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Chaturmas Ke Upay: आने वाले 4 माह देंगे चमत्कारी लाभ, इन 108 नाम जप के साथ करें ये काम

Chaturmas Ke Upay :इस साल चातुर्मास 17 जुलाई से शुरु हो रहा है। इस दौरान किन नियमों का पालन करना चाहिए । किस भगवान का नाम जप करे कि समृद्धि बनी रहें जानते है...

Suman  Mishra | Astrologer
Published on: 9 July 2024 4:18 PM IST
Chaturmas Ke Upay: आने वाले 4 माह देंगे चमत्कारी लाभ, इन 108 नाम जप के साथ करें ये काम
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Chaturmas Ke Upay :वैदिक पंचांग के अनुसार, चातुर्मास की शुरुआत हर साल आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी से होती है। आषाढ़ में देवशयनी एकादशी और चतुर्मास दोनों को हिंदू धर्म में शुभ माना गया है। इस अवधि में खासकर व्रत, देव दर्शन और धार्मिक नियमों के पालन का महत्व है। ऐसा माना जाता है कि इन चार माह में सृष्टि के पालनहार भगवान विष्णु शयन अवस्था में रहते हैं।

चातुर्मास को विशेष महत्व प्राप्त है. बता दें कि इस महीने की शुरुआत आषाढ़ महीने की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि से हो जाती है. इस दिन देवशयनी एकादशी भी मनाई जाती है अर्थात् इस दिन से भगवान विष्णु क्षीरसागर में विश्राम करने चले जाते हैं. वहीं, कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को जागृत होते हैं. इस दौरान किसी प्रकार का कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता. अबकी बार 17 जुलाई को देवशयनी एकादशी है

चातुर्मास में करें नाम जप और मंत्र जाप

भगवान विष्णु के योग निद्रा में जाने की वजह से किसी भी तरह के शुभ कार्य पर रोक लग जाती है। इसी 4 महीने की अवधि को चातुर्मास कहा जाता है। चातुर्मास के दौरान भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करने का महत्व बताया गया है। आज की इस खबर में हम आपको भगवान विष्णु के 108 नाम के बारे में जानकारी देने वाले हैं। इन नामों का जप करके आप काफी आसानी से भगवान विष्णु को प्रसन्न कर सकते हैं।

भगवान विष्णु के 108 नामों का जप

ऊँ श्री प्रकटाय नम:

ऊँ श्री वयासाय नम:

ऊँ श्री हंसाय नम:

ऊँ श्री वामनाय नम:

ऊँ श्री गगनसदृश्यमाय नम:

ऊँ श्री लक्ष्मीकान्ताजाय नम:

ऊँ श्री प्रभवे नम:

ऊँ श्री गरुडध्वजाय नम:

ऊँ श्री परमधार्मिकाय नम:

ऊँ श्री यशोदानन्दनयाय नम:

ऊँ श्री विराटपुरुषाय नम:

ऊँ श्री अक्रूराय नम:

ऊँ श्री सुलोचनाय नम:

ऊँ श्री भक्तवत्सलाय नम:

ऊँ श्री विशुद्धात्मने नम :

ऊँ श्री श्रीपतये नम:

ऊँ श्री आनन्दाय नम:

ऊँ श्री कमलापतये नम:

ऊँ श्री सिद्ध संकल्पयाय नम:

ऊँ श्री महाबलाय नम:

ऊँ श्री लोकाध्यक्षाय नम:

ऊँ श्री सुरेशाय नम:

ऊँ श्री ईश्वराय नम:

ऊँ श्री विराट पुरुषाय नम:

ऊँ श्री क्षेत्र क्षेत्राज्ञाय नम:

ऊँ श्री चक्रगदाधराय नम:

ऊँ श्री योगिनेय नम:

ऊँ श्री दयानिधि नम:

ऊँ श्री लोकाध्यक्षाय नम:

ऊँ श्री जरा-मरण-वर्जिताय नम:

ऊँ श्री कमलनयनाय नम:

ऊँ श्री शंख भृते नम:

ऊँ श्री दु:स्वपननाशनाय नम:

ऊँ श्री प्रीतिवर्धनाय नम:

ऊँ श्री हयग्रीवाय नम:

ऊँ श्री कपिलेश्वराय नम:

ऊँ श्री महीधराय नम:

ऊँ श्री द्वारकानाथाय नम:

ऊँ श्री सर्वयज्ञफलप्रदाय नम:

ऊँ श्री सप्तवाहनाय नम:

ऊँ श्री श्री यदुश्रेष्ठाय नम:

ऊँ श्री चतुर्मूर्तये नम:

ऊँ श्री सर्वतोमुखाय नम:

ऊँ श्री लोकनाथाय नम:

ऊँ श्री वंशवर्धनाय नम:

ऊँ श्री एकपदे नम:

ऊँ श्री धनुर्धराय नम:

ऊँ श्री प्रीतिवर्धनाय नम:

ऊँ श्री केश्वाय नम:

ऊँ श्री धनंजाय नम:

ऊँ श्री ब्राह्मणप्रियाय नम:

ऊँ श्री शान्तिदाय नम:

ऊँ श्री श्रीरघुनाथाय नम:

ऊँ श्री वाराहय नम:

ऊँ श्री नरसिंहाय नम:

ऊँ श्री रामाय नम:

ऊँ श्री शोकनाशनाय नम:

ऊँ श्री श्रीहरये नम:

ऊँ श्री गोपतये नम:

ऊँ श्री विश्वकर्मणे नम:

ऊँ श्री हृषीकेशाय नम:

ऊँ श्री पद्मनाभाय नम:

ऊँ श्री कृष्णाय नम:

ऊँ श्री विश्वातमने नम:

ऊँ श्री गोविन्दाय नम:

ऊँ श्री लक्ष्मीपतये नम:

ऊँ श्री दामोदराय नम:

ऊँ श्री अच्युताय नम:

ऊँ श्री सर्वदर्शनाय नम:

ऊँ श्री वासुदेवाय नम:

ऊँ श्री पुण्डरीक्षाय नम:

ऊँ श्री नर-नारायणा नम:

ऊँ श्री जनार्दनाय नम:

ऊँ श्री चतुर्भुजाय नम:

ऊँ श्री विष्णवे नम:

ऊँ श्री केशवाय नम:

ऊँ श्री मुकुन्दाय नम:

ऊँ श्री सत्यधर्माय नम:

ऊँ श्री परमात्मने नम:

ऊँ श्री पुरुषोत्तमाय नम:

ऊँ श्री हिरण्यगर्भाय नम:

ऊँ श्री उपेन्द्राय नम:

ऊँ श्री माधवाय नम:

ऊँ श्री अनन्तजिते नम:

ऊँ श्री महेन्द्राय नम:

ऊँ श्री नारायणाय नम:

ऊँ श्री सहस्त्राक्षाय नम:

ऊँ श्री प्रजापतये नम:

ऊँ श्री भूभवे नम:

ऊँ श्री प्राणदाय नम:

ऊँ श्री देवकी नन्दनाय नम:

ऊँ श्री सुरेशाय नम:

ऊँ श्री जगतगुरूवे नम:

ऊँ श्री सनातन नम:

ऊँ श्री सच्चिदानन्दाय नम:

ऊँ श्री दानवेन्द्र विनाशकाय नम:

ऊँ श्री एकातम्ने नम:

ऊँ श्री शत्रुजिते नम:

ऊँ श्री घनश्यामाय नम:

ऊँ श्री वामनाय नम:

ऊँ श्री गरुडध्वजाय नम:

ऊँ श्री धनेश्वराय नम:

ऊँ श्री भगवते नम:

ऊँ श्री उपेन्द्राय नम:

ऊँ श्री परमेश्वराय नम:

ऊँ श्री सर्वेश्वराय नम:

ऊँ श्री धर्माध्यक्षाय नम:

ऊँ श्री प्रजापतये नम:

चातुर्मास में क्या करना चाहिए

इस माह में श्री हरि विष्णु और भगावन शिव का पंचामृत अभिषेक करने से सभी तरह के संकट मिटकर अक्षय सुख की प्राप्ति होती है।

चातुर्मास में अन्न, चावल, वस्त्र, कपूर, छाता, चप्पल, कंबल, गाय या यथाशक्ति दान करते हैं तो भोलेनाथ का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है। उनके आशीर्वाद से नौकरी, व्यापार या अन्य करियर में सफलता मिलती है। इससे कर्ज से मुक्त होकर उसके आय के नए स्रोत बनते हैं।

उक्त चार माहों में पितरों के निमित्त पिंडदान या तर्पण करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है और पितृ दोष से छुटकारा मिलता है। सभी अटके कार्य पूर्ण होने लगते हैं। संतान सुख के साथ ही व्यक्ति सुख और संपत्ति प्राप्त करता है।

चातुर्मास के दौरान पीपल के पेड़ की पूजा, परिक्रमा करने से श्रीहरि विष्णु, पितृदेव और शिवजी प्रसन्न होते हैं। प्रतिदिन जल चढ़ाने और दीप जलाने से पुण्य की प्राप्ति होती है। जीवन में सुख एवं शांति का स्थायी वास होता है।

चांदी के साफ पात्र में हल्दी भरकर दान करने से माता लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और उनकी कृपा से घर में आरोग्य, धन और धान्य की कभी कमी नहीं रहती है। इस दौरान विष्णु सहस्रनाम, भगवान विष्णु के मंत्र ओम नमो भगवते वासुदेवाय का जाप करें।



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Suman  Mishra | Astrologer

Suman Mishra | Astrologer

एस्ट्रोलॉजी एडिटर

मैं वर्तमान में न्यूजट्रैक और अपना भारत के लिए कंटेट राइटिंग कर रही हूं। इससे पहले मैने रांची, झारखंड में प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया में रिपोर्टिंग और फीचर राइटिंग किया है और ईटीवी में 5 वर्षों का डेस्क पर काम करने का अनुभव है। मैं पत्रकारिता और ज्योतिष विज्ञान में खास रुचि रखती हूं। मेरे नाना जी पंडित ललन त्रिपाठी एक प्रकांड विद्वान थे उनके सानिध्य में मुझे कर्मकांड और ज्योतिष हस्त रेखा का ज्ञान मिला और मैने इस क्षेत्र में विशेषज्ञता के लिए पढाई कर डिग्री भी ली है Author Experience- 2007 से अब तक( 17 साल) Author Education – 1. बनस्थली विद्यापीठ और विद्यापीठ से संस्कृत ज्योतिष विज्ञान में डिग्री 2. रांची विश्वविद्यालय से पत्राकरिता में जर्नलिज्म एंड मास कक्मयूनिकेश 3. विनोबा भावे विश्व विदयालय से राजनीतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री

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