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Ashad 2022 Kab Se Lagega: आषाढ़ का महीना कब से लगेगा? जानिए इस पवित्र मास में चंद्र दर्शन का महत्व और व्रत-त्योहार

Ashad 2022 Kab Se Lagega: आषाढ़ का महीना 15 जून से शुरू हो रहा है। इस दिन मिथुन संक्रांति है।सूर्य वृष से मिथुन राशि में जायेंगे और चन्द्रमा धनु राशि पर संचार करेगा। इस मास की शुरुआत शुक्ल योग और पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में हो रही है। यह भगवान विष्णु को अति प्रिय है।

Suman  Mishra | Astrologer
Published on: 15 Jun 2022 8:30 AM IST (Updated on: 15 Jun 2022 1:56 PM IST)
Ashad 2022 Kab Se Lagega
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सांकेतिक तस्वीर, सौ. से सोशल मीडिया

Ashad Ka Mahina 2022

आषाढ़ कब से लगेगा?

हिंदू पंचांग के अनुसार आषाढ़ मास चौथा मास होता है। इस माह में वर्षा होगी है। इस मास का महत्व बहुत है। इस मास में भगवान विष्णु 4 माह के लिए चिरनिद्रा में जाकर विश्राम करते है। इस साल आषाढ़15 जून से व्रत, पूजा, साधना भक्ति का महीना आषाढ़ मास(Ashad Mass 2022) शुरू हो रहा है। यह समय बारिश(Rain) का होता है इसलिए कहा जाता है कि इस दौरान साफ पानी ही पीना चाहिए। आषाढ़ मास(Ashad 2021) के शुक्ल पक्ष की देवशयनी एकादशी से चातुर्मास या चौमासा भी शुरू हो जाता है और देवी देवता विश्राम करने चले जाते हैं इसलिए इस अवधि में शादी ब्याह(Shadi lagan) जैसे तमाम शुभ कार्य बंद कर दिये जाते हैं।

आषाढ़ कब से लगेगा? (Ashad Kab Se Lagega?)

हिन्दू महीनों में चैत्र से आरंभ होने वाले नववर्ष में यह चौथा महीना है। अंग्रेजी महीनों के क्रम में देखा जाए तो जून या जुलाई माह में यह आता है पड़ता है। जेठ और सावन के बीच में पड़ने वाले इस महीने से वर्षा ऋतु भी प्रारम्भ हो जाती है। खास बात यह है जेठ वैशाख मास की तपती गर्मी के बाद यह महीना वर्षा ऋतु के आगमन का सूचक है। आषाढ़ मास(Ashad Month 2022) के धार्मिक कृत्यों के अन्तर्गत 'एकभक्त व्रत' भी किया जाता है। जिसमें पूरे मास यह व्रत चलता है। इस व्रत के तहत रखे जाने वाले उपवास में सूर्यास्त से पहले ही भोजन कर लिया जाता है और जितनी भूख हो उससे कम ही खाया जाता है। इस उपवास में भोजन की सीमा भी बताई गई है जो मुनि हैं या पूर्ण संन्यास में हैं वो सिर्फ आठ ही ग्रास खा सकते हैं।

जो लोग वानप्रस्थी हैं वो 16 ग्रास का सेवन करते हैं और गृहस्थ लोग 32 ग्रास खा सकते हैं। इस प्रकार ये उपवास पूर्ण होता है। व्रत पूर्ण होने पर खड़ाऊँ, छाता, नमक तथा आँवलों का ब्राह्मण को दान किया जाता है। इस व्रत और दान से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है।

जो लोग पूरे मास का व्रत न ले पाएं वह यह कार्य आषाढ़ मास(Ashad Mai Vrat) के प्रथम दिन अथवा सुविधानुसार किसी भी दिन कर सकते हैं। आषाढ़ महीने के कृष्णपक्ष की चतुर्थी तिथि को भगवान गणेशजी की पूजा और व्रत आरंभ करना चाहिए। इस बार यह तिथि 17-18 जून को पड़ रही है। इस व्रत में गणेश जी के कृष्णपिंगाक्ष रूप की पूजा करनी चाहिए। गणेश पुराण में आषाढ़ महीने की संकष्टी चतुर्थी व्रत के बारे में बताया गया है। इस व्रत का पूरा फल कथा पढ़ने पर ही मिलता है।

सांकेतिक तस्वीर, सौ. से सोशल मीडिया


आषाढ़ माह व्रत कथा(Ashad Vrat Katha)

प्राचीन काल में रंतिदेव नामक प्रतापी राजा थे। उनकी उन्हीं के राज्य में धर्मकेतु नामक ब्राह्मण की दो स्त्रियां थीं। एक का नाम सुशीला और दूसरी का नाम चंचला था। सुशीला नित्य करती थीं। जिससे उसका शरीर दुर्बल हो गया था वहीं चंचला कभी कोई व्रत-उपवास नहीं करती थी। समय बीतने के साथ सुशीला को सुन्दर कन्या हुई और चंचला को पुत्र प्राप्ति हुई।

यह देखकर चंचला सुशीला को ताना देने लगी कि इतने व्रत उपवास करके शरीर को जर्जर कर दिया फिर भी कन्या को जन्म दिया। मैनें कोई व्रत नहीं किया तो भी मुझे पुत्र प्राप्ति हुई। चंचला के व्यंग्य से सुशीला दुखी रहती थी। लेकिन गणेशजी की उपासना करती रही।

संकटनाशक गणेश चतुर्थी व्रत से गणेश जी प्रसन्न हुए और रात में गणेशजी ने उसे दर्शन दिए और कहा कि मैं तुम्हारी साधना से संतुष्ट हूं। वरदान देता हूं कि तेरी कन्या के मुख से निरंतर मोती और मूंगा प्रवाहित होते रहेंगे। तुम सदा प्रसन्न रहोगी। तुम्हे वेद शास्त्र का ज्ञाता पुत्र भी प्राप्त होगा। वरदान के बाद से ही कन्या के मुख से मोती और मूंगा निकलने लगे।

कुछ दिनों के बाद एक पुत्र भी हुआ। बाद में उनके पति धर्मकेतु का स्वर्गवास हो गया। उसकी मृत्यु के बाद चंचला घर का सारा धन लेकर दूसरे घर में रहने लगी, लेकिन सुशीला पतिगृह में रहकर ही पुत्र और पुत्री का पालन पोषण करने लगी। इसके बाद सुशीला के पास कम समय में ही बहुत सा धन हो गया। जिससे चंचला को उससे ईर्ष्या होने लगी।

एक दिन चंचला ने सुशीला की कन्या को कुएं में ढकेल दिया। लेकिन गणेशजी ने उसकी रक्षा की और वह सकुशल अपनी माता के पास आ गई। उस कन्या को देखकर चंचला को अपने किए पर दुख हुआ और उसने सुशीला से माफी मांगी। इसके बाद चंचला ने भी कष्ट निवारक संकट नाशक गणेशजी के व्रत को किया।

सांकेतिक तस्वीर, सौ. से सोशल मीडिया


आषाढ़ माह शुभ होता है चन्द्र दर्शन

कहते हैं इस चतुर्थी के दिन चन्द्र दर्शन को बहुत ही शुभ माना जाता है। चन्द्रोदय के बाद ही व्रत पूर्ण होता है। मान्यता यह है कि जो व्यक्ति इस दिन व्रत रखता है उसकी संतान संबंधी समस्याएं भी दूर होती हैं। अपयश और बदनामी के योग कट जाते हैं। हर तरह के कार्यों की बाधा दूर होती है।आषाढ़ माह

धन तथा कर्ज संबंधी समस्याओं का समाधान होता है। आषाढ़ शुक्ल द्वितीया को यदि पुष्य नक्षत्र हो तो कृष्ण, बलराम तथा सुभद्रा का रथोत्सव का आयोजन होता है। इस बार यह रथ यात्रा 1 जुलाई को निकाली जाएगी।

आषाढ़ मास में ही गुप्त नवरात्र भी हैं। यह साल के दूसरे नवरात्र होते हैं पहले नवरात्र चैत्र मास में होते हैं। इसी तरह आश्विन मास में तीसरा नवरात्र तथा माघ मास में चौथा नवरात्र मनाया जाता है। लेकिन साधारण ग्रहस्थ दो नवरात्र ही जानते हैं। इन चार नवरात्रों का उल्लेख 'देवी भागवत' और अन्य पुराणों में भी है। अतः 30 जून से गुप्त नवरात्र आरंभ हो जाएंगे।

यह साधकों के लिए होते हैं। साधक गुप्त रूप से साधना कर मां को प्रसन्न कर शक्तियां अर्जित करते हैं। इसी तरह आषाढ़ शुक्ल पक्ष की अष्टमी के दिन महिषासुर मर्दिनी दुर्गा को हरिद्रा, कपूर तथा चन्दन से युक्त जल में स्नान कराना चाहिए। तदनन्तर कुमारी कन्याओं और ब्राह्मणों को सुस्वाद मधुर भोजन कराया जाए। तत्पश्चात् दीप जलाना चाहिए।

दशमी के दिन परलक्ष्मी व्रत तमिलनाडु में अत्यन्त प्रसिद्ध है। आषाढ़ी पूर्णिमा का भी बहुत महत्व है। पूर्णिमा के दिन उत्तराषाढ़ा नक्षत्र होने पर दस विश्वदेवों का पूजन भी किया जाता है। पूर्णिमा के दिन खाद्य का दान करने से विवेक तथा बुद्धि प्राप्त होती है।

शुक्ल पक्ष की सप्तमी को वैवस्वत सूर्य की पूजा होनी चाहिए,इस बात यह तिथि 16 जून को पड़ रही है। भगवान सूर्य के वरूण रूप की पूजा करने की पंरपरा है। इस दिन भगवान सूर्य के पुत्र वैवस्वत की पूजा भी की जाती है।

भगवान सूर्य को जल चढ़ाने का महत्व

आषाढ़ महीने के शुक्लपक्ष की सप्तमी तिथि पर सूर्योदय से पहले उठकर भगवान सूर्य को जल चढ़ाकर विशेष पूजा करनी चाहिए। इसके साथ ही व्रत भी रखना चाहिए। इससे बीमारियां दूर होती हैं और दुश्मनों पर जीत मिलती है। भविष्य पुराण में भी भगवान सूर्य को जल चढ़ाने का महत्व बताया गया है।

आषाढ़ मास के व्रत से समस्त पाप नष्ट हो जाते

आषाढ़ मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी को योगिनी एकादशी कहते हैं। इसके व्रत से समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं। यह इस लोक में भोग और परलोक में मुक्ति देने वाली है। यह तीनों लोकों में प्रसिद्ध है। इस दिन लोग पूरे दिन का व्रत रखकर भगवान नारायण की मूर्ति को स्नान कराकर भोग लगाते हुए पुष्प, धूप, दीप से आरती करते हैं। ग़रीब ब्राह्मणों को दान भी किया जाता है।

इस एकादशी के बारे में मान्यता है कि मनुष्य के सब पाप नष्ट हो जाते हैं तथा मोक्ष की प्राप्ति होती है । आषाढ़ शुक्ल पक्ष एकादशी तिथि को भी व्रत किया जाता है। यह एकादशी स्वर्ग और मोक्ष प्रदान करने वाली एवं संपूर्ण पापों का हरण करने वाली है। इसी एकादशी से चातुर्मास्य व्रत भी प्रारंभ होता है।

इसी दिन से भगवान विष्णु क्षीर सागर में शेषनाग की शैय्या पर तब तक शयन करते हैं, जब तक कार्तिक शुक्ल मास की एकादशी नहीं आ जाती है। आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को 'गुरु पूर्णिमा' अथवा 'व्यास पूर्णिमा' कहते हैं।

इस दिन लोग अपने गुरु के पास जाते हैं तथा उच्चासन पर बैठाकर माल्यापर्ण करते हैं तथा पुष्प ,फल, वस्र आदि गुरु को अर्पित करते हैं। यह गुरु - पूजन का दिन होता है जिसकी प्रथा प्राचीन काल से चली आ रही है। इस तरह से संपूर्ण आषाढ़ मास साधना का पर्व है। जिसका सभी को लाभ उठाना चाहिए।

सांकेतिक तस्वीर, सौ. से सोशल मीडिया

आषाढ़ मास में त्योहार

15 जून, 2022 - मिथुन संक्रांति

17 जून, 2022 - संकष्टी गणेश चतुर्थी

19 जून, 2022 - फादर्स डे

21 जून, 2022 - कालाष्टमी

24 जून 2022 - योगिनी एकादशी

26 जून 2022 - प्रदोष व्रत

27 जून, 2022 - रोहिणी व्रत, शिवरात्रि का महीना

29 जून 2022 - अमावस्या

30 जून, 2022 - गुप्त नवरात्रि शुरू, चंद्र दर्शन

01 जुलाई, 2022 - जगन्नाथ रथ यात्रा

03 जुलाई, 2022 - वरद चतुर्थी, सेंट थॉमस डे

04 जुलाई 2022 - कौमर षष्ठी, सोमवार व्रत

7 जुलाई 2022 - दुर्गाष्टमी व्रत

10 जुलाई 2022 - बकरीद (ईद-उल-अजहा), आषाढ़ी एकादशी

11 जुलाई 2022 - जया पार्वती व्रत शुरू, प्रदोष व्रत, सोम प्रदोष व्रत, जनसंख्या दिवस

13 जुलाई 2022 - सत्य व्रत, व्यास पूजा, पूर्णिमा, पूर्णिमा व्रत, गुरु पूर्णिमा

आषाढ़ मास में क्या करें क्या नहीं करें

आषाढ़ मास में बरसात की होती है। इसलिए इस माह में हानिकारक कीट पतंग, जीव पनपते हैं। जो नुकसादेय होते हैं। इस माह सात्विकता के साथ पूजा -पाठ करना चाहिए । साथ ही साफ-सफाई के साथ उबला पानी पीना चाहिए और संतुलित भोजन करना चाहिए। बाहर कम जाना चाहिए। बाहर का खाना नहीं खाना चाहिए। भोजन पानी को खुला नहीं रखना चाहिए।



Suman  Mishra | Astrologer

Suman Mishra | Astrologer

एस्ट्रोलॉजी एडिटर

मैं वर्तमान में न्यूजट्रैक और अपना भारत के लिए कंटेट राइटिंग कर रही हूं। इससे पहले मैने रांची, झारखंड में प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया में रिपोर्टिंग और फीचर राइटिंग किया है और ईटीवी में 5 वर्षों का डेस्क पर काम करने का अनुभव है। मैं पत्रकारिता और ज्योतिष विज्ञान में खास रुचि रखती हूं। मेरे नाना जी पंडित ललन त्रिपाठी एक प्रकांड विद्वान थे उनके सानिध्य में मुझे कर्मकांड और ज्योतिष हस्त रेखा का ज्ञान मिला और मैने इस क्षेत्र में विशेषज्ञता के लिए पढाई कर डिग्री भी ली है Author Experience- 2007 से अब तक( 17 साल) Author Education – 1. बनस्थली विद्यापीठ और विद्यापीठ से संस्कृत ज्योतिष विज्ञान में डिग्री 2. रांची विश्वविद्यालय से पत्राकरिता में जर्नलिज्म एंड मास कक्मयूनिकेश 3. विनोबा भावे विश्व विदयालय से राजनीतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री

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