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Mahayogi Mahadev: महायोगी हैं महादेव
Mahayogi Mahadev: संयम से जीवन जीने से आयु भी बढ़ती है और योग के साथ रहने से चित्त भी प्रसन्न रहता है।विषय आयु को तो नष्ट करता ही है साथ ही चित्त में अशांति और भोगों को पुनः प्राप्त करने की इच्छा भी उत्पन्न करता है।
Mahayogi Mahadev
Mahayogi Mahadev: श्रावण मास में शिवजी के दर्शन करते समय एक बात और सीखने योग्य है।शिवजी के जीवन में विलास नहीं है,संन्यास है,भोग नहीं है,योग है क्योंकि भगवान शिव के चित्त में काम नहीं राम है।शिवजी ने कामदेव को भी भस्म किया है।
विषय,विष से भी अधिक घातक होते हैं। विष शरीर को मारता है,विषय आत्मा तक को दूषित कर देते हैं।विष खाने से केवल एक जन्म,एक शरीर नष्ट होता है पर विषय का चस्का लग जाने पर तो जन्म-जन्मान्तर नष्ट हो जाते हैं।
संयम से जीवन जीने से आयु भी बढ़ती है और योग के साथ रहने से चित्त भी प्रसन्न रहता है।विषय आयु को तो नष्ट करता ही है साथ ही चित्त में अशांति और भोगों को पुनः प्राप्त करने की इच्छा भी उत्पन्न करता है।भोग ही रोग को जन्म देते हैं इसलिए भोगी बनकर नहीं योगी बनकर जीना सीखो।
( लेखक धर्म व अध्यात्म के विशेषज्ञ हैं ।)