TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

Basant Panchami Pila Rang aur Upay : बसंत पंचमी के दिन पूरी होगी हर कामना,करेंगे ये उपाय, जानिए इस दिन पीला रंग का महत्व

Basant Panchami Pila Rang aur Upay : बसंत पंचमी से ही भारत में वसंत ऋतु की शुरुआत होती है ।पूरे साल को मौसम के हिसाब से छः ऋतुएं बांटती हैं । हर मौसम का अपना आनंद है। लेकिन ऋतुराज बसंत की बात ही अलग होती है। जानते हैं इस दिन पीला रंग का महत्व

Suman  Mishra | Astrologer
Published on: 24 Jan 2023 8:07 AM IST (Updated on: 24 Jan 2023 8:08 AM IST)
Basant Panchami Pila Rang aur Upay : बसंत पंचमी के दिन पूरी होगी हर कामना,करेंगे ये उपाय, जानिए इस दिन पीला रंग का महत्व
X

Basant Panchami Pila Rang aur Upay : 26 जनवरी को बसंत पंचमी मनाया जाएगा। मान्यता है कि बसंत पंचमी के दिन कल की देवी मां सरस्वती का उद्भव हुआ था। इस दिन मां सरस्वती और कामदेव-रति (की पूरी विधि- विधान से पूजा करें तो हर कामना जल्द पूरी होती है साथ ही विवाह में हो रही देरी का समाधान होता है। जानते है बसंत पंचमी के दिन किस तरह से कामदेव-रति की पूजा करें।

बसंत पंचमी पर कामदेव-रति की पूजा का महत्व

बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा करें। पूजन के बाद कामदेव और रति की एक-साथ वाली तस्वीर पूजा-स्थल में सफेद कपड़े में बिछाकर स्थापित करें। इसके बाद शुद्ध ताजे फूल, पीला या लाल चंदन, गुलाबी रंग के वस्त्र, इत्र, सौंदर्य सामग्री, सुगंधित धूप या दीपक, पान, सुपारी आदि देवी रति और कामदेव को अर्पित करें। इसके बाद अपने जीवन में खुशहाली और प्रेम की कामना करें। वैवाहिक जीवन में मधुरता या फिर मनचाहा वर पाने के लिए 108 बार इस मंत्र का जाप करें।

ओम कामदेवाय विद्महे, रति प्रियायै धीमहि, तन्नो अनंग प्रचोदयात्।

इस मंत्र के जाप करने से व्यक्ति के चरित्र में सुधार होता है इसके साथ ही उसके वैवाहिक जीवन में मधुरता बनी रहती है। यदि पति-पत्नि के वैवाहिक जीवन में कटुता बनी रहती है तो मान्यता है कि साथ में पूजा करने से सारी समस्याएं दूर हो जाती है।

बसंत पंचमी पर मान्यता है कि कामदेव जिन्हें प्रेम के स्वामी भी कहा जाता है, उनके और उनकी पत्नि रति के भाव-विभोर, प्रेम, नृत्य से समस्त मनुष्यों और पशु-पक्षियों में में प्रेम भाव की उत्पत्ति होती है। साथ ही कामदेव की कृपा से ही प्रेम संबंधों और वैवाहिक संबंधों में मधुरता बनी रहती है और देवि रति को मिलाप की देवी माना गया है। जिससे साथ में पूजा करने से प्रेम संबंध स्थिर रहते है और रिश्तों में मिठास बनी रहती है।

बसंत पंचमी पर पीले रंग हीं क्यों?

बसंत पंचमी पर पीले रंग को शुभ माना गया है। पीला रंग शुद्ध और सात्विक प्रवृत्ति का प्रतीक है। यह सादगी और निर्मलता को भी दर्शाता है। बसंत पंचमी पर चटख पीला रंग उत्साह और विवेक का प्रतीक माना जाता है। इसके साथ सफेद रंग से जुड़ी शांति भी शामिल हो जाती है। बसंत का अर्थ है बसंत और पंचमी का मतलब है पांचवा जिस दिन यह त्योहार मनाया जाता है। बसंत पंचमी का पर्व हर साल माघ के शुक्ल पक्ष के पांचवे दिन होता है। बसंत पंचमी को सरस्वती पूजा के रूप में भी मनाया जाता है। इस दिन को बच्चों के पढ़ने और लिखने की शुरूआत के रूप में बेहद ही शुभ माना जाता है। इस दिन ज्ञान की देवी मां सरस्वती की पूजा कर प्रार्थना की जाती है। यह त्योहार बसंत ऋतु आने का सूचक है। इस मौके पर लोग पीले रंग के कपड़े पहनते हैं और स्वादिष्ट मौसमी व्यंजनों का मजा लेते हैं। कई लोग इस पर्व के अवसर पर पतंग उड़ाते है या अन्य खेल खेलते हैं।

बसंत पंचमी पर पीले रंग का बहुत महत्व है, बसंत का रंग पीला होता है जिसे बसंती रंग के नाम से जाना जाता है। जो कि समृद्धि, ऊर्जा, प्रकाश और आशावाद का प्रतीक है। यही कारण है कि लोग इस दिन पीले रंग के कपड़े पहनते हैं और पीले रंग के व्यंजन बनाते हैं। बसंत पंचमी के दिन पीले रंग का खास महत्व है।

इस समय मौसम बहुत सुहावना हो जाता है। ना बहुत अधिक ठंड रहती है और ना ही गर्मी। इसके साथ-साथ फूल, पत्तियां, पौधे सब मुस्कुरा रहे होते हैं। खुशहाली अपना दामन फैलाए खड़ी होती है।

इस मौसम में सरसों की फसल लहलहा रही होती है और सरसों के फूलों से यह धरती पीली नजर आ रही होती है। इसी को ध्यान में रखते हुए सब लोग बसंत पंचमी के दिन पीले कपड़े पहनते हैं और पहनना पसंद किया जाता है।इसी दिन सरस्वती पूजा भी की जाती है और पूजा में पीला वस्त्र शुभ माना जाता है इस कारण भी बसंत पंचमी वाले दिन लोग पीले कपड़े पहनते हैं।


बसंत पंचमी पर सूर्य की तरह प्रखर

बसंत ऋतु में सरसों की फसल की वजह से धरती पीली नजर आती है। इसे ध्यान में रखकर इस दिन लोग पीले रंग के कपड़े पहनकर वसंत पंचमी का स्वागत करते हैं। इस दिन सूर्य उत्तरायण होता है, जो यह संदेश देता है कि हमें सूर्य की तरह गंभीर और प्रखर बनना चाहिए।

सभी ऋतुओं में बसंत ही ऐसी ऋतु है जिसमें सभी ऋतुओं की अपेक्षा धरती की उर्वरा शक्ति बढ़ती है। इस दौरान फसल पकती है। पेड़-पौधों में नई कोपलें फूटती हैं। बसंत को ऋतुओं का राजा कहा गया है। बसंत पंचमी यानी प्रकृति के उत्सव का दिन। मां सरस्वती की आराधना का यह पर्व मंद-शीतल वायु के प्रवाह, प्रकृति की पीली चुनरी के साथ नए उत्साह के संचार का संदेश लाता है।

बसंत पंचमी पर खाने में भी पीले रंग की चीजें

बसंत पंचमी के दिन सिर्फ कपड़े ही , बल्कि खाने में भी पीले रंग की चीजें बनायी जाती हैं। इसमें पीले रंग के चावल, पीली पूरियां, पीले लड्डू और केसर की खीर शामिल है। एक शोध के अनुसार, पीले रंग के कपड़े पहने से दिमाग का सोचने समझने वाला हिस्सा अधिक सक्रिय हो जाता है जो इंसान के अंदर उर्जा पैदा करता है। पीला रंग इंसान को खुशी और उमंग प्रदान करता है।

बसंत पंचमी 2023 का शुभ मुहूर्त

बसंत पंचमी को माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को होती है। जो हर साल माघ मास में आता है। इस दिन को सरस्वती पूजा भी कहते हैं।

बसंत पंचमी –26 जनवरी 2023

पूजा मुहूर्त -सुबह 10:45 से 12:35 तक है

पंचमी तिथि का आरंभ - दोपहर 12:34 बजे, ( 25 जनवरी, 2023)

पंचमी तिथि समाप्त - को सुबह 10:28 बजे ( 26 जनवरी2023)

अभिजीत मुहूर्त- 11:50 AM से 12:34 PM

रवि योग- 04:09 PM से 06:39 AM



\
Suman  Mishra | Astrologer

Suman Mishra | Astrologer

एस्ट्रोलॉजी एडिटर

मैं वर्तमान में न्यूजट्रैक और अपना भारत के लिए कंटेट राइटिंग कर रही हूं। इससे पहले मैने रांची, झारखंड में प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया में रिपोर्टिंग और फीचर राइटिंग किया है और ईटीवी में 5 वर्षों का डेस्क पर काम करने का अनुभव है। मैं पत्रकारिता और ज्योतिष विज्ञान में खास रुचि रखती हूं। मेरे नाना जी पंडित ललन त्रिपाठी एक प्रकांड विद्वान थे उनके सानिध्य में मुझे कर्मकांड और ज्योतिष हस्त रेखा का ज्ञान मिला और मैने इस क्षेत्र में विशेषज्ञता के लिए पढाई कर डिग्री भी ली है Author Experience- 2007 से अब तक( 17 साल) Author Education – 1. बनस्थली विद्यापीठ और विद्यापीठ से संस्कृत ज्योतिष विज्ञान में डिग्री 2. रांची विश्वविद्यालय से पत्राकरिता में जर्नलिज्म एंड मास कक्मयूनिकेश 3. विनोबा भावे विश्व विदयालय से राजनीतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री

Next Story