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Chaitra Navratri Akhand Jyoti: चैत्र नवरात्रि में कैसे जलाये अखंड ज्योति, न हो कोई गलती, मां दुर्गा भरती रहें झोली

Chaitra Navratri Akhand Jyoti: नवरात्रों में नौ दिनों तक देवी माता जी का विशेष श्रृंगार होता है। चोला, फूलों की माला, हार और नए कपड़ों से माता जी का श्रृंगार किया जाता है। वहीं नवरात्रि में देशी गाय के घी से अखंड ज्योति जलता है। यह मां भगवती को बहुत प्रसन्न करने वाला कार्य होता है।

Suman  Mishra | Astrologer
Published on: 1 April 2022 10:06 AM IST (Updated on: 1 April 2022 10:54 AM IST)
Chaitra Navratri Akhand Jyoti
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सांकेतिक तस्वीर, सौ.से सोशल मीडिया

Chaitra Navratri Akhand Jyoti

चैत्र नवरात्रि में अखंड ज्योति

शनिवार 2 अप्रैल 2022 से चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri ) शुरू हो जाएगा। नवरात्रि आते ही हर तरफ भक्ति का माहौल रहता है। लोग मां दुर्गा के सामने कई तरह से श्रद्धा प्रकट करते हैं। मां दुर्गा की भक्ति में घरों में कलश स्थापित किए जाते हैं और अखंड ज्योत जलाए जाते हैं।ये अखंड ज्योति जलाना नवरात्र‍ि में दिन-रात लगातार जलते रहता है। इसे कभी बुझने नहीं देना चाहिए। लगातार जलने की वजह से ही इसे अखंड ज्योत ( Akhand Jyoti) कहते हैं। अगर आप ऐसा करते हैं तो याद रखें क‍ि इस दौरान घर में कभी ताला नहीं लगाना चाहिए। इसके पीछे धारणा यही है कि परिवार के सदस्यों की गैर-मौजूदगी में अगर ये ज्योति बुझ जाए तो अपशकुन होता है।

नवरात्रि के नौ द‍िनों में मां दुर्गा के जिन स्वरूपों की पूजा की जाती है उनमें माता शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्रि देवी हैं। नवरात्रों में नौ दिनों तक देवी माता जी का विशेष श्रृंगार होता है। चोला, फूलों की माला, हार और नए कपड़ों से माता जी का श्रृंगार किया जाता है। वहीं नवरात्र में देशी गाय के घी से अखंड ज्योति जलता है। यह मां भगवती को बहुत प्रसन्न करने वाला कार्य होता है। लेकिन अगर गाय का घी नहीं है तो अन्य घी से माता की अखंड ज्योति पूजा स्थान पर जरूर जलानी चाहिए।

अखंड ज्योति कैसा हो

हर पूजा में दीपक का विशेष महत्व होता है। ऐसी मान्यता है कि पूजा में यह भक्त की भक्ति और श्रद्धा का प्रतीक होता है। इसलिए दीपक के बिना कोई भी पूजा पूरी नहीं होती। नवरात्रि नौ दिनों की होती है इसलिए जब भी नवरात्रि का संकल्प लेकर अखंड दीपक जलाएं तो इसके नियमों का पालन अवश्य करें। अखंड ज्योति सिर्फ पीतल के दीप पात्र में ही जलाया जा सकता है लेकिन ऐसा नहीं है। पीतल को शुद्ध माना जाता है, इसलिए पूजा में इससे बने पात्रों को प्रयोग किया जाता है। अगर पीतल का दीया नहीं जला सकते, तो मिट्टी का दीप-पात्र ले सकते हैं।

अगर मिट्टी का दीपक जला रहे हैं, तो इसमें अखंड ज्योति लगाने से 24 घंटे पहले इसे साफ जल से भरे किसी बरतन में पानी में पूरी तरह डुबोकर रखें।उसके बाद उसे पानी से निकालें और और किसी साफ कपड़े से पोंछकर सुखा लें। अखंड ज्योति का यह दीया कभी खाली जमीन पर नहीं रखा जाता। इसलिए चाहे चौकी या पटरे पर इसे जला रहे हों या देवी के सामने जमीन पर रख रहे हों, दीये को रखने के लिए अष्टदल अवश्य बनाएं। यह अष्टदल गुलाल या रंगे हुए चावलों से बना सकते हैं। पीले या लाल चावलों से चित्रानुसार अष्टदल बना लें।

अखंड ज्योति अगर बुझ जाए तो क्या करें

अखंड ज्योति पूरे 9 दिन तक बिना बुझे जलाने का प्रावधान है। अखंड ज्योति जलाने के बाद आप उसे अकेला नहीं छोड़ सकते हैं और अगर ये ज्योति बुझ जाए तो अपशगुन होता है। नवरात्रि में 9 दिनों तक देवी मां को प्रसन्न करने और मनवांछित फल पाने के लिए गाय के देशी घी से अखंड ज्योति प्रज्जवलित की जाती है। अखंड ज्योति में जलाने वाला दीया कभी बुझना नहीं चाहिए, इसलिए इसकी बाती विशेष होती है। यह रक्षासूत्र से बनाई जाती है। सवा हाथ का रक्षासूत्र लेकर उसे सावधानीपूर्वक बाती की तरह दीये के बीचोंबीच रखें।

किसी भी पूजा में दीपक के लिए शुद्ध घी का प्रयोग किया जाना अच्छा माना जाता है, लेकिन अगर घी ना जला सकें तो तिल या सरसों का तेल भी जलाया जा सकता है। बस इतना ध्यान रखें कि इनमें अन्य तेलों की मिलावट ना हो और ये पूरी तरह शुद्ध हों। आप घी या तेल का दीपक जला रहे हैं, इसी से देवी के सामने दीपक रखे जाने का स्थान तय होता है। ऐसी मान्यता है कि अगर घी दीपक जलाया जाए, तो यह देवी की दाईं ओर रखा जाना चाहिए, लेकिन अगर दीपक तेल का है तो इसे बाईं ओर रखें।

अखंड ज्योत क्यों जलाएं

क्यों जलाई जाती है अखंड ज्योत? मान्यता है कि अखंड ज्योत जलाने से घर में सुख-समृद्धि का वास होता है. अखंड ज्योत में एक ऐसी पॉजिटिव एनर्जी होती है, जो शत्रुओं की बुरी नजर से आपकी रक्षा करती है. जैसे अंधेरे घर में दीपक की लौ रोशनी करती है, वैसे ही माता के नाम का ये दीपक हमारी जीवन के अंधकार को दूर करता है

अगर किसी विशेष मनोकामना के साथ यह अखंड ज्योति जला रहे हों तो उसे भी मन में सोच लें और माता से प्रार्थना करें कि पूजा की समाप्ति के साथ ही वह पूर्ण हो जाए, अब मां दुर्गा का मंत्र - ॐ जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तु‍ते।। मंत्र का उच्चारण करते हुए दीपक जलाएं।

सांकेतिक तस्वीर, सौ.से सोशल मीडिया


अंखड ज्योति के फायदे

  • अंखड ज्योति जलाने से घर और घर के लोगों पर हमेशा से मां की कृपा बनी रहती हैं। नवरात्रि में अखंड ज्योति जलाने से पूजा स्थल पर कभी भी अनाप-शनाप चीजों का साया नहीं पड़ता है।
  • शुद्ध घी की ज्योति जलाने से घर में सकारात्मकता बढ़ती है और नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है। इस वजह से घर में हो रहे लड़ाई झगड़े और बीमारियों में कमी आती है।
  • नवरात्रि के दौरान विद्यार्थियों को अखंड ज्योति जलानी चाहिए। इससे उनकी शिक्षा बेहतर होगी और दिमाग पर सकारात्मक असर होगा। वो रोज अखंड ज्योति में घी डालें और नियमित तौर पर पूजा करें तो उनकी बुद्धि पर भी सकारात्मक असर होगा।
  • सरसों के तेल की अखंड ज्योति जलाने से देवी खुश होती हैं और तुरंत सभी काम बनने लगते हैं। ऐसा करने से पितृ भी शांत रहते हैं और घर में समृद्धि आती है।
  • अंखड दीप जलाना स्वास्थ्य के लिए भी अच्छा है क्योंकि घी और कपूर की महक से इंसान की श्वास और नर्वस सिस्टम बढ़िया रहता है।
  • अगर आप शनि का कुप्रभाव से बचना चाहते है तो अपने घर में अखंड ज्योति जरुर जलाएं। माता की कृपा से शनिदेव घर के लोगों पर अपनी टेढ़ी दृष्टि हटा लेते है और घर वालों के बिगड़े काम बनने लगते हैं। अगर घर में तिल के तेल की ज्योति जले तो यह ज्यादा प्रभावी होता है।



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Suman  Mishra | Astrologer

Suman Mishra | Astrologer

एस्ट्रोलॉजी एडिटर

मैं वर्तमान में न्यूजट्रैक और अपना भारत के लिए कंटेट राइटिंग कर रही हूं। इससे पहले मैने रांची, झारखंड में प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया में रिपोर्टिंग और फीचर राइटिंग किया है और ईटीवी में 5 वर्षों का डेस्क पर काम करने का अनुभव है। मैं पत्रकारिता और ज्योतिष विज्ञान में खास रुचि रखती हूं। मेरे नाना जी पंडित ललन त्रिपाठी एक प्रकांड विद्वान थे उनके सानिध्य में मुझे कर्मकांड और ज्योतिष हस्त रेखा का ज्ञान मिला और मैने इस क्षेत्र में विशेषज्ञता के लिए पढाई कर डिग्री भी ली है Author Experience- 2007 से अब तक( 17 साल) Author Education – 1. बनस्थली विद्यापीठ और विद्यापीठ से संस्कृत ज्योतिष विज्ञान में डिग्री 2. रांची विश्वविद्यालय से पत्राकरिता में जर्नलिज्म एंड मास कक्मयूनिकेश 3. विनोबा भावे विश्व विदयालय से राजनीतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री

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