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Budhvar ke Saral Upay: बुधवार को भूल से भी न करें यह काम, जानिए कथा जो बताएगा परिणाम और उपाय

Budhvar ke Saral Upay: बुधवार को गणेश जी की पूजा बुध ग्रह को मजबूत करने के लिए व्रत रखते हैं तो इस दिन इन उपाय और कथा से अपना कल्याण कर सकते है। जानिए क्यो नहीं करते बुधवार को बेटी की विदाई...

Suman Mishra। Astrologer
Published on: 16 Aug 2023 4:36 AM GMT (Updated on: 16 Aug 2023 4:38 AM GMT)
Budhvar ke Saral Upay: बुधवार को भूल से भी न करें यह काम, जानिए कथा जो बताएगा परिणाम और उपाय
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सांकेतिक तस्वीर, सोशल मीडिया

Budhvar Ke Upay: सप्ताह के हर वार का अपना अलग-अलग महत्व होता है। कहा गया है कि बुधवार का दिन भगवान गणेश को समर्पित है, कुछ लोग गणेश भगवान की कृपा प्राप्त करने के लिए बुधवार का व्रत भी करते हैं। बुध ग्रह का रंग हरा होता है इसलिए इस दिन हरे रंग की वस्तुएं दान करना और हरे वस्त्र धारण करना शुभ माना जाता है।

बुधवार का दिन भगवान गणेश को समर्पित होता है। किसी भी शुभ कार्य से पहले गणेश जी की पूजा जरूर की जाती है। भगवान गणेश को विघ्नहर्ता कहा जाता है।बुधवार के दिन भगवान गणेश की खास पूजा अर्चना करने से व्यक्ति के सभी दुख और संकट दूर हो जाते हैं। इसलिए बुधवार के दिन व्रत करना चाहिए।

बुधवार व्रत की विधि


बुधवार के व्रत की शुरुआत किसी भी महीने के शुक्ल पक्ष के पहले बुधवार से की जानी चाहिए। लगातार 21 बुधवार ये व्रत रखा जाना चाहिए। इस व्रत के दिन स्नान के बाद हरे रंग के कपड़े पहनने चाहिए और सुबह में गणपति जी की पूजा करनी चाहिए।
इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठें और इसके बाद अपनी दिनचर्या के काम को पूर्ण कर, गंगा जल का छिड़काव करके पूरे घर को शुद्ध करना चाहिए। तांबे के पात्र में गणेश जी की मूर्ति स्थापित करें। पूजा की जगह पर पूर्व दिशा में मुख करना शुभ होता है, संभव न हो तो उत्तर दिशा की ओर चेहरा कर पूजा की शुरुआत करें, आसन पर बैठें और भगवान गणेश की फूल, धूप, दीप, कपूर, चंदन से पूजा करें, दूर्वा अर्पित करना शुभ माना जाता है, पूजा के अंत में गणेश जी को मोदन अर्पित करें, आखिर में मन ही मन भगवान का ध्यान करते हुए ''ॐ गं गणपतये नमः'' मंत्र का 108 बार जाप करें।शाम को पूरे दिन के उपवास के बाद एक बार फिर भगवान गणेश की पूजा की जाती है और व्रत कथा सुनी जाती है। फिर आरती की जानी चाहिए। सूर्यास्त के बाद भगवान को अगरबत्ती, दीप, गुड़, भट्ट (उबला हुआ चावल), दही का चढ़ावा दिया जाना चाहिए और उसके बाद प्रसाद वितरित किया जाता है। अंत में प्रसाद को स्वयं खाना चाहिए।

मान्यताओं के अनुसार, इस व्रत को करने वाले जातक के जीवन में सुख, शांति और यश बरकरार रहता है. साथ ही उसके अन्न और धन के भंडार कभी खाली नहीं होते हैं।

बुधवार व्रत की कथा

बुधवार के व्रत की कथानुसार बहुत समय पहले की बात है एक साहूकार का नया-नया विवाह हुआ था। उसकी पत्नी मायके गयी हुई थी। नया-नया विवाह था, साहूकार का परिवार भी कुछ खास बड़ा नहीं था, जो रिश्तेदार थे उनके घर बहुत दूर थे। अब साहूकार को अकेलापन खाये जा रहा था। उससे रहा न गया और साहूकार जा पंहुचा ससुराल। साहूकार की बड़ी आवभगत हुई लेकिन ससुराल में तो अपनी पत्नी से खुलकर बात करना दूर सूरत देखना तक मुश्किल हो रहा था।

अगले ही दिन साहूकार ने कह दिया कि विदाई की तैयारी कर लीजिये हमें निकलना है। अब संयोगवश वह दिन था बुधवार का, सास-ससुर ने समझाने का प्रयास किया कि बेटा आज बुधवार का दिन है इस दिन बेटी की विदाई नहीं करने का रिवाज़ है। बेटी की विदाई क्या किसी भी शुभ कार्य के लिये यात्रा पर जाना बुधवार के दिन शुभ नहीं माना जाता। लेकिन साहूकार नहीं माना और कहा मैं इन सब बातों को नहीं मानता आप हमें जाने का आशीर्वाद दीजिये। अब अपने दामाद के आगे सास-ससुर की कहां चलने वाली थी, बेटी की विदाई कर दी गई।


बुधवार को भूल से भी न करें बेटी की विदाई


अब चलते-चलते रास्ते में साहूकार की पत्नी को प्यास लग जाती है। साहूकार जैसे पानी लेने के लिये जाता है तो वापस आते ही उसकी हैरानी का कोई ठिकाना नहीं रहता। अपने ही हमशक्ल को गाड़ी में पत्नी की बगल में बैठे देखता है। उसकी पत्नी भी एक शक्ल के दो-दो व्यक्तियों को देखकर परेशानी में पड़ गई कि उसका पति कौन सा है। जैसे ही साहूकार ने पत्नी के पास बैठे व्यक्ति से पूछा कि वह कौन है तो पलट कर जवाब दिया कि भैया मैं तो फलां नगर का साहूकार हूं और फलां नगर से अपनी पत्नी को लेकर आ रहा हूं तुम बताओ तुम कौन हो जो मेरा वेश धर कर यहां मुझसे सवाल-जबाब कर रहे हो, ऐसे बहस बाजी करते-करते दोनों में झगड़ा बढ़ गया।

झगड़े को देखते हुए राज्य के सिपाही वहां आ पंहुचे और साहूकार को पकड़ लिया। अब सिपाही भी चक्कर में पड़ गए कि दोनों की शक्ल तो एक समान है। उन्होंने साहूकार की पत्नी से पूछा कि उसका पति इनमें से कौन सा है, वह बेचारी क्या जवाब देती। तब साहूकार ने हाथ जोड़ लिये और भगवान से विनती करने लगा कि हे भगवन यह आपकी क्या माया है। तभी आकाशवाणी हुई कि मूर्ख याद कर कुछ देर पहले ही तूने अपने सास-ससुर की आज्ञा न मानकर भगवान बुध का अपमान किया और बुधवार के दिन तू अपनी पत्नी को लेकर चल पड़ा जबकि तुझे इस दिन गमन नहीं करना चाहिये था।

यह स्वयं बुध देव हैं जो तुम्हें सबक सिखाने के लिये तुम्हारे वेश में हैं। तब साहूकार ने कान पकड़ कर माफी मांगी और आगे से कभी भी ऐसा न करने का वचन किया और बुधवार को नियमपूर्वक व्रत पालन करने का संकल्प किया। तब जाकर साहूकार के रूप में प्रकट हुए बुध देवता अंतर्ध्यान हुए और साहूकार अपनी पत्नी को लेकर घर जा सका। इस घटना के पश्चात साहूकार और उसकी पत्नी दोनों नियमित रूप से बुधवार का व्रत पालन करने लगे।

बुधवार के दिन करें ये उपाय

  • साथी है अगर आप पर बुध दोष है तो उसे भी इस दिन कई उपायों से दूर किया जा सकता है। जानते हैं बुधवार के दिन कैसे मिलेगा लाभ...
    अगर आपकी कुंडली में बुध कमजोर है तो बुधवार के दिन आपको हरे रंग के कपड़े पहनने चाहिए। इस दिन किसी जरुरतमंद को हरी मूंग की दाल और हरे रंग का कपड़ा दान करना काफी शुभ माना जाता है।
  • भगवान गणेश को दूर्वा काफी प्रिय है। ऐसे में बुधवार के दिन भगवान गणेश को 21 दूर्वा अर्पित करें। इससे आपकी सभी समस्याएं दूर हो जाएंगी।
  • बुधवार के दिन गाय को हरी घास खिलाना काफी शुभ माना जाता है। साथ ही इस दिन भगवान गणेश के माथे पर सिंदूर का तिलक लगाएं।इससे आपको हर कार्य में सफलता प्राप्त होती है।
  • बुधवार के दिन भगवान गणेश को शमी के पत्ते अर्पित करना काफी शुभ माना जाता है। ऐसा करने से तनाव और मानसिक संकट दूर होते हैं।
  • बुधवार के दिन भगवान गणेश के बीज मंत्र ॐ गं गणपतये नमः का जाप करें. इससे आपको ज्ञान की प्राप्ति होती है और शिक्षा में सफलता प्राप्त होती है।

Suman Mishra। Astrologer

Suman Mishra। Astrologer

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