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Chaitra Navratri Mantra: इस बार नवरात्रि में मंत्रों की शक्ति से बदले किस्मत, नौ दिन करें जाप, जानिए

Chaitra Navratri Mantra: चैत्र नवरात्रि 2025 में पूजा के साथ रोज देवी दुर्गा के मंत्रों का जाप करें,जानिए नवरुपों के नौ मंत्र

Suman  Mishra
Published on: 28 March 2025 7:00 AM IST (Updated on: 28 March 2025 7:00 AM IST)
Chaitra Navratri 2025, SOCIAL MEDIA
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Chaitra Navratri 2025 चैत्र नवरात्रि 2025: नौ देवियों के मंत्र और उनका महत्व:इस साल चैत्र नवरात्रि 30 मार्च, रविवार से 6 अप्रैल, रविवार तक मनाया जाएगा। नवरात्रि के दौरान देवी के 9 रूपों की पूजा होती है, जिसमें हर दिन एक विशेष देवी की पूजा की जाती है।दुर्गा देवी के इन 9 रूपों के अलग-अलग मंत्र भी हैं, जिनके जाप से विशेष लाभ प्राप्त होता है।

चैत्र नवरात्रि में पढ़ें 9 देवियों और उनके मंत्र

र दिन देवी के एक विशेष स्वरूप की पूजा की जाती है, और उनके सिद्ध मंत्रों के जाप से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। माना जाता है कि इन मंत्रों के उच्चारण से न केवल मानसिक और आध्यात्मिक शांति मिलती है, बल्कि जीवन की सभी कठिनाइयों से भी मुक्ति संभव होती है।जानते हैं नवरात्रि की 9 देवियों और उनके मंत्रों के बारे में:

चैत्र नवरात्रि पहला दिन माता शैलपुत्री

मंत्र:

वन्दे वांछित लाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।

वृषारूढ़ा शूलधरां यशस्विनीम्॥

अर्थ: माता शैलपुत्री वृषभ पर विराजित हैं। उनके दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल पुष्प है।

चैत्र नवरात्रि दूसरे दिन माता ब्रह्मचारिणी

मंत्र:

दधाना करपद्याभ्यांक्षमालाकमण्डलू।

देवी प्रसीदतु मयी ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा॥

अर्थ: माता ब्रह्मचारिणी का स्वरूप अद्भुत और दिव्य है। वे हाथों में जप माला और कमंडल धारण करती हैं।

माता चंद्रघंटा तीसरा दिन

मंत्र:

पिण्डजप्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकैर्युता।

प्रसादं तनुते मह्रयं चन्द्रघण्टेति विश्रुता॥

अर्थ: माता चंद्रघंटा के माथे पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र है, उनकी मुद्रा युद्ध के लिए तैयार रहने जैसी है।

चैत्र नवरात्रि में चौथा दिन माता कूष्मांडा

मंत्र:

सुरासम्पूर्णकलशं रूधिराप्लुतमेव च।

दधानाहस्तपद्याभ्यां कुष्माण्डा शुभदास्तु मे॥

अर्थ: माता कूष्मांडा आठ भुजाओं वाली देवी हैं और सिंह पर सवार होती हैं।

चैत्र नवरात्रि पांचवां दिन माता स्कंदमाता

मंत्र:

सिंहासनगता नित्यं पद्माञ्चितकरद्वया।

शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी॥

अर्थ: माता स्कंदमाता की चार भुजाएं हैं, और उनकी गोद में भगवान स्कंद विराजमान हैं।

चैत्र नवरात्रि छठा दिन माता कात्यायनी

मंत्र:

चन्द्रहासोज्जवलकरा शार्दूलावरवाहना।

कात्यायनी शुभं दद्यादेवी दानवद्यातिनी।।

अर्थ: माता कात्यायनी ऋषि कात्यायन की पुत्री हैं और उनका स्वरूप अत्यंत दिव्य और भव्य है।

चैत्र नवरात्रि सांतवां दिन माता कालरात्रि

मंत्र:

एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता।

लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी॥

वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टक भूषणा।

वर्धन्मूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयंकरी॥

अर्थ: माता कालरात्रि का स्वरूप अत्यंत काला और भयंकर है, उनकी तीन नेत्र और बिखरे हुए केश हैं।

चैत्र नवरात्रि आठवां दिन माता महागौरी

मंत्र:

श्वेत वृषे समारूढ़ा श्वेताम्बरधरा शुचि:।

महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा॥

अर्थ: माता महागौरी का रंग अत्यंत गौरवर्ण है, उनके वस्त्र और आभूषण भी श्वेत हैं।

चैत्र नवरात्रि नौवां दिनमाता सिद्धिदात्री

मंत्र:

सिद्धगंधर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि।

सेव्यमाना यदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायनी॥

अर्थ: माता सिद्धिदात्री की पूजा करने से सभी प्रकार की सिद्धियां प्राप्त होती हैं।

नवरात्रि का हर दिन विशेष महत्व रखता है और देवी के अलग-अलग रूपों की उपासना से भक्तों को विशेष फल की प्राप्ति होती है। इन मंत्रों का जाप करने से आशीर्वाद प्राप्त होता है और उनकी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

Admin 2

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