TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

Chaturmas 2024 Start Date: चातुर्मास कब होगा आरंभ और समापन, जानिए इस मास की खासियत

Chaturmas 2024 Start Date:इस साल चातुर्मास का आरंभ और समापन कब हो रहा है? चातुर्मास में क्यों कोई शुभ कार्य नहीं किया जाता है?

Suman  Mishra | Astrologer
Published on: 4 Jun 2024 11:12 AM IST
Chaturmas 2024 Start Date: चातुर्मास कब  होगा आरंभ और समापन, जानिए इस मास की खासियत
X

Chaturmas 2024 Kab Se Ho Raha Shuru: वैदिक पंचांग के अनुसार, चातुर्मास की शुरुआत हर साल आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी से होती है। इसे देवशयनी एकादशी (Devshayani Ekadashi) के नाम से भी जाना जाता है। देवशयनी एकादशी एकादशी का बहुत महत्व है।आषाढ़ में देवशयनी एकादशी और चतुर्मास दोनों को हिंदू धर्म में शुभ माना गया है। इस अवधि में खासकर व्रत, देव दर्शन और धार्मिक नियमों के पालन का महत्व है। ऐसा माना जाता है कि इन चार माह में सृष्टि के पालनहार भगवान विष्णु शयन अवस्था में रहते हैं।

आषाढ़ के देवशयनी एकादशी 17जुलाई, 2024 से कार्तिक माह के एकादशी और द्वादशी12 नवंबर तक चातुर्मास है । इस चातुर्मास के चार माह की अवधि में सभी शुभ कार्य निषेध होते हैं। इस बार 17 जुलाई को एकादशी तिथि है। इस एकादशी को देवशयनी एकादशी कहते हैं । इस दिन भगवान विष्णु पाताल लोक चलें जाएंगे यहां पर भगवान विष्णु चार माह तक विश्राम करें। भगवान का अपने शयन में जाने के कारण ही इस तिथि को देवशयनी एकादशी कहते हैं और इसी दिन से चातुर्मास के नियमों का भी पालन शुरू करते हैं।

चार्तुमास का महत्व

पंचांग के अनुसार17 जुलाई से लेकर 12 नवंबर तक चार्तुमास रहेगा। चार्तुमास की समाप्ति 12 नवंबर को देवउठनी एकादशी को होगी। देवउठानी का अर्थ है देव का उठना यानि इस दिन भगवान विष्णु अपने शयन से बाहर आ जाएंगे। इसके बाद पुन: शुभ कार्य आरंभ हो जाएंगे।चार महीने का चातुर्मास हर प्रकार से शुभ माना गया है।

चातुर्मास में व्रत, पूजा और अनुष्ठान आदि कार्य किए जाते है। इस दौरान सात्विक जीवन नियमों का पालन अवश्य करना चाहिए। जहां तक संभव हो भोजन में नमक के प्रयोग से बचना व्रत की शुभता को बढ़ाता है। साधक को गेहूं, मूंग दाल और जई जैसे खाद्य पदार्थों को खाने से बचना चाहिए। ईमानदारी के रास्ते पर चलना चाहिए और बुरे वचन कहने से बचना चाहिए। ऐसा कोई कार्य नहीं करना चाहिए, जिससे किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचें।

सनातन संस्कृति में शुभ – अशुभ का विशेष महत्व है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार , किसी भी शुभ कार्य को करने के लिए शुभ मुहूर्त होना आवश्यक है। शुभ मुहूर्त उस क्षण को कहते जब शुभ फल प्रदान करने वाले ग्रह एक साथ इकट्ठा होते है। सनातन धर्म में कोई भी शुभ या मांगलिक कार्य हमेशा मुहूर्त देखकर ही किया जाता है। धर्म शास्त्रों के अनुसार, चातुर्मास के दौरान मांगलिक कार्यों पर रोक लगा दी जाती है और ऐसे में शादी-विवाह, मुंडन, सगाई या गृह प्रवेश जैसे काम नहीं किए जाते।

देवशयनी एकादशी

इस बार देवशयनी एकादशी 17 जुलाई को पड़ेगी और इस एकादशी के बाद से ही भगवान विष्णु पूरे 4 महीने के लिए योग निद्रा में चले जाएंगे। इसके बाद देवउठनी एकादशी पर श्री हरि योग निद्रा से बाहर आएंगे।

चातुर्मास के दौरान क्या ना करें

चातुर्मास के दौरान भगवान विष्णु शयन काल में होते हैं, इस दौरान मांगलिक कार्य जैसे- शादी, विवाह, मुंडन, जनेऊ, नया वाहन खरीदना, नई प्रॉपर्टी खरीदना, घर का निर्माण करना, नया बिजनेस शुरू करना, भूमि पूजन करना आदि कार्यों से बचना चाहिए।

चातुर्मास के दौरान क्या करें

चातुर्मास में ध्यान, योग, साधना और तप करने से प्रभु प्रसन्न होते हैं. कई लोग इन चार महीना में ब्रह्मचर्य का पालन करते हैं. मौन शक्ति बढ़ाने के लिए कई लोग 4 महीने तक कुछ समय के लिए मौन धारण भी करते हैं. कहते हैं कि चातुर्मास में सुबह और शाम विष्णु जी का ध्यान करने के साथ ही मां लक्ष्मी, भगवान शिव, मां पार्वती, गणेश जी, राधा रानी, श्री कृष्ण और रुक्मणी जी की पूजा करने से साधकों के सभी कष्ट दूर होते हैं, चातुर्मास में दान आदि करने का भी बहुत महत्व होता है.



\
Suman  Mishra | Astrologer

Suman Mishra | Astrologer

एस्ट्रोलॉजी एडिटर

मैं वर्तमान में न्यूजट्रैक और अपना भारत के लिए कंटेट राइटिंग कर रही हूं। इससे पहले मैने रांची, झारखंड में प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया में रिपोर्टिंग और फीचर राइटिंग किया है और ईटीवी में 5 वर्षों का डेस्क पर काम करने का अनुभव है। मैं पत्रकारिता और ज्योतिष विज्ञान में खास रुचि रखती हूं। मेरे नाना जी पंडित ललन त्रिपाठी एक प्रकांड विद्वान थे उनके सानिध्य में मुझे कर्मकांड और ज्योतिष हस्त रेखा का ज्ञान मिला और मैने इस क्षेत्र में विशेषज्ञता के लिए पढाई कर डिग्री भी ली है Author Experience- 2007 से अब तक( 17 साल) Author Education – 1. बनस्थली विद्यापीठ और विद्यापीठ से संस्कृत ज्योतिष विज्ञान में डिग्री 2. रांची विश्वविद्यालय से पत्राकरिता में जर्नलिज्म एंड मास कक्मयूनिकेश 3. विनोबा भावे विश्व विदयालय से राजनीतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री

Next Story