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Ashok Sundari Kaun Thi: अशोक सुंदरी कौन है, जानिए इनकी जन्मकथा और इनकी पूजा से मिलने वाला लाभ

Ashok Sundari Kaun Thi: अशोक सुंदरी कौन है, उनका माता पार्वती और भगवान शिव से क्या संबंध है। कार्तिकेय और गणेश जी का उनसे रिश्ता क्या है जानते हैं इनकी जन्मकथा...

Suman  Mishra | Astrologer
Published on: 24 Aug 2024 8:15 AM IST (Updated on: 24 Aug 2024 8:15 AM IST)
Ashok Sundari Kaun Thi: अशोक सुंदरी कौन है, जानिए इनकी जन्मकथा और इनकी पूजा से मिलने वाला लाभ
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Ashok Sundari Kaun Thi: भगवान शिव और मां पार्वती के केवल दो पुत्र नहीं थे बल्कि एक पुत्री भी थी, जिनका नाम था अशोक सुंदरी।इनके बारे में पद्मपुराण में बताया गया है। इनके अलावा भी शिव भगवान की और संतान थी । जिन्हें नागकन्या माना गया- जया, विषहर, शामिलबारी, देव और दोतलि। अशोक सुंदरी को भगवान शिव और पार्वती की पुत्री बताया गया है।इसीलिए वही गणेशजी की बहन है। इनका विवाह राजा नहुष से हुआ था।

अशोक सुंदरी की जन्म कथा

एक बार माता पार्वती विश्व में सबसे सुंदर उद्यान में जाने के लिए भगवान शिव से कहा। तब भगवान शिव अपनी पत्नी पार्वती को नंदनवन ले गए। वहां माता को कल्पवृक्ष से लगाव हो गया और वे उस वृक्ष को लेकर कैलाश आ गईं। कल्पवृक्ष मनोकामना पूर्ण करने वाला वृक्ष है। पार्वती ने अपने अकेलेपन को दूर करने के लिए उस वृक्ष से यह वर मांगा कि उन्‍हें एक कन्या प्राप्त हो। तब कल्पवृक्ष द्वारा अशोक सुंदरी का जन्म हुआ। माता पार्वती ने उस कन्या को वरदान दिया कि उसका विवाह देवराज इंद्र जैसे शक्तिशाली युवक से होगा।

इसी वरदान के असर के कारण एक बार अशोक सुंदरी अपनी दासियों के साथ नंदनवन में विचरण कर रही थीं तभी वहां हुंड नामक राक्षस का आया। जो अशोक सुंदरी की सुंदरता से मोहित हो गया और उसने अशोक सुंदरी के सामने विवाह का प्रस्ताव रखा। लेकिन अशोक सुंदरी ने अपने वरदान और विवाह के बारे में बताया कि उनका विवाह नहुष से ही होगा। यह सुनकर राक्षस ने कहा कि वह नहुष को मार डालेगा। ऐसा सुनकर अशोक सुंदरी ने राक्षस को शाप दिया कि जा दुष्ट तेरी मृत्यु नहुष के हाथों ही होगी। यह सुनकर वह राक्षस घबरा गया। तब उसने राजकुमार नहुष का अपहरण कर लिया। लेकिन नहुष को राक्षस हुंड की एक दासी ने बचा लिया।

इस तरह महर्षि वशिष्ठ के आश्रम में नहुष बड़े हुए और उन्होंने हुंड का वध किया। इसके बाद नहुष तथा अशोक सुंदरी का विवाह हुआ हुआ। विवाह के बाद अशोक सुंदरी ने ययाति जैसे वीर पुत्र तथा सौ रुपवती कन्याओं को जन्म दिया। ययाति भारत के चक्रवर्ती सम्राटों में से एक थे और उन्हीं के पांच पुत्रों से संपूर्ण भारत पर राज किया था। उनके पांच पुत्रों का नाम था- 1.पुरु, 2.यदु, 3.तुर्वस, 4.अनु और 5.द्रुहु। इन्हें वेदों में पंचनंद कहा गया है।

अशोक सुंदरी की पूजा से लाभ

व्यापारिक तरक्की और धन से जुड़े कार्यों में आने वाली बाधाओं को दूर करने के लिए सोमवार के दिन देवी अशोक सुंदरी की पूजा करना श्रेष्ठ होता है।

धनवृद्धि के लिए सोमवार के दिन शिवलिंग की पूजा करते समय अशोक सुंदरी के ऊपर भी दूध और जल अर्पित करें।

बेलपत्र, चंदन, शहद और फल फूल आदि से देवी अशोक सुंदरी की पूजा करें। देवी अशोक सुंदरी के नाम से एक दीपक शिवलिंग के पास जलाएं।

किसी दूसरे व्यक्ति को पैसे उधार देने से पहले देवी अशोक सुंदरी के नाम से एक लौंग खा लेना चाहिए। ऐसा करने से उधार लिए हुए पैसे व्यक्ति समय से हमें वापस लौटा देता है।

अगर कोई व्यक्ति किसी तरह के चर्म रोग से पीड़ित हैं तो उन्हें शिवलिंग में देवी अशोक सुंदरी के स्थान पर दूध और जल अर्पित करना चाहिए,

उसी अर्पित किए हुए दूध और जल को नहाने वाले पानी में डालकर नहाना चाहिए। ऐसा करने से सभी तरह के चर्म रोग मिट जाते हैं।

अशोक सुंदरी की पूजा विधि

अशोक सुंदरी की पूजा के साथ-साथ भगवान शिव और माता पार्वती की भी पूजा की जाती है।अशोक सुंदरी का स्थान शिवलिंग के पास माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि शिवलिंग पर जल चढ़ाते समय जल नीचे की ओर से होकर निकलता है। उस स्थान को अशोक सुंदरी का स्थान माना जाता है।

अशोक सुंदरी की पूजा करने के लिए सोमवार के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद भगवान शिव, माता पार्वती और शिवलिंग की स्थापना करनी चाहिए।इसके बाद शुद्ध घी का दीपक जलाएं और पुष्प आदि अर्पित करें।

इसके साथ ही शिवलिंग पर पुष्प आदि भी अर्पित करें, क्योंकि अशोक सुंदरी का स्थान शिवलिंग में है।इसके बाद बेलपत्र, मेवा, इलायची, जल, रोली, मौली, चंदन आदि से विधिवत पूजा करें।इस आसान तरीके से आप अशोक सुंदरी की पूजा कर सकते हैं।पूजा समाप्त होने के बाद शिव परिवार से अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए प्रार्थना करें ।

Suman  Mishra | Astrologer

Suman Mishra | Astrologer

एस्ट्रोलॉजी एडिटर

मैं वर्तमान में न्यूजट्रैक और अपना भारत के लिए कंटेट राइटिंग कर रही हूं। इससे पहले मैने रांची, झारखंड में प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया में रिपोर्टिंग और फीचर राइटिंग किया है और ईटीवी में 5 वर्षों का डेस्क पर काम करने का अनुभव है। मैं पत्रकारिता और ज्योतिष विज्ञान में खास रुचि रखती हूं। मेरे नाना जी पंडित ललन त्रिपाठी एक प्रकांड विद्वान थे उनके सानिध्य में मुझे कर्मकांड और ज्योतिष हस्त रेखा का ज्ञान मिला और मैने इस क्षेत्र में विशेषज्ञता के लिए पढाई कर डिग्री भी ली है Author Experience- 2007 से अब तक( 17 साल) Author Education – 1. बनस्थली विद्यापीठ और विद्यापीठ से संस्कृत ज्योतिष विज्ञान में डिग्री 2. रांची विश्वविद्यालय से पत्राकरिता में जर्नलिज्म एंड मास कक्मयूनिकेश 3. विनोबा भावे विश्व विदयालय से राजनीतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री

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