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Navratri Special: यहां जानिये कब करें अष्टमी महानिशापूजा और कब है अष्टमी व्रत, किस दिन होगा व्रत पारण

Navratri Special: मदनरत्न में स्मृतिसंग्रह का वचन है कि-सदा शरद्‌काल में नवमीतिथि से युक्त महा-अष्टमी पूज्य होती है। सप्तमीतिथि से युक्त अष्टमीतिथि नित्य शोक तथा सन्ताप को करनेवाली होती है।

Devendra Bhatt (Guru ji)
Published on: 9 Oct 2024 7:33 AM IST
Navratri Special
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शारदीय नवरात्रि सम्वत २०८१ विक्रमी : महाष्टमी, महानवमी, विजयदशमी, तिथी निर्णय—

इस वर्ष शारदीय नवरात्रि में एक से अधिक तिथि का समावेश है। जो निम्न प्रकार से है।

* सप्तमी तिथी दिनांक 9 अक्टूबर दिन बुधवार प्रातः 07.36 से १० अक्टूबर दिन गुरुवार प्रातः 7.30 तक है।

* अष्टमी तिथि दिनांक 10 अक्टूबर दिन गुरुवार 7.30 से 11 अक्टूबर दिन शुक्रवार को प्रातः 6.52 तक है।

* नवमी तिथि 11 अक्टूबर दिन शु्क्रवार को प्रातः 5.47 तक है। तत्पश्चात 12 अक्टूबर को विजयदशमी है।

ऐसे में ये मत मतान्तर होना स्वाभाविक है कि व्रत हवनादि कब करें? शास्त्रों के अनुसार —

(सप्तमी संयुता अष्टमी विचारः)

मदनरत्ने स्मृतिसङ्ग्रहे—

"शरन्महाष्टमी पूज्या नवमीसंयुता सदा ।

सप्तमीसंयुता नित्यं शोकसन्तापकारिणीम् ।।"

मदनरत्न में स्मृतिसंग्रह का वचन है कि-सदा शरद्‌काल में नवमीतिथि से युक्त महा-अष्टमी पूज्य होती है। सप्तमीतिथि से युक्त अष्टमीतिथि नित्य शोक तथा सन्ताप को करनेवाली होती है।

"जम्भेन सप्तमीयुक्ता पूजिता तु महाष्टमी ।

इन्द्रेण निहतो जम्भस्तस्माद्दानवपुङ्गवः ।।"

अर्थ- सप्तमी से युक्त महा अष्टमी की जम्भ ने पूजा की। इसीकारण दानवों में श्रेष्ठ जंभ को इन्द्र ने मारा।

"तस्मात्सर्वप्रयत्नेन सप्तमीमिश्रिताष्टमी ।

वर्जनीया प्रयत्नेन मनुजैः शुभकाङ्क्षिभिः ॥"

अर्थ- इस कारण से सबप्र कार से सप्तमीमिश्रित अष्टमी को शुभ की इच्छा वाले मनुष्यों को प्रयत्न से त्यागना चाहिये ।

"सप्तमीं शल्यसंयुक्तां मोहादज्ञानतोऽपि वा।

महाष्टमीं प्रकुर्वाणो नरकं प्रतिपद्यते ।।"

अर्थ- मोह या अज्ञान से शल्ययुक्त-सप्तमी से युक्त महा-अष्टमी को जो करता है वह नरक में जाता है।

(शल्यस्वरूपकथनम्)

"सप्तमी कलया यत्र परतश्चाष्टमी भवेत् ।

तेन शल्यमिदं प्रोक्तं पुत्रपौत्रच्चयप्रदम् ।।"

अर्थ- जहाँ पर कलामात्र सप्तमी से पर अष्टमी हो। उसी को शल्य- यह कहा जाता है। जो पुत्र और पौत्र के क्षय को करने वाली है।

"पुत्रान् हन्ति पशून् हन्ति राष्ट्र हन्ति सराज्यकम्।

हन्ति जातानजातांश्च सप्तमीसहिताष्टमी।।"

अर्थात, सप्तमी युक्त अष्टमी के व्रत से पुत्र, पशु, राष्ट्र, राज्य की हानि होती है।

निष्कर्ष ये है कि 10 अक्टूबर दिन गुरुवार को सप्तमी युक्त अष्टमी होने के कारण महाष्टमी व्रत (जीमूतवाहन व्रत) वर्जित/त्याज्य है। बावजूद इसके महाष्टमी की महानिशा रात्रि पूजन 10 अक्टूबर गुरुवार की रात्रि ही है। महाष्टमी व्रत (जीमूतवाहन व्रत) 11 अक्टूबर दिन शु्क्रवार को निर्धारित है। महानवमी हवनादि 11 अक्टूबर दिन शु्क्रवार को अपराह्न में करें। नवरात्रि व्रत पारण तथा विजयदशमी का पर्व 12 अक्टूबर दिन शनिवार को मनाया जायेगा।



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Shalini singh

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