×

Chamoli Ka Anokha Banshi Narayan Temple: रक्षा बंधन पर खुलता है इस मंदिर का कपाट, साक्षात विराजमान है भगवान, यहां जरूर करें पूजा

Chamoli Famous Banshi Narayan Temple: रक्षा बंधन पर भाई की कलाई पर बहने राखी बांधती है और भाई अपना प्यार और स्नेह बहनों पर बनाएं रखते है। इस दिन मां लक्ष्मी ने राजा बली को राखी बांधी थी। उत्‍तराखंड के चमोली में एक ऐसा मंदिर है। जहां साल में सिर्फ एक बार रक्षाबंधन के दिन ही कपाट खुलते हैं।

Suman  Mishra | Astrologer
Published on: 10 Aug 2022 12:57 PM IST (Updated on: 10 Aug 2022 3:13 PM IST)
banshi-narayan-temple
X

सांकेतिक तस्वीर, सौ. से सोशल मीडिया

Chamoli Ka Anokha Banshi Narayan Temple

चमोली का अनोखा वंशी नारायण मंदिर:

रक्षा बंधन 11 अगस्त 2022 को है। इस बार रक्षा बंधन मनाने को लेकर असमंजस की स्थिति है। कुछ लोग 12 अगस्त को भी रक्षा बंधन मनायेंगे। रक्षा बंधन पर भाई की कलाई पर बहने राखी बांधती है और भाई अपना प्यार और स्नेह बहनों पर बनाएं रखते है। इस दिन मां लक्ष्मी ने राजा बली को राखी बांधी थी। उत्‍तराखंड के चमोली में एक ऐसा मंदिर है। जहां साल में सिर्फ एक बार रक्षाबंधन के दिन ही कपाट खुलते हैं। इस मंदिर को भगवान बंशी-नारायण के मंदिर के नाम से जानते हैं। इस मंदिर में सालभर में केवल एक दिन ही पूजा होती है। यह मंदिर समुद्रतल से 12 हजार फीट की ऊंचाई पर है। वंशीनारायण मंदिर (Bansi Narayan Temple) उत्तराखंड राज्य के चमोली जिले की उर्गम घाटी (Urgam Valley) में स्थित है।

रक्षा बंधन को बांधती है राखी

रक्षाबंधन पर आसपास के इलाकों में रहने वाली महिलाएं भगवान बंशी नारायण को राखी बांधती हैं। इसके बाद ही भाइयों को राखी बांधी जाती है और सूर्यास्त के बाद मंदिर के कपाट एक साल के लिए बंद कर दिए जाते हैं। इस मंदिर में भगवान की चतुर्भुज मूर्ति है।

इस मंदिर तक पहुंचने के लिए उर्गम घाटी के लोगों को करीब सात किलोमीटर का रास्ता पैदल ही तय करना पड़ता है। साल में एक दिन खुलने वाले इस मंदिर में भगवान विष्णु के वंशीनारायण स्वरुप की पूजा की जाती है और रक्षाबंधन के दिन कपाट खुलने पर उर्गम घाटी की बेटियां भगवान विष्णु को राखी बांधती हैं। इस मंदिर में भगवान विष्णु की चतुर्भुज प्रतिमा विराजमान है। मंदिर के प्रांगण में भगवान गणेश और वन देवियों की मूर्तियां स्थापित हैं। रक्षा बंधन के दिन इस मंदिर में भगवान विष्णु की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है और भंडारे का आयोजन किया जाता है।

रक्षा बंधन की पौराणिक मान्यता

इस मंदिर से जुड़ी पौराणिक मान्यता के अनुसार, देवऋषि नारद यहां साल के 364 दिन भगवान विष्णु की पूजा करते हैं, इसलिए इस मंदिर के कपाट उस दौरान आम लोगों के लिए बंद रहते हैं। इस मंदिर में सिर्फ एक दिन मनुष्यों को पूजा करने का अधिकार मिलता है, इसलिए रक्षाबंधन के दिन इस मंदिर के कपाट खुलते हैं। एक पौराणिक कथा के अनुसार, राजा बलि ने भगवान विष्णु से आग्रह किया था कि वे उनके द्वारपाल बनें। राजा बलि के आग्रह को स्वीकार करते हुए श्रीहरि पाताल लोक चले गए। कई दिनों तक भगवान विष्णु के दर्शन न होने पर माता लक्ष्मी काफी चिंतित हुई और नारद जी से उन्होंने विष्णु जी के बारे में पूछा। माता के पूछने पर नारद ने बताया कि वे पाताल लोक में राजा बलि के द्वारपाल बने हुए हैं।

कहा जाता है कि वामन अवतार धारण कर भगवान विष्णु ने दानवीर राजा बलि का अभिमान चूर कर उसे पाताल लोक भेजा था। बलि ने भगवान से अपनी सुरक्षा का आग्रह किया। इस पर श्रीहरि विष्णु स्वयं पाताल लोक में बलि के द्वारपाल बन गए।

उस समय भगवान को मुक्त कराने के मां लक्ष्मी पाताल लोक पहुंची और राजा बलि को रक्षासूत्र वचन लिया और भगवान विष्णु को मुक्त कराया। मान्यता है कि उसके बाद वहां से या पाताल लोक से भगवान विष्णु यहीं आए थे, तभी से भगवान को राखी बांधने की परंपरा चली आ रही है।

जब माता लक्ष्मी ने उन्हें वापस बुलाने का मार्ग पूछा तो नारद मुनि ने कहा कि वे श्रावण मास की पूर्णिमा को पाताल लोक जाकर राजा बलि की कलाई पर रक्षासूत्र बांध दें। रक्षासूत्र बांधने के बाद राजा बलि से श्रीहरि को वापस मांग लें। कहा जाता है कि माता लक्ष्मी को पाताल लोक का रास्ता पता नहीं था, इसलिए नारद मुनि श्रावण पूर्णिमा के दिन उनके साथ पाताल लोक चले गए। उनकी अनुपस्थिति में एक दिन कलगोठ गांव के पुजारी ने वंशीनारायण भगवान की पूजा की थी।कहा जाता है तब से रक्षाबंधन पर सिर्फ एक दिन के लिए इस मंदिर के कपाट आम भक्तों के लिए खोले जाते हैं और रक्षाबंधन पर लोग उनकी पूजा करते हैं।

रक्षाबंधन के दिन कलगोठ गांव के प्रत्येक घर से भगवान नारायण के लिए मक्खन आता है। इसी मक्खन से वहां पर प्रसाद तैयार होता है। भगवान वंशी नारायण की फूलवारी में कई दुर्लभ प्रजाति के फूल खिलते हैं। इस मंदिर में श्रावन पूर्णिमा पर भगवान नारायण का श्रृंगार भी होता है। इसके बाद गांव के लोग भगवान नारायण को रक्षासूत्र बांधते हैं। मंदिर में ठाकुर जाति के पुजारी होते हैं कातयूरी शैली में बने 10 फिट ऊंचे इस मंदिर का गर्भ भी वर्गाकार है। जहां भगवान विष्णु चर्तुभुज रूप में विद्यमान है।

सांकेतिक तस्वीर, सौ. से सोशल मीडिया

रक्षा बंधन और सावन की पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त

हर साल सावन की पूर्णिमा को मनाया जाने वाला रक्षाबंधन इस साल भी पूर्णिमा के दिन ही 11 अगस्त को मनाया जाएगा। जानते हैं राखी बांधने के लिए शुभ मुहूर्त ताकि भाई-बहन का प्यार बना रहे...

राखी बांधने का शुभ मुहूर्त सुबह 09.28 मिनट से रात में 09 .14 मिनट तक रहेगा। रवि योग सुबह 05.48 मिनट से शुरू होकर सुबह 06. 53 मिनट तक रहेगा। अमृत काल शाम 06 बजकर 55 मिनट से रात्रि 08. 20 मिनट तक रहेगा।

रक्षा बंधन पूर्णिमा तिथि का आरंभ- 11 अगस्त को सुबह 10.38 मिनट पर शुरू

रक्षा बंधन पूर्णिमा तिथि का समापन- 12 अगस्त को सुबह 07.05 मिनट तक

रक्षा बंधन का शुभ मुहूर्त- सुबह 09.28 मिनट से रात में 09 .14 मिनट

रक्षा बंधन की समय अवधि- 12 घंटा 01 मिनट

रवि योग- सुबह 05.48 मिनट से शुरू से सुबह 06. 53 मिनट तक रहेगा

रक्षा बंधन में दोपहर का समय- 11:37 AM से 12:29 PM

रक्षा बंधन के दिन प्रदोष काल- 06:36 PM से 07:42 PM

अभिजीत मुहूर्त -06:55 PM से 08:20 PM

अमृत काल – 02:14 PM से 03:07 PM

ब्रह्म मुहूर्त – 04:03 AM से 04:46 AM

विजय मुहूर्त- 02:14 PM से 03:07 PM

गोधूलि बेला- 06:23 PM से 06:47 PM

निशिता काल-11:41 PM से 12:25 AM, 12 अगस्त

भद्रा काल -10:38 AM से 08:50 PM

रक्षा बंधन के दिन चंद्रमा मकर राशि में रहेंगे। भद्रा काल को छोड़ कर राखी बांधने के लिए पूरा 12 घंटे का समय रहेगा।

11 अगस्त को मनाये रक्षा बंधन

यदि पूर्णिमा का मान दो दिन हो तो पहले दिन सूर्योदय के एकादि घटी के बाद पूर्णिमा का की शुरुआत दूसरे दिन पूर्णिमा 6 घटी से कम हो रही हो तो पहले ही दिन भद्रा से रहित समय में रक्षाबंधन मनाना चाहिए । ऐसा धर्मानुसार और काशी के विद्वानों के द्वारा भी लोगों को बताया है। इस बार पूर्णिमा 11 अगस्त को एकादि घटी के बाद शुरु हो रही है। यदि पूर्णिमा प्रतिपदा से युक्त होकर 6 घटी से कम हो तो उसमे रक्षाबंधन नहीं करना चाहिए । इस साल 12 अगस्त को पूर्णिमा 6 घटी से कम हो रही है। और 11 तारीख को 8:25 बजे तक भद्रा है । 11 अगस्त को ही रक्षाबंधन करना शास्त्र सम्मत होगा।

दोस्तों देश-दुनिया की और खबरों को तेजी से जानने के लिए बने रहें न्यूजट्रैक के साथ। हमें फेसबुक पर फॉलो करने के लिए @newstrack और ट्विटर पर फॉलो करने के लिए @newstrackmedia पर क्लिक करें।



Suman  Mishra | Astrologer

Suman Mishra | Astrologer

एस्ट्रोलॉजी एडिटर

मैं वर्तमान में न्यूजट्रैक और अपना भारत के लिए कंटेट राइटिंग कर रही हूं। इससे पहले मैने रांची, झारखंड में प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया में रिपोर्टिंग और फीचर राइटिंग किया है और ईटीवी में 5 वर्षों का डेस्क पर काम करने का अनुभव है। मैं पत्रकारिता और ज्योतिष विज्ञान में खास रुचि रखती हूं। मेरे नाना जी पंडित ललन त्रिपाठी एक प्रकांड विद्वान थे उनके सानिध्य में मुझे कर्मकांड और ज्योतिष हस्त रेखा का ज्ञान मिला और मैने इस क्षेत्र में विशेषज्ञता के लिए पढाई कर डिग्री भी ली है Author Experience- 2007 से अब तक( 17 साल) Author Education – 1. बनस्थली विद्यापीठ और विद्यापीठ से संस्कृत ज्योतिष विज्ञान में डिग्री 2. रांची विश्वविद्यालय से पत्राकरिता में जर्नलिज्म एंड मास कक्मयूनिकेश 3. विनोबा भावे विश्व विदयालय से राजनीतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री

Next Story