×

TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

Chhath Puja 2023: छठ पूजा का शुभ मुहूर्त, अनुष्ठान और इतिहास, जानिए कैसे करें इस व्रत को आप पूरा

Chhath Puja 2023:छठ पूजा हिन्दुओं का एक विशेष त्यौहार है जिसे मुख्य रूप से बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश के साथ-साथ नेपाल के कुछ क्षेत्रों में भी मनाया जाता है।आज हम आपको इसके शुभ मुहूर्त और अनुष्ठानों के बारे में बताने जा रहे हैं।

Shweta Srivastava
Published on: 18 Nov 2023 8:00 AM IST (Updated on: 18 Nov 2023 7:58 AM IST)
Chhath Puja 2023
X

Chhath Puja 2023 (Image Credit-Social Media)

Chhath Puja 2023: छठ पूजा एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है जो मुख्य रूप से बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश के साथ-साथ नेपाल के कुछ क्षेत्रों में मनाया जाता है। हाल फिलहाल के दिनों में ये दिल्ली और मुंबई सहित शेष भारत में भी बड़े पैमाने पर मनाया जाने लगा है। आपको बता दें कि ये त्योहार सूर्य देव की पूजा को समर्पित है, और ये आमतौर पर हिंदू कैलेंडर के कार्तिक महीने में आता है। छठ पूजा की तारीखें हर साल अलग-अलग होती हैं, क्योंकि वो चंद्र कैलेंडर के आधार पर निर्धारित की जाती हैं।

छठ पूजा का महत्त्व, तिथि और शुभ मुहूर्त

छठ पूजा का महत्त्व हर सुहागिन के लिए बेहद खास होता है। वहीँ इस दिन की तैयारी दिवाली के बाद से ही शुरू हो जाती है। आइये जानते हैं कि इसका शुभ मुहूर्त क्या है और इसे कैसे और कब मनाया जायेगा।

नहाय खाय (दिन 1): 17 नवंबर, 2023: इस दिन भक्त पवित्र स्नान करते हैं और सात्विक भोजन करते हैं। ये दिन शुद्धिकरण और आगामी अनुष्ठानों की तैयारी का प्रतीक भी माना जाता है।

लोहंडा और खरना (दिन 2): 18 नवंबर, 2023: इस दिन, भक्त भोजन और पानी दोनों से परहेज करते हुए निर्जला व्रत रखते हैं। शाम को, वे लोहंडा नामक एक विशेष प्रसाद खाते हैं, जो सूर्य देव को चढ़ाया जाता है।

संध्या अर्घ्य (दिन 3): 19 नवंबर, 2023: भक्त डूबते सूर्य देव को अर्घ्य, जल और अन्य वस्तुओं का प्रसाद चढ़ाते हैं। ये अर्घ्य सूर्य देव के आशीर्वाद के लिए उनका आभार व्यक्त करने का एक तरीका है।

ऊषा अर्घ्य (दिन 4): 20 नवंबर, 2023: छठ व्रती उगते सूर्य देव को अर्घ्य देते हैं। ये अर्घ्य भविष्य के लिए आशीर्वाद मांगने का एक तरीका है।

सूर्योदय, सूर्यास्त का समय

शुक्रवार, 17 नवंबर को सूर्यास्त का समय: शाम 5:50 बजे

सोमवार, 20 नवंबर को सूर्योदय का समय: प्रातः 06:20 बजे

छठ पूजा की उत्पत्ति का पता प्राचीन हिंदू धर्मग्रंथों से लगाया जा सकता है और ऐसा माना जाता है कि इसका समय वैदिक काल से है। ये सूर्य देव के प्रति आभार व्यक्त करने का एक तरीका है, जिन्हें पृथ्वी पर जीवन का स्रोत माना जाता है। ये त्यौहार सदियों से मनाया जाता रहा है और इसका गहरा सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व भी है।

छठ पूजा का महत्व

छठ पूजा भक्तों के लिए पृथ्वी पर जीवन को बनाए रखने के लिए सूर्य देव को धन्यवाद देने और अपने परिवार की भलाई, समृद्धि और खुशहाली के लिए उनका आशीर्वाद मांगने का एक तरीका है। ये मन और आत्मा को शुद्ध करने और पिछले पापों के लिए क्षमा मांगने का भी एक साधन है।

अनुष्ठान

छठ पूजा में कई अनुष्ठान शामिल होते हैं, जिनमें पवित्र नदी (नहाय खाय) में डुबकी लगाना, उपवास करना, विशेष प्रसाद तैयार करना और डूबते और उगते सूर्य को "अर्घ्य" या प्रसाद देना शामिल है। भक्त, विशेष रूप से महिलाएं, इस अवधि के दौरान कठोर उपवास रखती हैं और भक्तिपूर्वक सूर्य देव से प्रार्थना करती हैं।

इस त्यौहार को विस्तृत अनुष्ठानों और समारोहों द्वारा चिह्नित किया जाता है, जिसमें लोग डूबते और उगते सूरज से प्रार्थना करने के लिए नदियों या अन्य जल निकायों के किनारे इकट्ठा होते हैं। पूजा के दौरान भक्त पारंपरिक पोशाक पहनते हैं और लोक गीत गाते हैं। ये समय होता है भक्ति में डूबने का जिसमे पारिवारिक समारोहों और सांप्रदायिक सद्भाव शामिल होता है।



\
Shweta Srivastava

Shweta Srivastava

Content Writer

मैं श्वेता श्रीवास्तव 15 साल का मीडिया इंडस्ट्री में अनुभव रखतीं हूँ। मैंने अपने करियर की शुरुआत एक रिपोर्टर के तौर पर की थी। पिछले 9 सालों से डिजिटल कंटेंट इंडस्ट्री में कार्यरत हूँ। इस दौरान मैंने मनोरंजन, टूरिज्म और लाइफस्टाइल डेस्क के लिए काम किया है। इसके पहले मैंने aajkikhabar.com और thenewbond.com के लिए भी काम किया है। साथ ही दूरदर्शन लखनऊ में बतौर एंकर भी काम किया है। मैंने लखनऊ यूनिवर्सिटी से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया एंड फिल्म प्रोडक्शन में मास्टर्स की डिग्री हासिल की है। न्यूज़ट्रैक में मैं लाइफस्टाइल और टूरिज्म सेक्शेन देख रहीं हूँ।

Next Story