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Chandra Grahan 2023: चंद्र ग्रहण में अपनी राशि के अनुसार इन मंत्रों का जाप करें, होंगे धनवान
Chandra Grahan Me Mantra Jaap: इस बार पूर्णिमा के दिन लगने वाले चंद्र ग्रहण के समय कुछ सावधानियां बरतने की जरूरत है। इस दिन सभी को अपनी राशि के अनुसार मंत्र जाप करना चाहिए । जानिए चंद्र ग्रहण से जुड़ी बातें...
Chandra Grahan Me Mantra Jaap: चंद्र ग्रहण में मंत्र जाप, इस बार 5 मई को लगने वाले चंद्र ग्रहण के दौरान सूतक काल मान्य नहीं है। सूतक काल में किसी भी प्रकार के धार्मिक और शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं। क्योंकि इस ग्रहण को उपछाया ग्रहण कहा जाता है। चंद्र ग्रहण दक्षिण एशिया के कुछ स्थानों, अमेरिका, यूरोप और अस्ट्रेलिया में देखा जा सकेगा।
ग्रहण के दौरान चंद्रमा पीड़ित हो जाते हैं। ऐसे में चंद्रमा का पूरा प्रभाव नहीं पड़ता है। जिन लोगों की जन्म कुंडली में चंद्रमा कमजोर अवस्था है उन पर इसका अधिक प्रभाव देखा जाता है। इसलिए चंद्रमा को मजबूत बनाने के लिए सफेद वस्त्रों का दान करें, भगवान शिव की पूजा करें और पूर्णिमा को चंद्रमा को जल अर्पित करें। ऐसा करने से चंद्रमा की अशुभता कम होती है।
इस बार 5 मई को पूर्णिमा तिथि शुक्रवार 8. 46 मिनट से शुरू होगा और मध्यरात्रि के बाद 1 . 2 मिनट पर समाप्त होगा। यह एक उपछाया चंद्रग्रहण होगा चंद्र ग्रहण के दौरान सूतक काल मान्य नहीं होगा।भारत को छोड़कर चंद्र ग्रहण यूरोप, एशिया, आस्ट्रेलिया, प्रशांत अटलांटिक, हिंद महासागर और अफ्रीका में दिखाई देगा. लेकिन इसका प्रभाव पृथ्वी पर जरूर पड़ेगा।
चंद्र ग्रहण में राशि के अनुसार मंत्रों का करें जाप
ग्रहण काल में अपने इष्टदेव के मंत्रों का जाप करना चाहिए। इसमें आप भगवान विष्णु के मंत्र ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय, भगवान शिव के मंत्र ऊँ नम: शिवाय, भगवान गणेश के मंत्र श्री गणेशाय नम: का जाप कर सकते हैं।
मेष- ॐ आदित्याय नमः का जाप करें।
वृष- ॐ शं शनैश्चराय नमः का जाप करें।
मिथुन- ॐ बृं बृहस्पतये नमः का जाप करें।
कर्क- ॐ ऐं गुरुवे नमः का जाप करें।
सिंह- आदित्य ह्रदय स्तोत्र का पाठ करें।
कन्या- ॐ बृं बृहस्पतये नमः का जाप करें।
तुला- ॐ शं शनैश्चराय नमः का जाप करें।
वृश्चिक- ॐ रां राहवे नमः का जाप करें।
धनु- ॐ शं शनैश्चराय नमः का जाप करें।
मकर- ॐ शं शनैश्चराय नमः का जाप करें।
कुम्भ- ॐ ऐं गुरुवे नमः का जाप करें।
मीन- विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें।
चंद्र ग्रहण में सावधानी
कहते हैं कि किसी भी ग्रहण का असर सबसे ज्यादा गर्भवती महिलाओं पर होता है। क्योंकि ग्रहण के वक्त वातावरण में नकारात्मक ऊर्जा ज्यादा होती है। ग्रहण काल के दौरान गर्भवती महिलाओं को घर से बाहर नहीं निकलने की सलाह दी जाती है। बाहर निकलना जरूरी हो तो गर्भ पर चंदन और तुलसी के पत्तों का लेप कर लें। इससे ग्रहण का प्रभाव गर्भ में पल रहे शिशु पर नहीं होगा।
ग्रहण काल के दौरान यदि खाना जरूरी हो, तो सिर्फ खानपान में उन्हीं वस्तुओं का उपयोग क, जिनमें सूतक लगने से पहले तुलसी पत्र या कुशा डला गया हो। गर्भवती महिलाएं ग्रहण के दौरान चाकू, छुरी, ब्लेड, कैंची जैसी काटने की किसी भी वस्तु का प्रयोग न करें। इससे गर्भ में पल रहे बच्चे के अंगों पर बुरा असर पड़ सकता है। इस दौरान सुई धागे का प्रयोग भी वर्जित है। ग्रहण काल के दौरान भगवान का नाम लेने के अलावा कोई दूसरा काम न करें।
चंद्र ग्रहण में प्रभाव
ग्रहणकाल में कई हानिकारक किरणों का प्रभाव रहता है। इसलिए कई ऐसे कार्य हैं जिन्हें ग्रहण काल के दौरान नहीं किया जाता है। ग्रहणकाल में अन्न, जल ग्रहण नहीं करना चाहिए। ग्रहणकाल में स्नान न करें। ग्रहण समाप्ति के बाद स्नान करें। ग्रहण को खुली आंखों से न देखें। हालांकि चंद्र ग्रहण देखने से आंखों पर कोई बुरा असर नहीं होता। ग्रहणकाल के दौरान गुरु प्रदत्त मंत्र का जाप करते रहना चाहिए।
चंद्र ग्रहण में मिलेगा लाभ
कहते हैं कि ग्रहण के बाद घी और खीर से हवन करने से लाभ होता है। यदि लंबे समय से किसी बीमारी से ग्रसित हैं तो उसमें आराम मिलता है। चंद्र देव की आराधना करना चाहिए, यदि चंद्रमा कमजोर स्थिति में है तो 'ऊं चंद्राय नम:' मंत्र का जाप करने से लाभ मिलेगा। प्राणायाम और व्यायाम करना चाहिए, सोच को सकारात्मक रखना चाहिए। चंद्रग्रहण समाप्त होने के बाद घर में शुद्धता के लिए गंगाजल का छिड़काव करना चाहिए। स्नान के बाद भगवान की मूर्तियों को स्नान करा कर उनकी पूजा करें। जरूरतमंद व्यक्ति और ब्राह्मणों को अनाज का दान करना चाहिए।