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Anant Chaturdashi 2024: अनंत चतुर्दशी को लेकर बढ़ाये अपना ज्ञान, जानिए इस दिन और बनने वाले 14 गांठों का महत्व

Anant Chaturdashi 2024 Date Time : अनंत चतुर्दशी का दिन भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है। इसी दिन भगवान गणेश का भी विदाई और विसर्जन होता है। जानते हैं कब

Suman  Mishra | Astrologer
Published on: 17 Sept 2024 7:45 AM IST (Updated on: 17 Sept 2024 7:46 AM IST)
Anant Chaturdashi 2024: अनंत चतुर्दशी को लेकर बढ़ाये अपना ज्ञान, जानिए इस दिन और बनने वाले 14 गांठों का महत्व
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Anant Chaturdashi 2024 Date Time: भाद्रपद माह के शुक्लपक्ष की चतुर्दशी तिथि भगवान गणेश की विदाई का दिन अनंत चतुर्दशी का व्रत भी रखा जाता है और इस दिन अनंत भगवान की पूजा की जाती है। भविष्य पुराण में इस व्रत की महिमा का वर्णन है। इस बार 17 सितंबर को अनंत चतुर्दशी है। मान्यता है कि अनंत भगवान की पूजा करने और व्रत रखने से हमारे सभी कष्ट दूर होते हैं। इस दिन संकटों से सबकी रक्षा करने वाला अनंतसूत्र बांधा जाता है, इससे सभी कष्टों का निवारण होता है। ये 12 घंटे, 24 घंटे और एक साल के लिए होता है।

अनंत चतुर्दशी की पूजा विधि

इस दिन सुबह स्नानादि के बाद भगवान विष्णु और अनंत सूत्र की षोडशोपचार विधि से पूजा शुरू करें और अनंत सूत्र को बांधते समय इस मंत्र का जाप जरूर करें।कलश की स्थापना कि जाती है जिसमे कमल का फूल रखते हैं और कुशा का सूत्र अर्पित किया जाता है।भगवान एवं कलश को कुमकुम, हल्दी का तिलक लगाया जाता है। कुशा सूत्र को हल्दी से रंगा जाता है।

अनंत देव का आवाहन कर दूप दीप एवं नैवेद्य का भोग लगाया जाता है। इस दिन खीर पूरी का भोग लगाने कि परम्परा है। उसके पश्चात सभी के हाथों में रक्षा सूत्र बांधा जाता है।इस दिन कच्चे धागों से बने 14 गांठ वाले धागे को बाजू में बांधने का विशेष महत्व है। इससे शेषनाग पर शयन करने वाले भगवान विष्णु की अनंत कृपा प्राप्त होती है।

कच्चे सूत से बना यह धागा चमत्कारी होता है यदि इसे विधि विधान से बांधा जाए। यह धागा पूरे साल पुरुषों की दाहिनी कलाई और महिलाओं की बायीं कलाई पर रहना चाहिए। यदि आप ऐसा करने में सफल हो जाता हैं तो जीवन की तमाम समस्याओं से मुक्ति मिल जाती है और घर धन धान्य से भरा रहता है।

अनंत संसार महासुमद्रे मग्रं समभ्युद्धर वासुदेव।

अनंतरूपे विनियोजयस्व ह्रानंतसूत्राय नमो नमस्ते।

पूजन के बाद अनंत सूत्र को अपनी बाजू पर बांध लें। पुरुष अपने दाएं हाथ में और महिलाएं बाएं हाथ पर इस रक्षा सूत्र को बांधे। ऐसा करने के बाद ब्राह्मणों को भोजन कराएं और सपरिवार प्रसाद ग्रहण करें।

अनंत चतुर्दशी का धागा बांधने के बाद ना करें ये काम

अनंत धागा बांधने के बाद आपको मांसाहार नहीं करना चाहिए। इसके अलावा इस धागे का निरादर नहीं करना चाहिए। कम से कम 14 दिन बांधने के बाद उसका किसी नदी में विसर्जन करना चाहिए। इसे पूरे साल बांधते हैं तो भगवान विष्णु की अनंत कृपा मिलती है। अपमान करने पर पाप के भागी होते हैं।

व्रत के धागा के बाद सात्विक जीवन का पालन करना चाहिए । किसी की चुगली और मजाक नहीं उड़ाना चाहिए । और ना किसी को कम आंकना चाहिए।

अनंत चतुर्दशी का शुभ मुहूर्त

चतुर्दशी तिथि प्रारम्भ- 16 सितम्बर 2024 को दोपहर बाद 03:10 बजे से।

चतुर्दशी तिथि समाप्त- 17 सितम्बर 2024 को सुबह 11:44 बजे तक।

अनन्त चतुर्दशी पूजा मुहूर्त- प्रात: 06:07 से सुबह 11:44 तक।

गणेश विसर्जन के लिए शुभ चौघड़िया

प्रातः मुहूर्त (चर, लाभ, अमृत)- सुबह 09:11 से दोपहर 01:47 के बीच।

अपराह्न मुहूर्त (शुभ)- दोपहर बाद 03:19 से 04:41 के बीच।

सायाह्न मुहूर्त (लाभ)- रात्रि 07:51 से रात्रि 09:19 के बीच।

अनंत चतुर्दशी पूजा के लिए शुभ महुर्त

ब्रह्म मुहूर्त- प्रात: 04:33 से 05:30 तक।

प्रातः सन्ध्या- प्रात: 04:47 से 06:07 तक।

अमृत काल- सुबह 07:29 से 08:54 तक।

अभिजीत मुहूर्त- सुबह 11:51 से 12:40 तक।

विजय मुहूर्त- दोपहर बाद 02:18 से 03:07 तक

गोधूलि मुहूर्त- शाम 06:23 से 06:47 तक।

सायाह्न सन्ध्या- शाम 06:23 से 07:34 तक।

श्री गणेश विसर्जन मंत्र

यान्तु देवगणा: सर्वे पूजामादाय मामकीम्।

इष्टकामसमृद्धयर्थं पुनर्अपि पुनरागमनाय च॥

श्री गणेश विसर्जन मंत्र

गच्छ गच्छ सुरश्रेष्ठ स्वस्थाने परमेश्वर।

मम पूजा गृहीत्मेवां पुनरागमनाय च॥




Suman  Mishra | Astrologer

Suman Mishra | Astrologer

एस्ट्रोलॉजी एडिटर

मैं वर्तमान में न्यूजट्रैक और अपना भारत के लिए कंटेट राइटिंग कर रही हूं। इससे पहले मैने रांची, झारखंड में प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया में रिपोर्टिंग और फीचर राइटिंग किया है और ईटीवी में 5 वर्षों का डेस्क पर काम करने का अनुभव है। मैं पत्रकारिता और ज्योतिष विज्ञान में खास रुचि रखती हूं। मेरे नाना जी पंडित ललन त्रिपाठी एक प्रकांड विद्वान थे उनके सानिध्य में मुझे कर्मकांड और ज्योतिष हस्त रेखा का ज्ञान मिला और मैने इस क्षेत्र में विशेषज्ञता के लिए पढाई कर डिग्री भी ली है Author Experience- 2007 से अब तक( 17 साल) Author Education – 1. बनस्थली विद्यापीठ और विद्यापीठ से संस्कृत ज्योतिष विज्ञान में डिग्री 2. रांची विश्वविद्यालय से पत्राकरिता में जर्नलिज्म एंड मास कक्मयूनिकेश 3. विनोबा भावे विश्व विदयालय से राजनीतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री

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