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Chaitra Navratri 2022 Eighth Day: शनि की साढ़ेसाती या वैवाहिक जीवन की परेशानी, मां महागौरी करती हैं हर कष्ट का निवारण
Chaitra Navratri 2022 Eighth Day:आज चैत्र नवरात्रि का आंठवां दिन है । नवरात्रि का 8वां दिन मां महागौरी को समर्पित है। माता रानी का यह रूप संसार में अतुलनीय और हर कष्ट को हरने वाला है। आज मां गौरी के साथ शनि देव की पूजा करने से सुख-समृद्धि और वैवाहिक जीवन में शांति मिलती है।
Chaitra Navratri 2022 Eighth Day:
चैत्र नवरात्रि का आठवां दिन मां महागौरी की पूजा
आज शनिवार 9 अप्रैल को महाअष्टमी तिथि है। जो नवरात्रि का आठवां दिन है। चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri)के आंठवें दिन मां महागौरी (Maa Mahagauri) की पूजा की जाती है। नवरात्रि के 9 दिनों में अष्टमी तिथि की महत्ता सबसे अधिक है। अष्टमी पूजन का विशेष महत्व माना जाता है। इस दिन मां दुर्गा के महागौरी रूप का पूजन किया जाता है। माता रानी का यह रूप अलौकिक है। इस रूप की सुंदरता अतुलनीय है और सुंदर,अति गौर वर्ण होने के कारण इन्हें महागौरी कहा जाता है। महागौरी की आराधना( Worship) से असंभव कार्य भी संभव हो जाते हैं, समस्त पापों का नाश होता है, सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है और हर मनोकामना पूर्ण होती है।
महागौरी का स्वरूप
चन्द्र के समान अत्यंत श्वेत वर्ण धारी महागौरी मां दुर्गा का आठवां स्वरुप हैं। नवरात्रि के आठवें दिन देवी महागौरा की पूजा की जाती है। ये शिवजी की अर्धांगिनी है। कठोर तपस्या के बाद देवी ने भगवान शिव को अपने पति के रूप में प्राप्त किया था। देवी महागौरा का शरीर बहुत गोरा है।महागौरी के वस्त्र और आभूषण श्वेत होने के कारण उन्हें श्वेताम्बरधरा भी कहा गया है । महागौरी की चार भुजाएं है जिनमें से उनके दो हाथों में डमरु और त्रिशूल है और अन्य दो हाथ अभय और वर मुद्रा में है । माता का वाहन वृष है ।
मान्यता के अनुसार भगवान शिव को पाने के लिए किये गए कठोर तप के कारण मां पार्वती का रंग काला और शरीर क्षीण हो गया था, तपस्या से प्रसन्न होकर जब भगवान शिव ने मां पार्वती का शरीर गंगाजल से धोया तो वह विद्युत प्रभा के समान गौर हो गया। इसी कारण मां को महागौरी के नाम से पूजते हैं ।
वरदायिनी -फलदायिनी है मां
ये अमोघ फलदायिनी हैं और इनकी पूजा से भक्तों के पाप धुल जाते हैं। पूर्वसंचित पाप भी नष्ट हो जाते हैं। महागौरी का पूजन-अर्चन, उपासना और आराधना करना कल्याणकारी होता है। इनकी कृपा से अलौकिक सिद्धियां भी प्राप्त होती हैं। इन सिद्धियों को प्राप्त करने के लिए मां के पूजन में इस मंत्र का जाप करना चाहिए।अष्टमी के दिन महिलाएं अपने सुहाग की रक्षा के लिए मां गौरी को चुनरी भेंट करती है। देवी महागौरी का ध्यान, स्रोत पाठ और कवच का पाठ करने से 'सोमचक्र' जाग्रत होता है जिससे संकट से मुक्ति मिलती है और धन, सम्पत्ति की वृद्धि होती है।
महागौरी की ध्यान मंत्र
वन्दे वांछित कामार्थे चन्द्रार्घकृत शेखराम्।
सिंहरूढ़ा चतुर्भुजा महागौरी यशस्वनीम्॥
पूर्णन्दु निभां गौरी सोमचक्रस्थितां अष्टमं महागौरी त्रिनेत्राम्।
वराभीतिकरां त्रिशूल डमरूधरां महागौरी भजेम्॥
पटाम्बर परिधानां मृदुहास्या नानालंकार भूषिताम्।
मंजीर, हार, केयूर किंकिणी रत्नकुण्डल मण्डिताम्॥
प्रफुल्ल वंदना पल्ल्वाधरां कातं कपोलां त्रैलोक्य मोहनम्।
कमनीया लावण्यां मृणांल चंदनगंधलिप्ताम्॥
महागौरी स्तोत्र पाठ
सर्वसंकट हंत्री त्वंहि धन ऐश्वर्य प्रदायनीम्।
ज्ञानदा चतुर्वेदमयी महागौरी प्रणमाभ्यहम्॥
सुख शान्तिदात्री धन धान्य प्रदीयनीम्।
डमरूवाद्य प्रिया अद्या महागौरी प्रणमाभ्यहम्॥
त्रैलोक्यमंगल त्वंहि तापत्रय हारिणीम्।
वददं चैतन्यमयी महागौरी प्रणमाम्यहम्॥
मां महागौरी की कवच
ओंकारः पातु शीर्षो मां, हीं बीजं मां, हृदयो।
क्लीं बीजं सदापातु नभो गृहो च पादयो॥
ललाटं कर्णो हुं बीजं पातु महागौरी मां नेत्रं घ्राणो।
कपोत चिबुको फट् पातु स्वाहा मा सर्ववदनो॥
इस मंत्र या बीज मंत्र का जाप करें...
श्वेते वृषे समारूढ़ा श्वेताम्बरधरा शुचिः।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोदया॥
इस दिन कन्या पूजन और उन्हें प्रेमपूर्वक भोजन कराने का अत्यंत महत्व है। सौभाग्य प्राप्ति और सुहाग की मंगलकामना लेकर मां को चुनरी भेंट करने का भी इस दिन विशेष महत्व है। मां की आराधना हेतु सर्वप्रथम देवी महागौरी का ध्यान करें। हाथ जोड़कर इस मंत्र का उच्चारण करें
"सिद्धगन्धर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि। सेव्यामाना सदा भूयात सिद्धिदा सिद्धिदायिनी॥"
इस मंत्र के उच्चारण के पश्चात महागौरी देवी के विशेष मंत्रों का जाप करें और मां का ध्यान कर उनसे सुख, सौभाग्य हेतु प्रार्थना करें।
इस समय न करें महागौरी की पूजा
वैसे तो आज रवि योग के साथ कई शुभ मुहूर्त है फिर भी इन मुहूर्तों में देवी पूजा और कन्या पूजन करने से फल नहीं मिलता है।
राहुकाल- 09:13 am से 10:48 am
दुर्मुहूर्त- 06:02 am से 06:53 am
यमगण्ड- 01:58 pm से 03:33 pm
गुलिक काल- 06:02 am से 07:37 am
भद्रा- 06:02 am से 12:17 pm
वैसे भी अष्टमी की तिथि शनिवार को पड़ने से इस तिथि का महत्व और बढ़ जाता है। आज अष्टमी मे देवी दुर्गा के महागौरी रूप की पूजा के साथ शनि देव की आराधना करने से शनि दोष दूर हो जाता है।
अगर कुंडली में शनि दोष है या साढ़ेसाती से पीड़ित है तो आज के दिन मां गौरी के साथ शनिदेव की पूजा करें और दान दें।धार्मिक मान्यता है मां की पूजा करने से कोई भी बाल बाका नहीं कर सकता है। और मां के सामने तो दुनिया झुकती है तो शनि देव भी दुर्गा देवी की पूजा से शांत रहते है। अशुभ प्रभाव को दूर करे शांति प्रदान करते है।
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