TRENDING TAGS :
Apara Ekadashi 2023 Kab Hai अपरा एकादशी व्रत 2023 कब हैं, जानिए मुहूर्त, पूजा-विधि , महत्व और पारण का समय
Apara Ekadashi 2023 Kab Hai- अपरा एकादशी का व्रत ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष में होता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से हर पाप का अंत होता है। और मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है।
Apara Ekadashi 2023 Kab Hai
अपरा एकादशी व्रत 2023 कब हैं
हिंदू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को अपरा एकादशी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन भक्त भगवान विष्णु की पूजा करने के साथ व्रत भी रखते है। मान्यतााओं के अनुसार अपरा एकादशी के दिन व्रत रखने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
Also Read
अपरा एकादशी के व्रत के प्रभाव से ब्रह्म हत्या, भूत योनि, दूसरे की निंदा आदि के सब पाप दूर हो जाते हैं। इस व्रत के करने से परस्त्री गमन, झूठी गवाही देना, झूठ बोलना, झूठे शास्त्र पढ़ना या बनाना, झूठा ज्योतिषी बनना तथा झूठा वैद्य बनना आदि सब पाप नष्ट हो जाते हैं। जो क्षत्रिय युद्ध से भाग जाए वे नरकगामी होते हैं, परंतु अपरा एकादशी का व्रत करने से वे भी स्वर्ग को प्राप्त होते हैं।
कहा जाता है कि जो व्यक्ति अपरा एकादशी को श्री मन नारायण के विष्णु स्वरुप की पूजा पुरे मनोभाव से करता है वो सब पापों से मुक्त होकर गोलोक में चला जाता है। बता दें कि इस दिन श्री विष्णुजी को पंचामृत, रोली,मोली,गोपी चन्दन,अक्षत,पीले पुष्प,ऋतुफल,मिष्ठान आदि अर्पित कर धूप-दीप से आरती उतारकर दीप दान करना चाहिए।
पदम पुराण के मुताबिक इस दिन भगवान विष्णु की पूजा उनके वामन स्वरूप में ही की जाती है। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान शिव के बालों से मां भद्रकाली प्रकट हुई थी इसलिए इसे भद्रकाली एकादशी भी कहा जाता हैं। इसके अलावा अपरा एकादशी को अचला एकादशी एवं जलक्रीड़ा एकादशी के नाम से भी जाना जाता है।
अपरा एकादशी व्रत का शुभ मुहूर्त
15 मई (सोमवार), 02:46 AM बजे शुरू होगी और 16 मई 2023, 01:03 AM बजे पर समाप्त हो जाएगी। शास्त्रों में उदया तिथि के अनुसार ही एकादशी का व्रत मान्य होता है। इसलिए 15 मई (सोमवार) के दिन अपरा एकादशी का व्रत रखा जाएगा।
- अपरा एकादशी तिथि प्रारंभ- 15 मई 2023, 02:46 AM बजे
- अपरा एकादशी तिथि का समापन- 16 मई 2023, 01:03 AM बजे
- अपरा एकादशी व्रत पारण मुहूर्त-17 मई06:41 से 08:13 AM तक
अपरा एकादशी की पूजन -विधि
अपरा एकादशी को श्री मन नारायण के विष्णु स्वरुप की पूजा की जाती है।कहा जाता है कि इस दिन व्रत रखकर पूजन करने से मनुष्य सब पापों से मुक्त हो गोलोक में चला जाता है। इस दिन पूजन के समय विष्णुजी को पंचामृत, रोली,मोली,गोपी चन्दन,अक्षत,पीले पुष्प,ऋतुफल,मिष्ठान आदि अर्पित कर धूप-दीप से आरती उतारकर दीप दान करने की परम्परा है। मान्यताओं के अनुसार श्री हरि की प्रसन्न करने के लिए तुलसी व मंजरी भी जरूर अर्पित करते हुए 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ' का जप एवं विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करना विशेष रूप से बहुत फलदायी माना जाता है। उल्लेखनीय है कि भक्तों को इस दिन परनिंदा, छल-कपट,लालच, द्धेष की भावनाओं से दूर रहकर भगवान विष्णु को ध्यान में रखते हुए भक्तिभाव से उनका भजन करते हुए यथाशक्ति गरीबों को जरूर दान देना चाहिए। कहा जाता है कि इस दिन जो भक्त प्रभु में चित्त लगाकर इस एकादशी की कथा का श्रवण या वाचन करते हैं उनका लोक -परलोक सब सुधर जाता है।
एकादशी व्रत के दिन भगवान विष्णु की ही पूजा की जाती है लेकिन अपरा एकादशी के दिन मां भद्रकाली का भी व्रत रखा जाता है जिस कारण इस दिन का महत्व और भी ज्यादा बढ़ जाता है। कहा जाता है कि अपरा एकादशी बहुत ही पुण्य प्रदान करने वाली और बड़े-बड़े पातकों का नाश करने वाली होती है। इतना ही नहीं अपरा एकादशी के व्रत के प्रभाव से व्यक्ति के ब्रह्म हत्या,भूत योनि,दूसरे की निंदा,परस्त्रीगमन,झूठी गवाही देना,झूठ बोलना,झूठे शास्त्र पढ़ना या बनाना,झूठा ज्योतिषी बनना तथा झूठा वैद्य बनना आदि जैसे सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। मान्यताओं के अनुसार अपरा एकादशी का व्रत रखने से जाने-अनजाने में किए गए सभी पापों से मुक्ति मिलने के साथ परिवार में सुख शांति एवं समृद्धि का भी निवास होता है।