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तीसरे दिन इस मंत्र से करें मां चंद्रघंटा की पूजा, हर लेंगी सारे कष्ट
मां चंद्रघंटा 9 रूपों में से एक है। ये स्वरूप परम शांतिदायक और कल्याणकारी है। इनके माथे पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र है
लखनऊ : बाघ पर सवार मां दुर्गाजी की तीसरी शक्ति देवी चंद्रघंटा(Chandraghanta ) के शरीर का रंग स्वर्ण के समान चमकीला है। इनके मस्तक में घंटे के आकार का अर्धचंद्र विराजमान है, इसलिए इन्हें चंद्रघंटा कहा जाता है। दस भुजाओं वाली देवी के प्रत्येक हाथ में अलग-अलग शस्त्र हैं, इनके गले में सफ़ेद फूलों की माला सुशोभित रहती है।
इनके घंटे की सी भयानक चंडध्वनि से अत्याचारी दानव-दैत्य राक्षस सदैव प्रकंपित रहते है। इनकी आराधना से साधकों को चिरायु,आरोग्य,सुखी और संपन्न होने का वरदान प्राप्त होता है तथा स्वर में दिव्य,अलौकिक माधुर्य का समावेश हो जाता है। प्रेत-बाधादि से ये अपने भक्तों की रक्षा करती है।
शांतिदायक और कल्याणकारी है देवी मां स्वरुप
देशभर में लॉकडाउन (Lockdown) के बीच लोग घरों में मां चंद्रघंटा की पूजा-अर्चना (Worship) कर रहे है। आज नवरात्रि का तीसरा दिन है। मां दुर्गा की तीसरी शक्ति का नाम चंद्रघंटा है। मां चंद्रघंटा 9 रूपों में से एक है। ये तीसरा स्वरूप परम शांतिदायक और कल्याणकारी है। इनके माथे पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र बना हुआ है। इसी कारण से इन्हें चंद्रघंटा कहा जाता है।
ज्योतिष में इनका संबंध मंगल नामक ग्रह से होता है। मोक्ष की प्राप्ति मां चंद्रघंटा की पूजा अर्चना से संसार के सारे कष्ट मिट जाते हैं। साधक को मोक्ष की प्राप्ति होती है। भक्त का मन मणिपूरक चक्र में प्रविष्ट होता है। इनके शरीर का रंग सोने के समान बहुत चमकीला है। देवी के 10 हाथ और 3 आंखें होती हैं। वे खड्ग और अन्य अस्त्र-शस्त्र से विभूषित हैं। सिंह पर सवार देवी की मुद्रा युद्ध के लिए उद्धत रहने की है। इसके घंटे सी भयानक ध्वनि से अत्याचारी दानव-दैत्य और राक्षस कांपते रहते हैं। देवी की कृपा से साधक को अलौकिक वस्तुओं के दर्शन होते हैं।
दिव्य सुगंधियों का अनुभव होता है और कई तरह की ध्वनियां सुनाईं देने लगती हैं। इन क्षणों में साधक को बहुत सावधान रहना चाहिए। इन मंत्रों का जाप करना चाहिए।
पिण्डजप्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकेर्युता।
प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघण्टेति विश्रुता॥
करें ये काम
देवी की पूजा से साधक में वीरता और निर्भयता के साथ ही सौम्यता और विनम्रता का विकास होता है। इसलिए हमें चाहिए कि मन, वचन और कर्म के साथ ही काया को विधि-विधान के अनुसार शुद्ध-पवित्र करके चंद्रघंटा के शरणागत होकर उनकी उपासना करना चाहिए। इससे सारे कष्टों से मुक्त हो सकते हैं। नवरात्रि में तीसरे दिन इसी देवी की पूजा का महत्व है। कहा जाता है कि उनका ध्यान हमारे इहलोक और परलोक दोनों के लिए कल्याणकारी और सद्गति देने वाला है।
ये करने से मिलती है देवी की कृपा इस दिन सांवली रंग की महिला, जिसके चेहरे पर तेज हो, को घर पर बुलाकर सम्मानपूर्वक उनका पूजन करना चाहिए, भोजन में दही और हलवा खिलाना चाहिए। कलश या मंदिर की घंटी उन्हें भेंट स्वरूप देनी चाहिए। इससे भक्त पर सदा भगवती की कृपा दृष्टि बनी रहती है।
मंत्र और भोग
मां चन्द्रघंटा की पूजा करने के लिए इन ध्यान मंत्र, स्तोत्र मंत्र का पाठ करना चाहिए।
या देवी सर्वभूतेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:..
सभी दुखों का होगा अंत हर देवी के हर स्वरूप की पूजा में एक अलग प्रकार का भोग चढ़ाया जाता है। कहते हैं भोग देवी मां के प्रति आपके समर्पण का भाव दर्शाता है। मां चंद्रघंटा को दूध या दूध से बनी मिठाई का भोग लगाना चाहिए।प्रसाद चढ़ाने के बाद इसे स्वयं भी ग्रहण करें और दूसरों में बांटें। देवी को ये भोग समर्पित करने से जीवन के सभी दुखों का अंत हो जाता है।