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Chaitra Navratri 2022 Fourth Day: आज इस मंत्र, भोग व उपाय से करें मां कूष्मांडा को प्रसन्न, बनेंगे धनवान

Chaitra Navratri 2022 Fourth Day: हर काम करने के बाद भी जीवन में कई तरह की समस्याओं से जूझना पड़ता है। किसी की शादी की तो किसी का व्यापार , किसी को मनचाहा साथी या नौकरी नहीं मिलता है। जीवन में चल रही इन परेशानियों से जल्द छुटकारा पाने के लिए देवी कूष्मांडा की पूजा से निदान मिलता है।

Suman  Mishra | Astrologer
Published on: 5 April 2022 2:37 AM GMT (Updated on: 5 April 2022 2:37 AM GMT)
Chaitra Navratri 2022 Fourth day
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सांकेतिक तस्वीर, सौ. से सोशल मीडिया

Chaitra Navratri 2022 Fourth day

चैत्र नवरात्रि का चौथे दिन कूष्मांडा की पूजा

चैत्र नवरात्रि में चौथे दिन दुर्गा देवी के स्वरूप कूष्मांडा की पूजा की जाती है। ब्रह्मांड को जन्म देने के कारण इस देवी को कूष्मांडा (maa kushmanda) कहा जाता है। जब सृष्टि नहीं थी, चारों तरफ अंधकार ही अंधकार था, तब इसी देवी ने अपने हास्य से ब्रह्मांड की रचना की थी। इसीलिए इसे सृष्टि की आदि स्वरूपा या आदि शक्ति भी कहा गया है।

कूष्मांडा का अर्थ व रूप

कूष्मांडा का अर्थ है कुम्हड़े। मां को बलियों में कुम्हड़े की बलि सबसे ज्यादा प्रिय है। इसलिए इन्हें कूष्मांडा देवी कहा जाता है। देवी की 8 भुजाएं हैं, इसलिए अष्टभुजा भी कहलाती हैं। इनके 7 हाथों में क्रमशः कमण्डल, धनुष, बाण, कमल-पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, चक्र और गदा हैं। 8वें हाथ में सभी सिद्धियों और निधियों को देने वाली जप माला है। देवी का वाहन सिंह है और इन्हें कुम्हड़े की बलि प्रिय है। संस्कृत में कुम्हड़े को कुष्मांड कहते हैं। इसलिए देवी को कूष्मांडा कहा जाता है।

देवी का वास सूर्यमंडल के भीतर लोक में है। सूर्यलोक में रहने की शक्ति क्षमता केवल इन्हीं में है। इसीलिए इनके शरीर की कांति और प्रभा सूर्य की भांति ही दैदीप्यमान है। इनके ही तेज से दसों दिशाएं आलोकित हैं। ब्रह्मांड की सभी वस्तुओं और प्राणियों में इन्हीं का तेज व्याप्त है। कुष्मांडा देवी की उपासना इस मंत्र के उच्चारण से की जाती है..


सुरासम्पूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च।

दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे॥

मां कूष्मांडा को प्रिय है यह प्रसाद

चतुर्थी के दिन मालपुएं का प्रसाद देवी को अर्पित किया जाए और फिर उसे योग्य ब्राह्मण को दे दिया जाए तो इस अपूर्व दान से हर प्रकार का विघ्न दूर हो जाती है। मान्यता है कि माता की उपासना से मनुष्य को व्याधियों से मुक्ति मिलती है। मनुष्य अपने जीवन के परेशानियों से दूर होकर सुख और समृद्धि की तरफ बढ़ता है। देवी सेवा और भक्ति से ही प्रसन्न होकर आशीर्वाद देती हैं। सच्चे मन से पूजा करने वाले को सुगमता से परम पद प्राप्त होता है। विधि-विधान से पूजा करने पर भक्त को कम समय में ही देवी कृपा का अनुभव होने लगता है।

चैत्र नवरात्रि में देवी कुष्मांडा की पूजा का महत्व

देवी कुष्मांडा रोग-संताप दूर कर आरोग्यता का वरदान देती हैं। मां की पूजा से आयु, यश और बल भी प्राप्त होता है। देवी कुष्माण्डा की पूजा गृहस्थ जीवन में रहने वालों को जरूर करना चाहिए। मां की आराधना से संतान और दांपत्य सुख का भी वरदान मिलता है। मां कुष्माण्डा की पूजा से सभी प्रकार के कष्टों का अंत होता है। देवी कूष्मांडा सूर्य को भी दिशा और ऊर्जा प्रदान करने का काम करती हैं। जिनकी कुंडली में सूर्य कमजोर होता है उन्हें देवी कूष्मांडा की पूजा विधिपूर्वक करनी चाहिए।

सांकेतिक तस्वीर, सौ. से सोशल मीडिया

मां कूष्मांडा हरेंगी कष्ट, करें ये उपाय


हर काम करने के बाद भी जीवन में कई तरह की समस्याओं से जूझना पड़ता है। किसी की शादी की तो किसी का व्यापार किसी को मनचाहा साथी या नौकरी नहीं मिलता है। जीवन में चल रही इन परेशानियों से जल्द छुटकारा पाने के लिए देवी मां के इस मंत्र का 108 बार जप करें। मंत्र है-

दुर्गतिनाशिनी त्वंहि दारिद्रादि विनाशिनीम्।

जयंदा धनदां कूष्माण्डे प्रणमाम्यहम्॥

किसी भी परीक्षा में अच्छे रिजल्ट के लिये बुद्धि के विकास के लिए देवी दुर्गा के इस रूप की विद्या प्राप्ति मंत्र का 5 बार जप करना चाहिए । मंत्र है-

'या देवी सर्वभूतेषु बिद्धि-रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिये इस मंत्र का 11 बार जप करें। मंत्र है-

जगन्माता जगतकत्री जगदाधार रूपणीम्।

चराचरेश्वरी कूष्माण्डे प्रणमाम्यहम्॥

सुख-शांति और समृद्धि बढ़ाने के लिये मंत्र का 21 बार जाप करें।

या देवी सर्वभूतेषु शक्ति-रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

आज गुलाब के फूल में कपूर रखकर माता कुष्मांडा के सामने रखे। फिर माता लक्ष्मी के मन्त्र का 6 माला जप करें। मंत्र है-

ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्री सिद्ध लक्ष्म्यै नम:

शाम के समय फूल में से कपूर लेकर जला दें, और फूल देवी को चढ़ा दें।

हर तरह की समृद्धि, संतान के लिए

सर्वबाधा विनिर्मुक्तो, धन-धान्य सुतावन्ति।

मनुष्यमत् प्रसादेन, भविष्यति न संशय।। का जाप 108 बार करने से इच्छा पूरी होती है।

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Suman  Mishra | Astrologer

Suman Mishra | Astrologer

एस्ट्रोलॉजी एडिटर

मैं वर्तमान में न्यूजट्रैक और अपना भारत के लिए कंटेट राइटिंग कर रही हूं। इससे पहले मैने रांची, झारखंड में प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया में रिपोर्टिंग और फीचर राइटिंग किया है और ईटीवी में 5 वर्षों का डेस्क पर काम करने का अनुभव है। मैं पत्रकारिता और ज्योतिष विज्ञान में खास रुचि रखती हूं। मेरे नाना जी पंडित ललन त्रिपाठी एक प्रकांड विद्वान थे उनके सानिध्य में मुझे कर्मकांड और ज्योतिष हस्त रेखा का ज्ञान मिला और मैने इस क्षेत्र में विशेषज्ञता के लिए पढाई कर डिग्री भी ली है Author Experience- 2007 से अब तक( 17 साल) Author Education – 1. बनस्थली विद्यापीठ और विद्यापीठ से संस्कृत ज्योतिष विज्ञान में डिग्री 2. रांची विश्वविद्यालय से पत्राकरिता में जर्नलिज्म एंड मास कक्मयूनिकेश 3. विनोबा भावे विश्व विदयालय से राजनीतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री

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