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बराही देवी के इस तालाब में नहाने मात्र से दूर हो जाते हैं चर्म रोग, हजारों वर्ष पुराना है मंदिर

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Published on: 5 July 2017 12:44 PM IST
बराही देवी के इस तालाब में नहाने मात्र से दूर हो जाते हैं चर्म रोग, हजारों वर्ष पुराना है मंदिर
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कानपुर: भारत देवी-देवताओं की मान्यताओं वाला देश है। ऐसा ही एक मंदिर कानपुर में है। हजारों वर्ष पुराने इस मंदिर पर बने तालाब की अनोखी मान्यता है, जहां पर नहाने से चर्म रोग व फोड़े फुंसी जैसे रोग ठीक हो जाते हैं। यह तालाब पूरी तरह से कच्चा है और बरसात के दौरान ही इस तालाब में पानी आता है। चर्म रोगी व फुंसी से पीड़ित लोग दूर से स्नान करने के लिए आते हैं।

स्नान करने के बाद बराही देवी की पूजा करते हैं और इस घातक रोग से छुटकारा पाते हैं। इस मंदिर की खास बात यह है कि यहां रविवार व मंगलवार को मेला भी लगता है। लोगों को मानना है कि यदि रविवार व मंगलवार को स्नान किया जाए तो यह रोग से जल्दी छुटकारा मिल जाता है।

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जनपद कानपुर और जनपद फतेहपुर बार्डर पर स्थित गोरौधली गांव है। इस गांव में ही बराही देवी का प्राचीन मंदिर है, जिसका इतिहास इस गांव में रहने वालों बुजुर्गों से ही सुना है। हजारों वर्ष पुराने इस मंदिर की स्थिति वैसे तो जर्जर हो चुकी थी, लेकिन ग्रामीणों ने चंदा लेकर इस मंदिर की मरम्मत कराई है। इस मंदिर की कहानी बड़ी ही रोचक है। जानकारी के मुताबिक बराही देवी की प्रतिमा खुदाई के दौरान इसी तालाब से नकली थी।

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इस मंदिर की देखभाल करने वाली पूजा लता के मुताबिक बराही देवी मां की प्रतिमा पास में बने तालाब से निकली थी। मैंने अपने बाबा से सुना है कि आज से हजारों साल पहले यहां पर घना जंगल था। लेकिन यहां पर एक बहुत बड़ा गड्ढा था, जब लोग गांव बसाने के लिए अपने घरों का निर्माण करा रहे थे। तब इस तालाब से मिटटी खोद कर ले जाते थे।

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उसी वक्त खुदाई के दौरान इस तालाब से बराही देवी की प्रतिमा निकली थी। इसके बाद ग्रामीणों ने देवी मां की प्रतिमा को यही पर स्थापित करा दिया था। इसके बाद मंदिर के निर्माण हुआ था। उन्होंने यह भी बताया कि इस तालाब में बड़े-बड़े जानवर पानी पीने के लिए आते थे, इस वजह से यहां पर कोई आता नहीं था।

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हजारों वर्ष पहले इस गांव में चर्म रोग फैला हुआ था। लोग बड़े ही परेशान थे। सभी ने बराही देवी मंदिर में पूजा का आयोजन रखा था। पूरे गांव ने पहले तालाब में स्नान किया इसके बाद देवी मां की पूजा अर्चना की। इसके बाद से ही ग्रामीणों को इस रोग से छुटकारा मिल गया। यह बात आग की तरह आसपास के जनपदों में फ़ैल गई, अब जिसे भी यह रोग होता था। वह बराही देवी मंदिर के तालाब में स्नान करने के पहुंचने लगे। तभी से यह मंदिर फेमस हो गया।

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जनपद फतेहपुर के बिन्दकी से आई अनीता सिंह के मुताबिक मेरे दोनों बच्चे इन दिनों फोड़े फुंशी से ग्रसित है। गर्मियों में उन्हें फुंसियां परेशान करती है, जिसके दर्द से वह सो तक ही पाते हैं। इसी वजह से हम लोग मंगलवार को बराही देवी के मंदिर में बने तालाब में स्नान के लिए आये हैं। उन्होंने बताया कि इस तालाब व देवी मां मंदिर की बहुत मान्यता है। यहां पर जो दर्शन के लिए आता है, वह खाली हाथ नहीं जाता है।

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ग्रामीण रामशंकर पाल के मुताबिक जब इस तालाब से बराही देवी की प्रतिमा के साथ-साथ अन्य कई भी प्रतिमाएं निकली थी। लेकिन यह सभी प्रतिमा खंडित है, लेकिन मंदिर में बहुत शक्ति है, दूर-दूर से लोग मंदिर मुंडन संस्कार कराने आते हैं। इसके साथ ही आसपास के क्षेत्र में कही भी शादी होती है, तो नव दंपति इस मंदिर में दर्शन के करने के बाद ही अपने नई जिंदगी की शुरुआत करते हैं।

उन्होंने बताया कि मंदिर की स्थिति बेहद जर्जर हो गई थी, यह हजारों साल पुराना मंदिर है। मंदिर की मरम्मत के लिए सभी ग्रामीणों ने चंदा इकठ्ठा करके ठीक कराया है। लेकिन बढ़ती आबादी के कारन अब तालाब का भी अस्तित्व खतरे में है। लोग तालाब पर कब्ज़ा करने के लिए घरो का कूड़ा करकट भी तालाब पर ही फेकते है।



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