रकांड विद्वान थे उनके सानिध्य में मुझे कर्मकांड और ज्योतिष हस्त रेखा का ज्ञान मिला और मैने इस क्षेत्र में विशेषज्ञता के लिए पढाई कर डिग्री भी ली है Author Experience- 2007 से अब तक( 17 साल) Author Education – 1. बनस्थली विद्यापीठ और विद्यापीठ से संस्कृत ज्योतिष विज्ञान में डिग्री 2. रांची विश्वविद्यालय से पत्राकरिता में जर्नलिज्म एंड मास कक्मयूनिकेश 3. विनोबा भावे विश्व विदयालय से राजनीतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री

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