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Choti Diwali Pooja Vidhi: छोटी दिवाली पर करें ये स्तुति और मंत्र जाप, मां लक्ष्मी के साथ श्री कृष्ण जी हरेंगे सारे पाप
Choti Diwali Pooja Vidhi: दिवाली से एक दिन पहले छोटी दिवाली मनाई जाती है। इस दिन को रुप चौदस कहते है। अगर इस दिन कुछ कामों को किया जाये और कृष्ण स्तुति की जाये तो मां लक्ष्मी प्रसन्न होती है।..
Choti Diwali Pooja Vidhi: दिवाली से एक दिन पहले छोटी दिवाली नरक चतुर्दशी या नरक चौदस मनाई जाती है। दिवाली का त्योहार बस दो दिन बाकी है। इस साल छोटी दिवाली 30 अक्टूबर, बुधवार के दिन है। इस दिन भगवान कृष्ण की, पूजा का विधान है। मान्यता है कि कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि के दिन ही भगवान कृष्ण ने 16 हजार कन्याओं को नरकासुर के आतंक से मुक्त कराया था और नरका सुर का वध किया था।छोटी दिवाली के दिन मां लक्ष्मी की विशेष पूजा करने से आपके ऊपर विशेष कृपा रहती है
छोटी दिवाली पर विशेष मंत्र जाप
छोटी दिवाली की सुबह उठकर इन कामों को करने से सारे पाप नष्ट हो जाते है और शरीर के सभी प्रकार को रोगों से मुक्ति मिलती है।इस दिन सूर्योदय से पहले स्नान करके माथे पर तिलक लगाना चाहिए।छोटी दिवाली के दिन यम के नाम का दीपक जलाना, जो इस दिन यम की पूजा करता है, उसे शुभ माना जाता है और अकाल मृत्यु का भय दूर हो जाता है। इस दिन से स्नान से पूर्व अपने पूरे शरीर पर तेल से मालिश करें। ऐसा कहा जाता है कि चतुर्दशी को तेल में देवी लक्ष्मी का वास होता है और देवी की कृपा प्राप्त होती है।इस दिन भगवान श्री कृष्ण की पूजा करना शुभ माना जाता है और इससे आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी होंगी।
इस दिन घर के अलग-अलग हिस्सों में 14 दीपक जलाकर रखे जाते हैं।छोटी दिवाली वाले दिन सुबह सुर्योदय से पहले तिल के तेल से मालिश करने के बाद स्नान करना चाहिए। इसके बाद पूजा वाले स्थान पर बैठकर मां लक्ष्मी की तिलक लगाएं और एक माला यानी की 108 बार मंत्र का जाप करना है।
ॐ ह्रीं ह्रीं श्री लक्ष्मी वासुदेवाय नम:।
मां लक्ष्मी भगवान विष्णु की पत्नी है और इस मंत्र में मां लक्ष्मी के साथ विष्णु भगवान के नाम वासुदेव का भी उच्चारण होता है। इसलिए इस मंत्र का शांत मन से उच्चारण करना और भी ज्यादा असरकारक माना जाता है।छोटी दिवाली के दिन के अलावा भी इस मंत्र का जाप बहुत ही शुभ माना जाता है। मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु के इस विशेष मंत्र को प्रत्येक शक्रवार के दिन जपने से धन लाभ की प्राप्ति होती है। जब भी इस मंत्र का जाप करें उस समय आपका मुख दिशा दक्षिण की तरफ होना चाहिए। क्योंकि कहा जाता है कि दक्षिण दिशा के तरफ मुख रखकर इस मंत्र का जाप करना ज्यादा शुभ और असरकारक माना जाता है।अगर आप छात्र है और पढ़ते समय आपके मन में भटकाव रहता है मन केंद्रित नहीं होता तो उस समय आपको इस मंत्र का जाप करना चाहिए।पढ़ाई के दौरान इसका जाप करने से आपके मन में चल रही हर जिज्ञासा समाप्त होती है और आप शांति से अपनी पढ़ाई में मन लगकर अध्यन कर सकते हैं। इस मंत्र के उच्चारण से आपको बैकुंठ में स्थान मिलता है और मन के सभी गलत विचार और धारणाएं समाप्त होती हैं।
छोटी दिवाली पर करें ये स्तुति
श्री कृष्ण चन्द्र कृपालु भजमन, नन्द नन्दन सुन्दरम्।
अशरण शरण भव भय हरण, आनन्द घन राधा वरम्॥
सिर मोर मुकुट विचित्र मणिमय, मकर कुण्डल धारिणम्।
मुख चन्द्र द्विति नख चन्द्र द्विति, पुष्पित निकुंजविहारिणम्॥
मुस्कान मुनि मन मोहिनी, चितवन चपल वपु नटवरम्।
वन माल ललित कपोल मृदु, अधरन मधुर मुरली धरम्॥
वृषुभान नंदिनी वामदिशि, शोभित सुभग सिहासनम्।
ललितादि सखी जिन सेवहि, करि चवर छत्र उपासनम्॥
॥ हरि: ॐ तत् सत् ॥
छोटी दिवाली पर करें कृष्ण स्तुति
नारायण नारायण जय गोविंद हरे ॥
नारायण नारायण जय गोपाल हरे ॥
करुणापारावारा वरुणालयगम्भीरा ॥
घननीरदसंकाशा कृतकलिकल्मषनाशा ॥
यमुनातीरविहारा धृतकौस्तुभमणिहारा ॥
पीताम्बरपरिधाना सुरकल्याणनिधाना ॥
मंजुलगुंजाभूषा मायामानुषवेषा ॥
राधाऽधरमधुरसिका रजनीकरकुलतिलका ॥
मुरलीगानविनोदा वेदस्तुतभूपादा ॥
बर्हिनिवर्हापीडा नटनाटकफणिक्रीडा ॥
वारिजभूषाभरणा राजिवरुक्मिणिरमणा ॥
जलरुहदलनिभनेत्रा जगदारम्भकसूत्रा ॥
पातकरजनीसंहर करुणालय मामुद्धर ॥
अधबकक्षयकंसारे केशव कृष्ण मुरारे ॥
हाटकनिभपीताम्बर अभयं कुरु मे मावर ॥
दशरथराजकुमारा दानवमदस्रंहारा ॥
गोवर्धनगिरिरमणा गोपीमानसहरणा ॥
शरयूतीरविहारासज्जनऋषिमन्दारा ॥
विश्वामित्रमखत्रा विविधपरासुचरित्रा ॥
ध्वजवज्रांकुशपादा धरणीसुतस्रहमोदा ॥
जनकसुताप्रतिपाला जय जय संसृतिलीला ॥
दशरथवाग्घृतिभारा दण्डकवनसंचारा ॥
मुष्टिकचाणूरसंहारा मुनिमानसविहारा ॥
वालिविनिग्रहशौर्या वरसुग्रीवहितार्या ॥
मां मुरलीर धीवर पालय पालय श्रीधर ॥
जलनिधिबन्धनधीरा रावणकण्ठविदारा ॥
ताटीमददलनाढ्या नटगुणविविधधनाढ्या ॥
गौतमपत्नीपूजन करुणाघनावलोकन ॥
स्रम्भ्रमसीताहारा साकेतपुरविहारा ॥
अचलोद्घृतिञ्चत्कर भक्तानुग्रहतत्पर ॥
नैगमगानविनोदा रक्षःसुतप्रह्लादा ॥
भारतियतिवरशंकर नामामृतमखिलान्तर ॥
। इति श्रीमच्छंकराचार्यविरचितं नारायणस्तोत्रं सम्पूर्णम् ।