×

Chaitra Navratri 2024 sixth Day: देवी दुर्गा का छठा स्वरूप, हरता है हर रोग, शोक, संताप और भय

Chaitra Navratri 2024 Sixth Day:आज चैत्र नवरात्रि का छठा दिन है । आज के दिन मां दुर्गा के छठे रुप कात्यायनी देवी की पूजा का विधान है। चैत्र नवरात्रि (Navratri) में छठे दिन मां कात्यायिनी देवी(Maa Katyayaini )की पूजा की जाती है।

Suman  Mishra | Astrologer
Published on: 14 April 2024 8:17 AM IST
Chaitra Navratri 2024 sixth Day: देवी दुर्गा का छठा स्वरूप, हरता है हर रोग, शोक, संताप और भय
X

Chaitra Navratri 2024 sixth Day: नवरात्रि (Navratri) में छठे दिन मां कात्यायिनी देवी(Maa Katyayini Devi)की पूजा की जाती है। मां दुर्गा के कात्यायिनी रूप को फलदायिनी भी कहा जाता है। महर्षि कात्यायन के यहां पुत्री के रूप में आश्विन कृष्ण चतुर्दशी को जन्म लेकर माता ने महिषासुर (Mahishasura)का वध किया था।इन्होंने शुक्ल सप्तमी, अष्टमी और नवमी तक तीन दिन कात्यायन ऋषि की पूजा ग्रहण कर दशमी(Dashmi) को महिषासुर का वध किया था। नवरात्रि के छठे दिन इनके स्वरूप की पूजा( Worship) की जाती है।

देवी दुर्गा का छठा स्वरूप

नवरात्रि के छठे दिन इनके स्वरूप की पूजा की जाती है। मां का स्वरुप इस दिन साधक का मन आज्ञा चक्र में स्थित रहता है। ये सिंह पर सवार, चार भुजाओं वाली और सुसज्जित आभा मंडल वाली देवी हैं। इनके बाएं हाथ में कमल और तलवार और दाएं हाथ में स्वस्तिक और आशीर्वाद की मुद्रा है। मां कात्यायनी की भक्ति और उपासना द्वारा मनुष्य को बड़ी सरलता से अर्थ, धर्म, काम, मोक्ष चारों फलों की प्राप्ति हो जाती है। वह इस लोक में स्थित रहकर भी अलौकिक तेज और प्रभाव से युक्त हो जाता है।

मां कात्यायिनी देवी की पौराणिक कथा

जब महिषासुर नाम के राक्षस का अत्याचार बहुत बढ़ गया तो ब्रह्म, विष्णु और महेश ने अपना तेज देकर देवी कात्यायनी को पैदा किया। महर्षि कात्यायन की यह इच्छा थी कि देवी उनके घर पुत्री के रूप में पैदा हों। इसके बाद देवी अश्विन मास की कृष्ण चतुर्दशी को पैदा हुईं। कात्यायन ऋषि ने उनका पालन पोषण किया। उसके बाद महर्षि कात्यायन की प्रार्थना स्वीकार कर देवी ने दशमी के दिन महिषासुर का वध कर देवताओं को उसके आतंक से मुक्त कराया था। उसके बाद शुम्भ तथा निशुम्भ नाम के राक्षस भी इन्द्र, नवग्रह, वायु तथा अग्नि को परेशान करने लगे। इन असुरों से त्रस्त देवताओं ने हिमालय पर्वत पर जाकर विष्णुमाया नाम की दुर्गा की आराधना की। उसके बाद मां कात्यायनी ने ही देवताओं को इन दुष्ट असुरों से मुक्ति दिलायी थी।

मां कात्यायनी के साथ इनकी भी पूजा का विधान

नवरात्रि के छठे दिन सूर्य भगवान की पूजा अर्चना करने का भी विशेष विधान है। मां कात्यायनी की पूजा करने के लिए निम्न मंत्र का जाप करने से शुभ फल मिलता है , जो सरल और आसान है :

या देवी सर्वभू‍तेषु मां कात्यायनी रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम॥

हे मां! सर्वत्र विराजमान और कात्यायनी के रूप में प्रसिद्ध अम्बे, आपको मेरा बार-बार प्रणाम है। या मैं आपको बारंबार प्रणाम करता हूँ। हे मां, मुझे दुश्मनों का संहार करने की शक्ति प्रदान करें।

मां कात्यायिनी देवी कवच मंत्र:

पातुकां कां स्वाहास्वरूपणी।

ललाटेविजया पातुपातुमालिनी नित्य संदरी॥

कल्याणी हृदयंपातुजया भगमालिनी॥

मां कात्यायनी की पूजा करने के लिए निम्न मंत्र का जाप करने से शुभ फल मिलता है । मां कात्यायनी को प्रसन्न करने के लिए विशेष प्रकार से आराधना करें। इसके लिए पहले फूलों से देवी मां को प्रणाम कर मंत्र का जाप करें। नवरात्र के छठे दिन दुर्गा सप्तशती के ग्यारहवें अध्याय का पाठ करना चाहिए। देवी को फूल और जायफल प्रिय हैं इसलिए उन्हें पुष्प तथा जायफल अर्पित करें। देवी के साथ ही शंकर जी की भी पूजा करें। देवी कात्यायनी को शहद पसंद है इसलिए इस दिन लाल रंग के कपड़े पहनकर मां को शहद चढ़ाएं।

कहते है कि भगवती कात्यायनी का ध्यान, स्तोत्र और कवच के जाप करने से आज्ञाचक्र जाग्रत होता है। इससे रोग, शोक, संताप, भय से मुक्ति मिलती है। साथ ही जिनके विवाह में विलंब होता है उनकी भी शादी हो जाती है।

Suman  Mishra | Astrologer

Suman Mishra | Astrologer

एस्ट्रोलॉजी एडिटर

मैं वर्तमान में न्यूजट्रैक और अपना भारत के लिए कंटेट राइटिंग कर रही हूं। इससे पहले मैने रांची, झारखंड में प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया में रिपोर्टिंग और फीचर राइटिंग किया है और ईटीवी में 5 वर्षों का डेस्क पर काम करने का अनुभव है। मैं पत्रकारिता और ज्योतिष विज्ञान में खास रुचि रखती हूं। मेरे नाना जी पंडित ललन त्रिपाठी एक प्रकांड विद्वान थे उनके सानिध्य में मुझे कर्मकांड और ज्योतिष हस्त रेखा का ज्ञान मिला और मैने इस क्षेत्र में विशेषज्ञता के लिए पढाई कर डिग्री भी ली है Author Experience- 2007 से अब तक( 17 साल) Author Education – 1. बनस्थली विद्यापीठ और विद्यापीठ से संस्कृत ज्योतिष विज्ञान में डिग्री 2. रांची विश्वविद्यालय से पत्राकरिता में जर्नलिज्म एंड मास कक्मयूनिकेश 3. विनोबा भावे विश्व विदयालय से राजनीतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री

Next Story