TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै: आदिशक्ति नमो नमः गुप्त नवरात्रि में करें इस मंत्र का जाप

परिणाम स्वरूप मनुष्य के भीतर इन नव-रात्रियों में नव-निर्माण का आध्यात्मिक कार्य गतिशील होता है। वैदिक सूत्रम विज्ञान के अनुसार यह सृष्टि एक चक्रीय-धारा में चल रही है, किसी सीधी रेखा में नहीं।

Roshni Khan
Published on: 12 Feb 2021 11:34 AM IST
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै: आदिशक्ति नमो नमः गुप्त नवरात्रि में करें इस मंत्र का जाप
X
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै: आदिशक्ति नमो नमः गुप्त नवरात्रि में करें इस मंत्र का जाप (PC: social media)

पटना: वैदिक सूत्रम चेयरमैन एस्ट्रोलॉजर पंडित प्रमोद गौतम ने गुप्त नवरात्रि काल के आध्यातिमिक रहस्यों के सन्दर्भ में बताते हुए कहा कि अध्यात्म पथ पर प्रगतिशील साधकों के लिए गुप्त नवरात्रि की अनुपम महिमा है। संपूर्ण वर्ष के दरमियान आती 'शिवरात्रि' साधक के लिए साधना में प्रवेश करने का काल है तो 'नवरात्रि' नवीनीकरण के अवसर की नौ रात्रियाँ हैं। यह नौ रात्रियाँ, प्रकृति की मनुष्य को वह भेंट है, जब मनुष्य अपने भीतर पैदा हो रही मलिनता को पहचान कर उसे हटाने का उद्यम करता है।

ये भी पढ़ें:‘ममता दी’ ने गृहमंत्री से पूछा- श्रीमान शाह, आपके बेटे को इतने पैसे कहां से मिलते हैं?

यह सृष्टि एक चक्रीय-धारा में चल रही है, किसी सीधी रेखा में नहीं

परिणाम स्वरूप मनुष्य के भीतर इन नव-रात्रियों में नव-निर्माण का आध्यात्मिक कार्य गतिशील होता है। वैदिक सूत्रम विज्ञान के अनुसार यह सृष्टि एक चक्रीय-धारा में चल रही है, किसी सीधी रेखा में नहीं। प्रकृति के द्वारा हर वस्तु का नवीनीकरण हो रहा है। हर रात्रि के बाद दिवस है तो दिवस के बाद रात्रि। हर पतझड़ के बाद बसंत आती है तो बसंत के बाद पतझड़ निश्चित है। यहाँ जन्म और मृत्यु भी चक्राकार में है और सुख के बाद दुःख तो दुःख के पश्चात् सुख भी निश्चित चल रहा है।

प्रकृति की स्थूल से सूक्ष्म तक की सभी रचनाएँ पुरातन से नवीन और नवीन से पुरातन के चक्रीय मार्ग का ही अनुसरण कर रही है। नवरात्रि भी मनुष्य के मन व बुद्धि को संसार की दौड़ में से लौट कर स्वयं में खोने का निश्चित सुअवसर है।

navratri navratri (PC: social media)

वर्ष में दो बार गुप्त नवरात्रि काल आता है

वैदिक सूत्रम चेयरमैन पंडित प्रमोद गौतम ने गुप्त नवरात्रि का आध्यातिमिक रहस्य के सन्दर्भ में बताते हुए कहा कि वर्ष में दो बार गुप्त नवरात्रि काल आता है प्रथम गुप्त नवरात्रि माघ माह की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से आरम्भ होकर नवमी तिथि तक गुप्त नवरात्रि काल रहता है और दूसरी आषाढ़ शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी तिथि तक गुप्त नवरात्रि काल की अवधि रहती है।

एस्ट्रोलॉजर पंडित प्रमोद गौतम ने गुप्त नवरात्रि के बारे में कहा

एस्ट्रोलॉजर पंडित प्रमोद गौतम ने गुप्त नवरात्रि की प्रमुख देवियों के सन्दर्भ में बताते हुए कहा कि गुप्त नवरात्र के दौरान कई साधक महाविद्या (तंत्र साधना) के लिए मां काली, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, माता छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, मां ध्रूमावती, माता बगलामुखी, मातंगी और कमला देवी की पूजा करते हैं। भगवान विष्णु शयन काल की अवधि के बीच होते हैं तब देव शक्तियां कमजोर होने लगती हैं। उस समय पृथ्वी पर रुद्र, वरुण, यम आदि का प्रकोप बढ़ने लगता है इन विपत्तियों से बचाव के लिए गुप्त नवरात्र में मां दुर्गा की उपासना की जाती है।

ये भी पढ़ें:उत्तराखंड: उम्रकैद की सजा काट रहे कैदियों को स्वतंत्रता और गणतंत्र दिवस पर छोड़ने वाली नियमावली को मंजूरी

क्या अंतर है सामान्य और गुप्त नवरात्रि में ?

- सामान्य नवरात्रि में आमतौर पर सात्विक और तांत्रिक पूजा दोनों की जाती है, वहीं गुप्त नवरात्रि में ज्यादातर तांत्रिक पूजा की जाती है।

- गुप्त नवरात्रि में आमतौर पर ज्यादा प्रचार प्रसार नहीं किया जाता, अपनी साधना को गोपनीय रखा जाता है।

- गुप्त नवरात्रि में किसी विशेष पूजा और मन की मनोकामना जितनी ज्यादा गोपनीय होगी, सफलता उतनी ही ज्यादा ओर जल्दी मिलेगी।

प्रवीन शर्मा

दोस्तों देश दुनिया की और खबरों को तेजी से जानने के लिए बनें रहें न्यूजट्रैक के साथ। हमें फेसबुक पर फॉलों करने के लिए @newstrack और ट्विटर पर फॉलो करने के लिए @newstrackmedia पर क्लिक करें।



\
Roshni Khan

Roshni Khan

Next Story