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Srimad Bhagavad Gita: धृतराष्ट्र पर है भगवान की अहैतुक कृपा, श्रीमद्भगवद्गीता पृष्टभूमि (7)
Srimad Bhagavad Gita: पंक के बिना पंकज की कल्पना नहीं कर सकते। माना कि धृतराष्ट्र कीचड़ हैं, पर जिस भगवद्गीता रूपी कमल की सुरभि से सारा संसार सुवासित है, वह गीता तो उसी धृतराष्ट्र रुपी कीचड़ के कारण ही हम सब तक पहुंची है।
Srimad Bhagavad Gita: कोई भी व्यक्ति कीचड़ के दलदल में फंसना नहीं चाहता , पर उसी कीचड़ से उत्पन्न कमल को सभी पसंद करते हैं। पंक (कीचड़) से उत्पन्न होने के कारण कमल ' पंकज ' के नाम से जाना जाता है। पंक के बिना पंकज की कल्पना नहीं कर सकते। माना कि धृतराष्ट्र कीचड़ हैं, पर जिस भगवद्गीता रूपी कमल की सुरभि से सारा संसार सुवासित है, वह गीता तो उसी धृतराष्ट्र रुपी कीचड़ के कारण ही हम सब तक पहुंची है।
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भगवान श्री कृष्ण ने धृतराष्ट्र को अमर ही नहीं बना दिया, वरन् उनसे भगवद्गीता की शुरुआत कर उन्हें सिरमौर का दर्जा भी प्रदान कर दिया। जब - जब भगवद्गीता की चर्चा होगी, तब -तब धृतराष्ट्र की चर्चा होगी ही। यह प्रभु की अहैतुकी कृपा है। इसे भक्तजन ही समझ सकते हैं, ज्ञानीजन ही समझ सकते हैं। बौद्धिकता से भरे हुए बुद्धिजीवी इसे नहीं समझ सकते।
धृतराष्ट्र एक अच्छे श्रोता हैं। इस तथ्य को हमें सहज स्वीकार करना चाहिए, जो बिना टोका - टोकी के संजय द्वारा वर्णित " विषय - वस्तु एवं दृश्य " को सुनते हैं। भगवद्गीता के अंतर्गत यदि उन्होंने संजय को कह दिया होता कि भगवान श्री कृष्ण की वाणी वाला प्रसंग छोड़कर केवल युद्ध का वृतांत ही सुनाओ , तो हम लोग क्या कर सकते थे ? हम सब भगवद्गीता से वंचित रह जाते क्योंकि प्रभु की वाणी तब हम सब तक नहीं पहुंच पाती। अतः हम धृतराष्ट्र के आभारी हैं एवं ऋणी हैं।
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अंग्रेजी में एक कहावत है - Each cloud has a silver lining. अर्थात् प्रत्येक बुराई में भी अच्छाई छिपी रहती है। इस कहावत को धृतराष्ट्र ने चरितार्थ किया है। धृतराष्ट्र के कारण भगवद्गीता ही नहीं प्रकट हुई, वरन् धृतराष्ट्र के प्रश्न करने के कारण ही महात्मा विदुर के नीति युक्त वचन " विदुर नीति " के नाम से प्रसिद्ध हुए, जो आठ अध्यायों में समाहित है। यही नहीं, धृतराष्ट्र के पूछने के कारण ही ब्रह्मा जी के पुत्र सनातन ऋषि सनत्सुजातीय द्वारा तत्व - ज्ञान की चर्चा हुई है, जो छ: अध्यायों में वर्णित है। धृतराष्ट्र वास्तव में एक अच्छे श्रोता हैं।