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51 शक्तिपीठों में अधर देवी का मंदिर, दर्शन से मिलता है मोक्ष

मां अर्बुदा देवी का मंदिर मांउंट आबू से 3 कि.मी. दूर एक पहाड़ी पर स्थित है। अर्बुदा देवी, अधर देवी के नाम से प्रसिद्ध है

Suman  Mishra | Astrologer
Published on: 14 April 2021 1:42 AM GMT
यहां मां अधर करती है मनोकामना पूरी
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अबुर्दा या अधर देवी मंदिर, सोशल मीडिया से

माउंटआबू : राजस्थान (Rajasthan) के माउंटआबू ( Mount Abu) में अर्बुदा देवी का मंदिर जो अधर देवी शक्तिपीठ के नाम से जाना जाता है। यह स्थान 51 शक्तिपीठों में से एक है। माना जाता है कि इस स्थान पर मां पार्वती के होंठ गिरे थे। मां अर्बुदा देवी की पूजा माता कात्यायनी देवी के स्वरूप में की जाती है।

अधर देवी मंदिर माउंट आबू का लोकप्रिय पर्यटन स्थल (tourist spot) है। यह मंदिर ऊँची चोटी पर है और देवी दुर्गा को समर्पित है। इस मंदिर (Temple) तक पहुँचने के लिए भक्त 365 सीढियां चढ़कर यहाँ आते हैं जिसमें प्रत्येक सीढ़ी एक वर्ष के एक दिन का प्रतीक है। लंबी यात्रा भक्तों को रोक नहीं पाती जो बड़ी संख्या में यहाँ देवी दुर्गा का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए आते हैं। इस बार कोरोना के कारण माता के दर्शन असंभव है।

हजारों साल पुराना मंदिर

यह मंदिर एक प्राकृतिक गुफा में प्रतिष्ठित है। इस मंदिर की स्थापना साढ़े पांच हजार वर्ष पूर्व हुई थी। नवरात्रि ( Navratri) में अष्टमी की रात्रि यहां महायज्ञ होता है जो नवमी के सुबह तक पूर्ण होता है। नवरात्रों में यहां निरंतर दिन-रात अखंड़ पाठ होता है। मां अर्बुदा देवी का मंदिर मांउंट आबू से 3 कि.मी. दूर एक पहाड़ी पर स्थित है। अर्बुदा देवी, अधर देवी और अम्बिका देवी के नाम से प्रसिद्ध है।


मां अधर देवी की प्रतिमा, सोशल मीडिया से

देवी के इस अंग की वजह से पड़ा शक्तिपीठ का नाम

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस स्थान पर मां पार्वती के होंठ गिरे थे। तभी से यह स्थान अधर देवी के नाम से जाना जाता है। अर्बुदा देवी ( Arbuda Devi Temple) की पूजा छठे दिन माता कात्यायनी के स्वरूप में की जाती है। भक्तजन मंदिर में सैकड़ों मीटर की यात्रा के पश्चात 350 सीढ़ियों को चढ़कर के मां के दर्शनों के लिए आते हैं।


अधर देवी मंदिर की 365 सीढियां, सोशल मीडिया से

पुराणों में प्रमाण

पौराणिक मान्यता के अनुसार नवरात्र के दिनों में माता के दर्शन मात्र से व्यक्ति को प्रत्येक दुखों से मुक्ति मिल जाती है और भक्तों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। नवरात्रि के छठे दिन मां अर्बुदा अर्थात माता कात्यायनी के दर्शनों के लिए यहां भक्तों की सुबह से ही भीड़ जमा हो जाती है। यहां पर अर्बुदा देवी का चरण पादुका मंदिर भी स्थित है। माता के चरण पादुका के नीचे उन्होंने बासकली राक्षस का संहार किया था। मां कात्यायनी के बासकली वध की कथा पुराणों में मिलती है।

इस पौराणिक कथा का साक्ष्य

एक पौराणिक कथा के अनुसार दैत्य राजा कली जिसको बासकली के नाम से जाना जाता था। उसने हजारों वर्ष तप करके भोलेनाथ को प्रसन्न कर उनसे अजेय होने का वर प्राप्त किया। बासलकी वरदान प्राप्त कर घमंड से चूर हो गया। उसने देवलोक में इंद्र सहित सभी देवताओं को कब्जे में कर लिया। देवता उसके आतंक से दुखी होकर जंगलों में छिप गए। देवताओं ने कई वर्षों तक तप करके मां अर्बुदा देवी को प्रसन्न किया। माता ने प्रसन्न होकर तीन स्वरूपों में दर्शन दिया।


मां कात्यायनी शक्तिपीठ का रास्ता,सोशल मीडिया से


देवताओं ने माता से बासकली से मुक्ति दिलाने का वर मांगा। मां ने उन्हें तथास्तु कहा। माता ने बासकली राक्षस को अपने चरणों से दबा कर उसे मुक्ति प्रदान की। उसके पश्चात यहां मां के चरण पादुका की पूजा होने लगी। स्कंद पुराण ( Skanda Purana ) में अर्बुद खंड में माता के चरण पादुका की महिमा है। कहा जाता है कि मां के चरण पादुका के दर्शन मात्र से ही मोक्ष की प्राप्ति होती है। इनकी पूजा कुलदेवी के रुप में भी होती है।

पादुका के दर्शन मात्र से ही मोक्ष यानि सदगति मिलने की बात भी कही गई है। एक ऋषि ने मां भगवती की कठोर तपस्या की थी। जब दानव महिषासुर का संहार करने के लिये, त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु तथा महेश ने अपने तेज का एक-एक अंश देकर देवी को उत्पन्न किया था तब महर्षि कात्यायन ने ही सर्वप्रथम इनकी पूजा की थी। इसी वजह से ये कात्यायनी कहलायीं।

Suman  Mishra | Astrologer

Suman Mishra | Astrologer

एस्ट्रोलॉजी एडिटर

मैं वर्तमान में न्यूजट्रैक और अपना भारत के लिए कंटेट राइटिंग कर रही हूं। इससे पहले मैने रांची, झारखंड में प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया में रिपोर्टिंग और फीचर राइटिंग किया है और ईटीवी में 5 वर्षों का डेस्क पर काम करने का अनुभव है। मैं पत्रकारिता और ज्योतिष विज्ञान में खास रुचि रखती हूं। मेरे नाना जी पंडित ललन त्रिपाठी एक प्रकांड विद्वान थे उनके सानिध्य में मुझे कर्मकांड और ज्योतिष हस्त रेखा का ज्ञान मिला और मैने इस क्षेत्र में विशेषज्ञता के लिए पढाई कर डिग्री भी ली है Author Experience- 2007 से अब तक( 17 साल) Author Education – 1. बनस्थली विद्यापीठ और विद्यापीठ से संस्कृत ज्योतिष विज्ञान में डिग्री 2. रांची विश्वविद्यालय से पत्राकरिता में जर्नलिज्म एंड मास कक्मयूनिकेश 3. विनोबा भावे विश्व विदयालय से राजनीतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री

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