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Chaitra Navratri Eighth Day: अंतरंग शुद्धता के लिए करें महागौरी की पूजा, जानिए मंत्र-उपाय ?

Chaitra Navratri Eighth Day Worship: महागौरी मां दुर्गा का आठवां स्वरुप हैं। नवरात्रि के आठवें दिन देवी महागौरा की पूजा की जाती है। ये शिवजी की अर्धांगिनी है।

Suman  Mishra | Astrologer
Published on: 15 April 2024 11:45 PM GMT (Updated on: 15 April 2024 11:45 PM GMT)
Chaitra Navratri Eighth Day: अंतरंग  शुद्धता के लिए करें महागौरी की पूजा, जानिए मंत्र-उपाय ?
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Chaitra Navratri Eighth Day Worship: चैत्र नवरात्रि का आठवां और अंतिम दिन, महागौरी देवी को समर्पित होता है। यह नवरात्रि का दिन उस शक्ति की पूजा का समय है, जो सफेद रंग की वस्त्र धारण करती हैं और अपने सौंदर्य एवं पवित्रता से प्रसिद्ध हैं।महागौरी नाम का अर्थ है 'महा' यानी 'बड़ा' और 'गौरी' यानी 'सुंदर'। वह देवी दुर्गा का रूप है, जो अपने प्रेम और करुणा के साथ अपने भक्तों को आशीर्वाद देती हैं।

महागौरी देवी का वाहन वृषभ होता है, और उनके हाथ में त्रिशूल और डमरू होता है। वे अपने साथ शांति और सुख का संदेश लाती हैं, जो भक्तों को भयहीन और स्थिरता की अनुभूति कराती हैं।महागौरी देवी की पूजा में, भक्त उनके लिए धूप, दीप, फूल और नैवेद्य चढ़ाते हैं। इस दिन की पूजा और व्रत से भक्त शुभ और मंगल की प्राप्ति की कामना करते हैं।चैत्र नवरात्रि का यह अंतिम दिन महागौरी देवी की पूजा करके, हम सभी उनके दिव्य आशीर्वाद को प्राप्त करते हैं और अपने जीवन में शांति, समृद्धि और सद्गुणों की प्राप्ति की कामना करते हैं।

चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri)के आंठवें दिन मां महागौरी (Maa Mahagauri) की पूजा की जाती है। नवरात्रि में अष्टमी पूजन का विशेष महत्व माना जाता है। इस दिन मां दुर्गा के महागौरी रूप का पूजन किया जाता है। सुंदर,अति गौर वर्ण होने के कारण इन्हें महागौरी कहा जाता है। महागौरी की आराधना( Worship) से असंभव कार्य भी संभव हो जाते हैं, समस्त पापों का नाश होता है, सुख-सौभाग्य की प्राप्‍ति होती है और हर मनोकामना पूर्ण होती है।

चन्द्र के समान अत्यंत श्वेत वर्ण धारी महागौरी मां दुर्गा का आठवां स्वरुप हैं। नवरात्रि के आठवें दिन देवी महागौरा की पूजा की जाती है। ये शिवजी की अर्धांगिनी है। कठोर तपस्या के बाद देवी ने भगवान शिव को अपने पति के रूप में प्राप्त किया था। देवी महागौरा का शरीर बहुत गोरा है।

महागौरी का स्वरूप

महागौरा के वस्त्र और आभूषण श्वेत होने के कारण उन्हें श्वेताम्बरधरा भी कहा गया है । महागौरा की चार भुजाएं है जिनमें से उनके दो हाथों में डमरु और त्रिशूल है और अन्य दो हाथ अभय और वर मुद्रा में है । माता का वाहन वृष है । मान्यता के अनुसार भगवान शिव को पाने के लिए किये गए कठोर तप के कारण मां पार्वती का रंग काला और शरीर क्षीण हो गया था, तपस्या से प्रसन्न होकर जब भगवान शिव ने मां पार्वती का शरीर गंगाजल से धोया तो वह विद्युत प्रभा के समान गौर हो गया। इसी कारण मां को महागौरी के नाम से पूजते हैं । अष्टमी के दिन महिलाएं अपने सुहाग की रक्षा के लिए मां गौरी को चुनरी भेंट करती है। देवी महागौरी का ध्यान, स्रोत पाठ और कवच का पाठ करने से 'सोमचक्र' जाग्रत होता है जिससे संकट से मुक्ति मिलती है और धन, सम्पत्ति की वृद्धि होती है।

ये अमोघ फलदायिनी हैं और इनकी पूजा से भक्तों के पाप धुल जाते हैं। पूर्वसंचित पाप भी नष्ट हो जाते हैं। महागौरी का पूजन-अर्चन, उपासना और आराधना करना कल्याणकारी होता है। इनकी कृपा से अलौकिक सिद्धियां भी प्राप्त होती हैं। इन सिद्धियों को प्राप्त करने के लिए मां के पूजन में इस मंत्र का जाप करना चाहिए।

महागौरी की ध्यान

वन्दे वांछित कामार्थे चन्द्रार्घकृत शेखराम्।

सिंहरूढ़ा चतुर्भुजा महागौरी यशस्वनीम्॥

पूर्णन्दु निभां गौरी सोमचक्रस्थितां अष्टमं महागौरी त्रिनेत्राम्।

वराभीतिकरां त्रिशूल डमरूधरां महागौरी भजेम्॥

पटाम्बर परिधानां मृदुहास्या नानालंकार भूषिताम्।

मंजीर, हार, केयूर किंकिणी रत्नकुण्डल मण्डिताम्॥

प्रफुल्ल वंदना पल्ल्वाधरां कातं कपोलां त्रैलोक्य मोहनम्।

कमनीया लावण्यां मृणांल चंदनगंधलिप्ताम्॥

महागौरी स्तोत्र पाठ

सर्वसंकट हंत्री त्वंहि धन ऐश्वर्य प्रदायनीम्।

ज्ञानदा चतुर्वेदमयी महागौरी प्रणमाभ्यहम्॥

सुख शान्तिदात्री धन धान्य प्रदीयनीम्।

डमरूवाद्य प्रिया अद्या महागौरी प्रणमाभ्यहम्॥

त्रैलोक्यमंगल त्वंहि तापत्रय हारिणीम्।

वददं चैतन्यमयी महागौरी प्रणमाम्यहम्॥

शंख और चन्द्र के समान अत्यंत श्वेत वर्ण धारी महागौरी मां दुर्गा का आठवां स्वरुप हैं । नवरात्रि के आठवें दिन देवी महागौरी की पूजा की जाती है । ये शिवजी की अर्धांगिनी है । कठोर तपस्या के बाद देवी ने भगवान शिव को अपने पति के रूप में पाया था । देवी का शरीर बहुत गोरा है । इसलिए इन्हें महागौरी कहते हैं। महागौरा के वस्त्र और आभूषण श्वेत होने के कारण उन्हें श्वेताम्बरधरा भी कहा गया है । महागौरी की चार भुजाएं है जिनमें से उनके दो हाथों में डमरु और त्रिशूल है और अन्य दो हाथ अभय और वर मुद्रा में है । माता का वाहन वृष है।मान्यता के अनुसार भगवान शिव को पाने के लिए किये गए कठोर तप के कारण मां पार्वती का रंग काला और शरीर क्षीण हो गया था, तपस्या से प्रसन्न होकर जब भगवान शिव ने मां पार्वती के शरीर को गंगाजल से धोया तो वह विद्युत प्रभा के समान गौर हो गया। इसी कारण मां को महागौरी के नाम से पूजते हैं । अष्टमी के दिन महिलाएं अपने सुहाग की रक्षा के लिए मां गौरी को चुनरी भेंट करती है। देवी महागौरी का ध्यान, स्रोत पाठ और कवच का पाठ करने से 'सोमचक्र' जाग्रत होता है जिससे संकट से मुक्ति मिलती है और धन, सम्पत्ति की वृद्धि होती है।

ये अमोघ फलदायिनी हैं और इनकी पूजा से भक्तों के पाप धुल जाते हैं। पूर्वसंचित पाप भी नष्ट हो जाते हैं। महागौरी की उपासना और आराधना करना कल्याणकारी होता है। इनकी कृपा से अलौकिक सिद्धियां भी प्राप्त होती हैं। इन सिद्धियों को प्राप्त करने के लिए मां के पूजन में इस मंत्र का जाप करना चाहिए।

माता महागौरी की कवच

ओंकारः पातु शीर्षो मां, हीं बीजं मां, हृदयो।

क्लीं बीजं सदापातु नभो गृहो च पादयो॥

ललाटं कर्णो हुं बीजं पातु महागौरी मां नेत्रं घ्राणो।

कपोत चिबुको फट् पातु स्वाहा मा सर्ववदनो॥

इस मंत्र या बीज मंत्र का जाप करें...

श्वेते वृषे समारूढ़ा श्वेताम्बरधरा शुचिः।

महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोदया॥

इस दिन कन्या पूजन और उन्हें प्रेमपूर्वक भोजन कराने का अत्यंत महत्व है। सौभाग्य प्राप्‍ति और सुहाग की मंगलकामना लेकर मां को चुनरी भेंट करने का भी इस दिन विशेष महत्व है। मां की आराधना हेतु सर्वप्रथम देवी महागौरी का ध्यान करें। हाथ जोड़कर इस मंत्र का उच्चारण करें

"सिद्धगन्धर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि। सेव्यामाना सदा भूयात सिद्धिदा सिद्धिदायिनी॥"

इस मंत्र के उच्चारण के पश्चात महागौरी देवी के विशेष मंत्रों का जाप करें और मां का ध्यान कर उनसे सुख, सौभाग्य हेतु प्रार्थना करें।

महागौरी देवी की पूजा का उपाय

चैत्र नवरात्रि में महागौरी देवी की पूजा करने के कुछ उपाय हैं जो कर सकते है..

स्नान और ध्यान: पूजा के लिए सबसे पहले उपवास के साथ स्नान करें और फिर ध्यान में चले जाएं। ध्यान के दौरान महागौरी देवी की ध्यान करें और उनसे अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति की प्रार्थना करें।

मंत्र जप: "ॐ देवी महागौर्यै नमः" या "ॐ ह्रीं चंद्रघंटायै नमः" जैसे महागौरी देवी के मंत्रों का जाप करें। मंत्र जप के द्वारा देवी की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।

पूजा सामग्री का इस्तेमाल: पूजा के लिए सभी आवश्यक सामग्री जैसे फूल, धूप, दीप, नैवेद्य, अदरक, सिन्दूर, रोली, चावल, घी, धनिया, दाल आदि का उपयोग करें।

कथा और आरती: महागौरी देवी की कथा सुनें और उनकी आरती गाएं। यह उन्हें समर्पित करने का एक उत्कृष्ट तरीका है और भक्ति में उन्हें लीन करने में मदद करता है।

दान और सेवा: नवरात्रि के इस पावन अवसर पर गरीबों और दरिद्रों को भोजन, वस्त्र, धन आदि दान करें और देवी की सेवा करें।

पंचमृत अभिषेक: महागौरी देवी की मूर्ति पर पंचमृत का अभिषेक करें, जिसमें दूध, दही, घी, शहद, और गन्ध मिलाया जाता है। इससे उन्हें प्रसन्नता मिलती है।

व्रत: चैत्र नवरात्रि के दौरान महागौरी देवी के व्रत रखें। यह व्रत शुभ फल और समृद्धि की प्राप्ति में मदद करता है।इन उपायों का अनुसरण करके, भक्त महागौरी देवी की कृपा प्राप्त कर सकते हैं और अपने जीवन में शांति, समृद्धि और सम्पूर्णता की प्राप्ति कर सकते हैं।

चैत्र नवरात्रि में महागौरी देवी शुभ फल


चैत्र नवरात्रि में महागौरी देवी की पूजा से अनेक शुभ फल प्राप्त होते हैं। यहां कुछ मुख्य फल हैं जो भक्त इस पूजा से प्राप्त कर सकते हैं:

आत्मशुद्धि: महागौरी देवी की पूजा से अन्तरंग शुद्धि होती है और भक्त का मन और आत्मा पवित्रता की ओर बढ़ता है।

दुर्गुणों का नाश: उनकी पूजा से अनेक दुर्गुण जैसे क्रोध, लोभ, अहंकार आदि का नाश होता है। भक्त शांति और समर्थता की प्राप्ति में सफल होता है।

आर्थिक समृद्धि: महागौरी देवी की पूजा से आर्थिक समृद्धि की प्राप्ति होती है। भक्त को धन और संपत्ति में वृद्धि होती है और वह आर्थिक समस्याओं से मुक्ति प्राप्त करता है।

स्वास्थ्य और दीर्घायु: महागौरी देवी की कृपा से भक्त का स्वास्थ्य मजबूत होता है और उसकी आयु बढ़ती है। वह रोगों से मुक्ति प्राप्त करता है और लम्बी आयु का आनंद लेता है।

शांति और संतुलन: महागौरी देवी की पूजा से मनुष्य को मानसिक और आत्मिक शांति का अनुभव होता है। वह अपने जीवन में संतुलन की भावना को प्राप्त करते हैं और समस्त अशांति से मुक्ति प्राप्त करते हैं।

समृद्धि और धन: महागौरी देवी की कृपा से भक्तों को आर्थिक समृद्धि की प्राप्ति होती है। वह अपने जीवन में धन, संपत्ति, और समृद्धि का आनंद उठाते हैं।

आरोग्य और स्वास्थ्य: महागौरी देवी की पूजा से भक्तों को स्वास्थ्य और आरोग्य का वरदान मिलता है। वे रोगों से मुक्ति प्राप्त करते है

Suman  Mishra | Astrologer

Suman Mishra | Astrologer

एस्ट्रोलॉजी एडिटर

मैं वर्तमान में न्यूजट्रैक और अपना भारत के लिए कंटेट राइटिंग कर रही हूं। इससे पहले मैने रांची, झारखंड में प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया में रिपोर्टिंग और फीचर राइटिंग किया है और ईटीवी में 5 वर्षों का डेस्क पर काम करने का अनुभव है। मैं पत्रकारिता और ज्योतिष विज्ञान में खास रुचि रखती हूं। मेरे नाना जी पंडित ललन त्रिपाठी एक प्रकांड विद्वान थे उनके सानिध्य में मुझे कर्मकांड और ज्योतिष हस्त रेखा का ज्ञान मिला और मैने इस क्षेत्र में विशेषज्ञता के लिए पढाई कर डिग्री भी ली है Author Experience- 2007 से अब तक( 17 साल) Author Education – 1. बनस्थली विद्यापीठ और विद्यापीठ से संस्कृत ज्योतिष विज्ञान में डिग्री 2. रांची विश्वविद्यालय से पत्राकरिता में जर्नलिज्म एंड मास कक्मयूनिकेश 3. विनोबा भावे विश्व विदयालय से राजनीतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री

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