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April 2023 Me Panchak Kab Hai: 2023 में अप्रैल में कब से कब तक है पंचक का समय, बहुत अनिष्टकारक है ये 5 दिन, रहें सतर्क

April 2023 Me Panchak Kab Hai: अप्रैल 2023 में पंचक कब लगेगा? 15 अप्रैल से लगने वाले पंचक के दिन घनिष्ठा नक्षत्र है। शनिवार को शुरू होने वाला पंचक अनिष्टकारक हैं, इसमें आप कुछ शुभ काम कर सकते हैं।इसे मृत्यु पंचक कहते हैं।

Suman Mishra। Astrologer
Published on: 11 April 2023 9:17 AM GMT
April 2023 Me Panchak Kab Hai: 2023 में अप्रैल में कब से कब तक है पंचक का समय, बहुत अनिष्टकारक है ये 5 दिन, रहें सतर्क
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सांकेतिक तस्वीर,सौ. से सोशल मीडिया

April 2023 me Panchak Kab Hai (अप्रैल में पंचक कब है 2023)

साल 2023 के अप्रैल में पंचक की शुरुआत 15 अप्रैल शाम 06:44 PM बजे से हो रही है। इस बार पंचक की शुरुआत शनिवार को हो रही है। शास्त्रोनुसार शनिवार को शुरू होने वाला पंचक को मृत्यु पंचक, कहते हैं इसमें शुभ काम कर सकते हैं। इस दौरान संभलकर रहना चाहिए, लेकिन शुभ काम भी कर सकते हैं। अनुसार, इस पंचक में यात्रा करने की मनाही है। इस पंचक ( Panchak) में लेन-देन, व्यापार और किसी भी तरह के सौदे करने चाहिए। पंचक मना किए गए कार्य करने से धन हानि हो सकती है।

ज्योतिष में पंचक अशुभ नक्षत्रों का योग है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार समय-समय पर ग्रहों और नक्षत्रों की चाल की गणना के आधार पर किसी मांगलिक कार्य को करने के लिए समय निर्धारित किया जाता है। इसी को शुभ और अशुभ मुहूर्त ( Good-Bad Time)हा जाता है। साल 2023 में अप्रैल में कब से कब तक है पंचक का समय। जानते हैं..

अप्रैल में पंचक की शुरूआत कब से

अप्रैल में पंचक का आरंभ

15 अप्रैल 2023 शनिवार 06:44 PM मृत्यु पंचक,

वैशाख मास की कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि 08:45 PM तक उपरांत एकादशी आरंभ होगा। , श्रवण 07:35 AM तक उपरांत धनिष्ठा 05:51 AM तक उपरांत शतभिषा नक्षत्र रहेगा

पंचक का समापन

19 अप्रैल 2023 बुधवार 11:53 PM पर समाप्त होगा।

पंचक की शुरुआत के दिन नक्षत्र धनिष्ठा और शतभिषा और दशमी तिथि रहेगा।

पंचक के नक्षत्रों का अलग-अलग अशुभ प्रभाव

इस बार मृत्यु पंचक धनिष्ठा नक्षत्र में लग रहा है जो शुभ रहता है। मंगल से जुड़ी चीजों का प्रयोग बहुत सावधानी से करना चाहिए। अग्नि से बचना चाहिए। क्रोध से दूर रहना चाहिए और वाणी को मधुर बनाना चाहिए। इस बार शनिवार को पंचक धनिष्ठा नक्षत्र में लगता है। शतभिषा नक्षत्र में वाद-विवाद होने के योग बनते हैं। पूर्वाभाद्रपद रोग कारक नक्षत्र है यानी इस नक्षत्र में बीमारी होने की संभावना सबसे अधिक होती है। उत्तरा भाद्रपद में धन हानि के योग बनते हैं। रेवती नक्षत्र में नुकसान व मानसिक तनाव होने की संभावना होती है।

पंचक के दौरान ना करें ये काम

  • पंचक में शव का अंतिम संस्कार करने से पहले किसी योग्य पंडित की सलाह अवश्य लेनी चाहिए। यदि ऐसा न हो पाए तो शव के साथ पांच पुतले आटे या कुश (एक प्रकार की घास) से बनाकर अर्थी पर रखना चाहिए और इन पांचों का भी शव की तरह पूर्ण विधि-विधान से अंतिम संस्कार करना चाहिए, तो पंचक दोष समाप्त हो जाता है। ऐसा गरुड़ पुराण में लिखा है।
  • पंचक में चारपाई बनवाना भी अच्छा नहीं माना जाता। विद्वानों के अनुसार ऐसा करने से कोई बड़ा संकट खड़ा हो सकता है। पंचक के दौरान जिस समय घनिष्ठा नक्षत्र हो उस समय घास, लकड़ी आदि जलने वाली वस्तुएं इकट्ठी नहीं करना चाहिए, इससे आग लगने का भय रहता है।
  • पंचक के दौरान दक्षिण दिशा में यात्रा नहीं करनी चाहिए, क्योंकि दक्षिण दिशा, यम की दिशा मानी गई है। इन नक्षत्रों में दक्षिण दिशा की यात्रा करना हानिकारक माना गया है।
  • पंचक के दौरान जब रेवती नक्षत्र चल रहा हो, उस समय घर की छत नहीं बनाना चाहिए, ऐसा विद्वानों का कहना है। इससे धन हानि और घर में क्लेश होता है।
  • इस पंचक में लेन-देन, व्यापार और किसी भी तरह के सौदे भी नहीं करने चाहिए। मना किए गए कार्य करने से धन हानि हो सकती है
  • इस दौरान गृह कार्य का आरंभ नहीं किया जाता है।
  • पंचक में गृह निर्माण नहीं किया जाता है।
  • गृह प्रवेश पंचक में नहीं होता है।
  • मकान का छत ढलाई पंचक में वर्जित होता है।
  • इस दौरान बहु बेटियों को मायके ससुराल नहीं भेजा जाता है।

राज पंचक में कर सकते हैं केवल कुछ शुभ काम


धार्मिक शास्त्रानुसार, पंचक में आने वाले नक्षत्रों में शुभ कार्य हो सकते हैं। पंचक में आने वाला उत्तराभाद्रपद नक्षत्र वार के साथ मिलकर सर्वार्थसिद्धि योग बनाता है, वहीं धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वा भाद्रपद व रेवती नक्षत्र यात्रा, व्यापार, मुंडन आदि शुभ कार्यों में श्रेष्ठ माने गए हैं। पंचक को भले ही अशुभ माना जाता है, लेकिन इस दौरान सगाई, विवाह आदि शुभ कार्य भी किए जाते हैं।

पंचक में आने वाले तीन नक्षत्र पूर्वा भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद व रेवती रविवार को होने से आनंद आदि 28 योगों में से 3 शुभ योग बनाते हैं, ये शुभ योग इस प्रकार हैं- चर, स्थिर व प्रवर्ध। इन शुभ योगों से सफलता व धन लाभ का विचार किया जाता है। इस दौरान यात्रा करना, वाहन खरीदना, मशीनरी संबंधित काम शुरू करना शुभ माना गया है। इसमें स्थिरता वाले काम करने चाहिए जैसे- बीज बोना, गृह प्रवेश, शांति पूजन और जमीन से जुड़े स्थिर कार्य करने में सफलता मिलती है।इस नक्षत्र में कपड़े, व्यापार से संबंधित सौदे करना, किसी विवाद का निपटारा करना, गहने खरीदना आदि काम शुभ माने गए हैं।

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पंचक क्या होता है?

ज्योतिष में पंचक को शुभ नक्षत्र नहीं माना जाता है। इसे अशुभ नक्षत्रों का योग मानते हैं। नक्षत्रों के मेल से बनने वाले विशेष योग को पंचक कहते हैं। जब चन्द्रमा, कुंभ और मीन राशि पर रहता है, तब उस समय को पंचक कहते हैं। ज्योतिष शास्त्र में पंचक को अशुभ माना गया है। पंचक कितने प्रकार का होता है और इसमें कौन-कौन से काम नहीं करने चाहिए। पंचक के दौरान कुछ विशेष काम करने की मनाही है। इसके अंतर्गत धनिष्ठा, शतभिषा, उत्तरा भाद्रपद, पूर्वा भाद्रपद व रेवती नक्षत्र आते है।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार समय-समय पर ग्रहों और नक्षत्रों की चाल की गणना के आधार पर किसी मांगलिक कार्य को करने के लिए समय निर्धारित किया जाता है। इसी को शुभ और अशुभ मुहूर्त कहा जाता है। शुभ मुहूर्त में कार्य करने पर उस काम में सफलता की प्राप्ति होती है, जबकि अशुभ मुहूर्त में किया गया कार्य में कई तरह की बाधाएं उत्पन्न होती है। जब कभी अशुभ नक्षत्र का योग बनता है तब इस योग को पंचक कहा जाता है। ज्योतिष में पंचक को अशुभ माना गया है।

पंचक कब लगता है ?

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पांच नक्षत्रों के संयोग को पंचक कहा जाता है। इन पांच नक्षत्रों में घनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद और रेवती हैं। पंचक का स्वामी ग्रह कुंभ और राशि मीन होती है। प्रत्येक माह आने वाले पंचक में इन पांच नक्षत्रों की भी गणना की जाती है।घनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वा भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद तथा रेवती ये नक्षत्र पर जब चन्द्रमा गोचर करते हैं तो उस काल को पंचक काल कहा जाता है। पंचक निर्माण तभी होता है जब चन्द्रमा कुंभ और मीन राशि पर गोचर करते हैं।

पंचक के प्रकार रोग

पंचक रविवार को शुरू होने वाला पंचक रोग पंचक कहलाता है। इसके प्रभाव से ये पांच दिन शारीरिक और मानसिक परेशानियों वाले होते हैं। इस पंचक में किसी भी तरह के शुभ काम नहीं करने चाहिए। हर तरह के मांगलिक कार्यों में ये पंचक अशुभ माना गया है।

राज पंचक सोमवार को शुरू होने वाला पंचक राज पंचक कहलाता है। ये पंचक शुभ माना जाता है। इसके प्रभाव से इन पांच दिनों में सरकारी कामों में सफलता मिलती है। राज पंचक में संपत्ति से जुड़े काम करना भी शुभ रहता है।

अग्नि पंचक मंगलवार को शुरू होने वाला पंचक अग्नि पंचक कहलाता है। इन पांच दिनों में कोर्ट कचहरी और विवाद आदि के फैसले, अपना हक प्राप्त करने वाले काम किए जा सकते हैं। इस पंचक में अग्नि का भय होता है। इस पंचक में किसी भी तरह का निर्माण कार्य, औजार और मशीनरी कामों की शुरुआत करना अशुभ माना गया है। इनसे नुकसान हो सकता है।

मृत्यु पंचक शनिवार को शुरू होने वाला पंचक मृत्यु पंचक कहलाता है। नाम से ही पता चलता है कि अशुभ दिन से शुरू होने वाला ये पंचक मृत्यु के बराबर परेशानी देने वाला होता है। इन पांच दिनों में किसी भी तरह के जोखिम भरे काम नहीं करना चाहिए। इसके प्रभाव से विवाद, चोट, दुर्घटना आदि होने का खतरा रहता है।

चोर पंचक शुक्रवार को शुरू होने वाला पंचक चोर पंचक कहलाता है। विद्वानों के अनुसार, इस पंचक में यात्रा करने की मनाही है। इस पंचक में लेन-देन, व्यापार और किसी भी तरह के सौदे भी नहीं करने चाहिए। मना किए गए कार्य करने से धन हानि हो सकती है।

बुधवार और गुरुवार को शुरू होने वाले पंचक में ऊपर दी गई बातों का पालन करना जरूरी नहीं माना गया है। इन दो दिनों में शुरू होने वाले दिनों में पंचक के पांच कामों के अलावा किसी भी तरह के शुभ काम किए जा सकते हैं।

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Suman Mishra। Astrologer

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