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Bhagwan Jagannath Bhog-Prasad : यहां की रसोई में बनता है बहुत चमत्कारी प्रसाद, कभी खत्म नहीं होता भंडार, जानें रहस्य

Bhagwan Jagannath Mahaprasad:भगवान जगन्नाथ का ऐसा प्रसाद जो दुनियाभर के किसी मंदिर में नहीं बनता और चढ़ता है। धार्मिक ग्रंथों में मिले तथ्यों के आधार पर इस प्रसाद में भगवान का प्रसाद और मां लक्ष्मी का स्नेह मिला होता है,जो हर रोग कष्ट का हरण कर लेता है।

Suman  Mishra | Astrologer
Published on: 5 July 2021 1:47 PM IST (Updated on: 5 July 2021 1:57 PM IST)
भगवान जगन्नाथ का प्रसाद
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सांकेतिक तस्वीर (सौ. से सोशल मीडिया) 

Bhagwan Jagannath Bhog-prasad

भगवान जगन्नाथ का भोग-प्रसाद : आषाढ़ शुक्ल द्वितीया तिथि को भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा निकाली जाती है। जो विश्व प्रसिद्ध है। धर्मानुसार रथयात्रा का बहुत महत्व है। इस बार 12 जुलाई को भगवान जगन्नाथ की 10 दिनों तक चलने वाली रथ यात्रा शुरू हो रही है। कोरोना के चलते इस बार रथ यात्रा पर भक्तों की भीड़ कम होगी और इस बार महाप्रसाद का वितरण नहीं होगा। जिस भोग या प्रसाद का भक्तों को साल भर इंतजार रहता है। उस प्रसाद से लोग वंचित रहेंगे। रथ यात्रा में लोगों की कम भीड़ और सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन होगा। जानते हैं जगन्नाथ स्वामी को चढ़ने वाले महाप्रसाद के बारे में....

भगवान जगन्नाथ के महाप्रसाद की खासियत

आकर्षण का केंद्र रसोई जगन्नाथ मंदिर का सबसे बड़ा आकर्षण यहां का रसोई है। यह रसोई विश्व की सबसे बड़ी रसोई के रूप में जानी जाती है। यह मंदिर के दक्षिण-पूर्व दिशा में स्थित है। माता लक्ष्मी की निगरानी में 500 रसोइये तैयार करते हैं,इसे महाप्रसाद ( Jagannath Mandir Mahaprasad )कहते हैं कि इस रसोई में भगवान जगन्नाथ के लिए भोग तैयार किया जाता है। इस विशाल रसोई में भगवान को चढ़ाने वाले महाप्रसाद को तैयार करने के लिए लगभग 500 रसोइये और उनके 300 सहयोगी काम करते हैं।


सांकेतिक तस्वीर (सौ. से सोशल मीडिया)


ऐसे बर्तनों में पकता है भगवान जगन्नाथ का प्रसाद

रसोई में पकाने के लिए भोजन की मात्रा पूरे साल के लिए रहती है। प्रसाद की एक भी मात्रा कभी भी यह व्यर्थ नहीं जाएगी, चाहे कुछ हजार लोगों से 20 लाख लोगों को खिला सकते हैं। मंदिर में भोग पकाने के लिए 7 मिट्टी के बर्तन एक दूसरे पर रखे जाते हैं और लकड़ी पर पकाया जाता है। इस प्रक्रिया में सबसे ऊपर रखे बर्तन की भोग सामग्री पहले पकती है फिर क्रमश: नीचे की तरफ एक के बाद एक पकते जाती है। जगन्नाथ मंदिर का 4,00,000 वर्ग फुट में फैला है और चहारदीवारी से घिरा है। कलिंग शैली के मंदिर स्थापत्यकला, और शिल्प के आश्चर्यजनक प्रयोग से परिपूर्ण, यह मंदिर, भारत के भव्य स्मारक स्थलों में से एक है।मुख्य मंदिर वक्र रेखीय आकार का है, जिसके शिखर पर भगवान विष्णु का सुदर्शन चक्र मंडित है। इसे नीलचक्र भी कहते हैं। यह अष्टधातु से निर्मित है और अति पावन और पवित्र माना जाता है। मंदिर के भीतर आंतरिक गर्भगृह में मुख्य देवताओं की मूर्तियां स्थापित हैं।

माता लक्ष्मी की देखरेख में भगवान जगन्नाथ का महाप्रसाद

धार्मिक मान्यता है कि पूरी के भगवान जगन्नाथ की रसोई में जो भी बनाया जाता है, उसका निर्माण माता लक्ष्मी की देखरेख में ही होता है। यहां बनाया जाने वाला हर पकवान हिंदू धर्म पुस्तकों के दिशा-निर्देशों के अनुसार ही बनाया जाता है। रसोई के पास ही दो कुएं हैं जिन्हें गंगा-यमुना कहा जाता है। केवल इनसे निकले पानी से ही भोग का निर्माण किया जाता है। इस रसोई में 56 प्रकार के भोगों का निर्माण किया जाता है।

भगवान जगन्नाथ के लिए तैयार किया गया भोग पूरी तरह शाकाहारी होता है। भोग में किसी भी रूप में प्याज और लहसुन का भी प्रयोग नहीं किया जाता। भोग बनाने के लिए मिट्टी के बर्तनों का उपयोग किया जाता है। इस प्रसाद में खिचड़ी, पूरी पीठ और आम के अलाव बहुत सी चीजे शामिल होती है।

सांकेतिक तस्वीर (सौ. से सोशल मीडिया)

जगन्नाथ यात्रा शुरू होने का समय

12 जुलाई को रथ यात्रा के समय अश्लेषा नक्षत्र और रवि योग रहेगा। जो यात्रा को सुखद बनाएंगे।इस दिन शुभ काल और तिथि....

द्वितीया तिथि का आरंभ- 11 जुलाई को 07.49 से

द्वितीया तिथि का समापन-12 जुलाई को 08.21 तक

अभिजीत मुहूर्त - 12:05 PM – 12:59 PM

अमृत काल - 01:35 AM – 03:14 AM

ब्रह्म मुहूर्त - 04:16 AM – 05:04 AM



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Suman  Mishra | Astrologer

Suman Mishra | Astrologer

एस्ट्रोलॉजी एडिटर

मैं वर्तमान में न्यूजट्रैक और अपना भारत के लिए कंटेट राइटिंग कर रही हूं। इससे पहले मैने रांची, झारखंड में प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया में रिपोर्टिंग और फीचर राइटिंग किया है और ईटीवी में 5 वर्षों का डेस्क पर काम करने का अनुभव है। मैं पत्रकारिता और ज्योतिष विज्ञान में खास रुचि रखती हूं। मेरे नाना जी पंडित ललन त्रिपाठी एक प्रकांड विद्वान थे उनके सानिध्य में मुझे कर्मकांड और ज्योतिष हस्त रेखा का ज्ञान मिला और मैने इस क्षेत्र में विशेषज्ञता के लिए पढाई कर डिग्री भी ली है Author Experience- 2007 से अब तक( 17 साल) Author Education – 1. बनस्थली विद्यापीठ और विद्यापीठ से संस्कृत ज्योतिष विज्ञान में डिग्री 2. रांची विश्वविद्यालय से पत्राकरिता में जर्नलिज्म एंड मास कक्मयूनिकेश 3. विनोबा भावे विश्व विदयालय से राजनीतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री

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