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Belpatra Ki Mahima: शिवलिंग पर चढ़ने वाले बेलपत्र की महिमा है अपरंपार, जानें कैसे हुई उत्पत्ति, इसके नियम और मंत्र

Sawan Me Shivling Par Chadhaye Belpatra: सावन माह में शिवलिंग पर जरूर चढाये बेलपत्र। इसे चढाने से हर इच्छा पूरी होती है। बेलपत्र को तोड़ने का नियम है और शिवलिंग पर बेलपत्र को चढ़ाने की एक विधि है, जिसमें मंत्र पढ़ते हैं। बेलपत्र चढ़ाने के कई फायदे भी होते हैं। बेलपत्र चढ़ाने की सही विधि...

Suman Mishra। Astrologer
Published on: 12 July 2023 4:57 PM IST
Belpatra Ki Mahima: शिवलिंग पर चढ़ने वाले बेलपत्र की महिमा है अपरंपार, जानें कैसे हुई उत्पत्ति, इसके नियम और मंत्र
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Sawan Me Shivling Par Chadhaye Belpatra (सांकेतिक तस्वीर, सोशल मीडिया)

Sawan Me Shivling Par Chadhaye Belpatra: सावन ( Sawan)का माह चल रहा है सब शिव भक्ति में डूबे है। इस माह में हर तरफ हरियाली ( Greenary) रहती है। भगवान शिव को न प्रकृति का किया श्रृंगार पसंद है इसलिए हर दिन भगवान शिव ( Lord Shiva) की पूजा में जल फल फूल से ही पूजा की जाये तो हर कामना भोलेनाथ पूरा करते हैं। भगवान शिव की पूजा में बेल धतुरा, और आक के फूल के साथ बेलपत्र भी चढाया जाता है। भगवान शिव को बेल पत्र चढाने पर से हर इच्छा पूरी होती है।

शिवलिंग पर बेलपत्र चढाने की सही विधि

धर्मानुसार बेलपत्र और बेल का पेड़ संपन्नता पवित्रता और समृद्धि देने वाला है। शिव पुराण अनुसार श्रावण मास में बेलपत्र को सोमवार या हर दिन शिवलिंग पर चढ़ाने से एक करोड़ कन्यादान के बराबर फल मिलता है। शिवलिंग का बिल्व पत्र से पूजन करने पर दरिद्रता दूर होती है और सौभाग्य का उदय होता है। बिल्ब पत्र से भगवान शिव ही नहीं उनके अंशावतार बजरंग बली प्रसन्न होते हैं।

बेलपत्र तोड़ने का नियम

यदि आप शिवलिंग पर चढ़ाने के लिए बेलपत्र तोड़ रहे हैं तो सबसे पहले बेल वृक्ष को प्रणाम कर लें। उसके बाद केवल बेलपत्र ही तोड़ें. तिथि के समापन और प्रारंभ के बीच वाले समय में बेलपत्र न तोड़ें। चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, चतुर्दशी और अमावस्या तिथि पर बेलपत्र न तोड़ें। साथ ही तिथियों के संक्रांति काल और सोमवार को भी बेल पत्र नहीं तोड़ना चाहिए। बेलपत्र को कभी भी टहनी समेत नहीं तोड़ना चाहिए। साथ ही इसे चढ़ाते समय तीन पत्तियों की डंठल को तोड़कर ही शिव को अर्पण करना चाहिए।

बेलपत्र को चढ़ाते समय रखें इन बातों पर ध्यानः

  • नीलकंठ को बेलपत्र चढ़ाते समय यह ध्यान रखना होगा कि अनामिका, अंगूठे और मध्यमा अंगुली से ही चढ़ाये। बाबा को बिल्वपत्र अर्पण करने के साथ-साथ जल की धारा जरूर चढ़ाएं।
  • बाबा को तीन पत्तियों वाला बेलपत्र चढ़ाया जाता है और माना जाता है कि इसके मूलभाग में सभी तीर्थों का वास होता है।
  • जिस घर में बेल का वृक्ष होता है वहां धन की बरसात होती है, जो भी भक्त बाबा को सच्चे दिल से बेलपत्र चढ़ाता है उसके सारे दुख तकलीफ दूर हो जाते हैं। और बाबा सारी मनोकामनाएं पूरी करते है।
  • बेलपत्र कभी अशुद्ध नहीं होता। पहले से चढ़ाया हुआ बेलपत्र भी फिर से धोकर चढ़ाया जा सकता है।
  • ये भी मान्यता है कि बाबा को बेलपत्र चढ़ाते समय यह जरुर ध्यान रखना चाहिए कि कहीं बेलपत्र में कोई छेद तो नहीं है।
  • जब भी आप शिवजी की पूजा करने जाएं तो उससे पहले बेलपत्र को अच्छे से साफ पानी से धो लें. फिर बेलपत्र की चिकनी सतह को शिवलिंग से स्पर्श कराकर अर्पित करें. इस दौरान ओम नम: शिवाय मंत्र का उच्चारण करें. इसके अलावा बेलपत्र चढ़ाने का मंत्र भी है।
  • भगवान शिव को हमेशा उलटा बेलपत्र यानी चिकनी सतह की तरफ वाला वाला भाग स्पर्श कराते हुए चढ़ाएं। बेलपत्र को हमेशा अनामिका, अंगूठे और मध्यमा अंगुली की मदद से चढ़ाएं। शिव जी को बिल्वपत्र अर्पण करने के साथ-साथ जल की धारा जरूर चढ़ाएं। ध्यान रहे कि पत्तियां कटी-फटी न हों।

बेलपत्र चढाते समय पढ़ें मंत्र

पूजा में चढ़ाने का मंत्र-भगवान शिव की पूजा में बिल्व पत्र यह मंत्र बोलकर चढ़ाया जाता है। यह मंत्र बहुत पौराणिक है।

त्रिदलं त्रिगुणाकारं त्रिनेत्रं च त्रिधायुतम्।
त्रिजन्मपापसंहारं बिल्वपत्रं शिवार्पणम्॥

अर्थ :- तीन गुण, तीन नेत्र, त्रिशूल धारण करने वाले और तीन जन्मों के पाप को संहार करने वाले हे शिवजी आपको त्रिदल बिल्व पत्र अर्पित करता हूं। रुद्राष्टाध्यायी के इस मन्त्र को बोलकर बिल्वपत्र चढ़ाने का विशेष महत्त्व एवं फल है।

नमो बिल्ल्मिने च कवचिने च नमो वर्म्मिणे च वरूथिने च नमः श्रुताय च श्रुतसेनाय च नमो
दुन्दुब्भ्याय चा हनन्न्याय च नमो घृश्णवे॥

दर्शनं बिल्वपत्रस्य स्पर्शनम्‌ पापनाशनम्‌।
अघोर पाप संहारं बिल्व पत्रं शिवार्पणम्‌॥

अखण्डै बिल्वपत्रैश्च पूजये शिव शंकरम्‌।
कोटिकन्या महादानं बिल्व पत्रं शिवार्पणम्‌॥

गृहाण बिल्व पत्राणि सपुश्पाणि महेश्वर।
सुगन्धीनि भवानीश शिवत्वंकुसुम प्रिय॥

भगवान शिव को प्रसन्न करने के ये उपाय

शिवजी को बेलपत्र बेहद प्रिय हैं। माना जाता है कि अगर शिवजी को बेलपत्र चढ़ाएं जाएं तो उनका वैवाहिक जीवन बेहद सुखमय गुजरता है। लेकिन बेलपत्र फटा नहीं होना चाहिए। शिव पुराण के अनुसार, महाशिवरात्रि की ही नहीं बल्कि हर दिन शिवलिंग पर जल से अभिषेक करना चाहिए। इससे सौभाग्य की प्राप्ति होती है। ऐसा करने से शारीरिक व मानसिक कष्ट दूर होते हैं। शिव जी को धतूरे बेहद पसंद है। माना जाता है कि महाशिवरात्रि के दिन धतूरा अर्पित करने से व्यक्ति के मन के विचारों से कड़वाहट दूर होती है। शिव जी को अगर इस दिन आक का फूल, बेर और भांग भी चढ़ाई जाए तो शुभ होती है। महाशिवरात्रि के दिन शिव जी को अक्षत् जरूर अर्पित करने चाहिए। ऐसा करने से शिव जी प्रसन्न हो जाते हैं। मान्यता है कि शिव जी की पूजा पूर्व या उत्तर दिशा की तरफ मुंह कर ही करनी चाहिए।

बेल पत्र की उत्पत्ति की कथा

स्कंदपुराण’ में कहा गया है कि बेल पत्र के वृक्ष की उत्पत्ति के संबंध में कहा गया है कि एक बार माँ पार्वती ने अपनी उँगलियों से अपने ललाट पर आया पसीना पोछकर उसे फेंक दिया , माँ के पसीने की कुछ बूंदें मंदार पर्वत पर गिरीं, कहते है उसी से बेल वृक्ष उत्पन्न हुआ।

शास्त्रों के अनुसार इस वृक्ष की जड़ों में माँ गिरिजा, तने में माँ महेश्वरी, इसकी शाखाओं में माँ दक्षयायनी, बेल पत्र की पत्तियों में माँ पार्वती, इसके फूलों में माँ गौरी और बेल पत्र के फलों में माँ कात्यायनी का वास हैं।

बिल्व का पेड़ संपन्नता का प्रतीक, बहुत पवित्र तथा समृद्धि देने वाला है। मान्यता है कि बिल वृक्ष में माँ लक्ष्मी का भी वास है अत: घर में बेल पत्र लगाने से देवी महालक्ष्मी बहुत प्रसन्न होती हैं, जातक वैभवशाली बनता है।

बेलपत्र से भगवान शिव का पूजन करने से समस्त सांसारिक सुख की प्राप्ति होती है, धन-सम्पति की कभी भी कमी नहीं होती है। बेलपत्र के पेड़ की टहनी से चुन-चुनकर सिर्फ बेलपत्र ही तोड़ना चाहिए, कभी भी पूरी टहनी नहीं तोड़ना चाहिए।

शिवलिंग पर बेलपत्र अर्पित करने से महादेव शीघ्र प्रसन्न होते हैं। मान्यता है कि भगवान शिव की आराधना बेलपत्र के बिना पूरी नहीं होती। लेकिन एक बेलपत्र में तीन पत्तियां अवश्य ही होनी चाहिए.तभी वह बिलपत्र शिवलिंग पर चढ़ने योग्य होता है ।भगवान शंकर को बिल्व पत्र बेहद प्रिय हैं। भांग धतूरा और बिल्व पत्र से प्रसन्न होने वाले केवल शिव ही हैं। शिवरात्रि के अवसर पर बिल्वपत्रों से विशेष रूप से शिव की पूजा की जाती है। तीन पत्तियों वाले बिल्व पत्र आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं, किंतु कुछ ऐसे बिल्व पत्र भी होते हैं जो दुर्लभ पर चमत्कारिक और अद्भुत होते हैं।



Suman Mishra। Astrologer

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