×

शकुन-अपशकुन: जानिए गाय, कुत्ता, कौआ और चींटी से जुड़ी रोचक बातें

हिन्दू धर्म में प्रत्येक प्राणी के सकारात्मक और नकारात्मक दोनों ही गुणों की चर्चा की गई है। कुत्ता किसे पालना चाहिए और किसे नहीं? इसके बारे में भी स्पष्ट लिखा है।

Aditya Mishra
Published on: 23 Jan 2020 4:25 PM IST
शकुन-अपशकुन: जानिए गाय, कुत्ता, कौआ और चींटी से जुड़ी रोचक बातें
X

लखनऊ: सनातन धर्म के कई ग्रंथों में माना गया है कि जानवरो की हरकतों और उनके आचरण का कुछ ना कुछ प्रभाव जरूर होता है। पुराणों में भी इस बारे में बहुत कुछ कहा गया है।

क्या आप जानते हैं गाय, कुत्ता, कौआ और चींटी क्यों हिंंदू धर्म में महत्वपूर्ण माने गए हैं। इनको अन्न देने से क्या लाभ होगा? आखिर क्या है इसका रहस्य।

हिन्दू धर्म में प्रत्येक प्राणी के सकारात्मक और नकारात्मक दोनों ही गुणों की चर्चा की गई है। कुत्ता किसे पालना चाहिए और किसे नहीं? इसके बारे में भी स्पष्ट लिखा है।

इस्लाम के अनुसार जिस घर में कुत्ता होता है वहां फरिश्ते नहीं जाते- (सहीह मुस्लिम हदीस नं 2106)। हिन्दू धर्म के पुराणों में कुत्ते को यम का दूत कहा गया है। ऋग्वेद में एक स्थान पर जघन्य शब्द करने वाले श्वानों का उल्लेख मिलता है, जो विनाश के लिए आते हैं।

भैरव महाराज का सेवक

कुत्ते को हिन्दू देवता भैरव महाराज का सेवक माना जाता है। कुत्ते को भोजन देने से भैरव महाराज प्रसन्न होते हैं और हर तरह के आकस्मिक संकटों से वे भक्त की रक्षा करते हैं।

मान्यता है कि कुत्ते को प्रसन्न रखने से वह आपके आसपास यमदूत को भी नहीं फटकने देता है। कुत्ते को देखकर हर तरह की आत्माएं दूर भागने लगती हैं।

कुत्ता

कुत्ते के भौंकने और रोने को अपशकुन माना जाता है। कुत्ते के भौंकने के कई कारण होते हैं उसी तरह उसके रोने के भी कई कारण होते हैं, लेकिन अधिकतर लोग भौंकने या रोने का कारण नकारात्मक ही लेते हैं।

अपशकुन शास्त्र के अनुसार श्वान का गृह के चारों ओर घूमते हुए क्रंदन करना अपशकुन या अद्भुतत घटना कहा गया है और इसे इन्द्र से संबंधित भय माना गया है।सूत्र-ग्रंथों में भी श्वान को अपवित्र माना गया है। इसके स्पर्श व दृष्टि से भोजन अपवित्र हो जाता है। इस धारणा का कारण भी श्वान का यम से संबंधित होना है।

कुत्ता मार्ग रोके तो अशुभ

शुभ कार्य के समय यदि कुत्ता मार्ग रोकता है तो विषमता तथा अनिश्चय प्रकट होते हैं।कुत्ते को प्रतिदिन भोजन देने से जहां दुश्मनों का भय मिट जाता है वहीं व्यक्ति निडर हो जाता है।

अंत में कुत्ते के बारे में एक बात और... वह यह कि कुत्ता पालने से लक्ष्मी आती है और कुत्ता घर के रोगी सदस्य की बीमारी अपने ऊपर ले लेता है। यदि संतान की प्राप्ति नहीं हो रही हो तो काले कुत्ते को पालने से संतान की प्राप्ति होती है।

ज्योतिषी के अनुसार केतु का प्रतीक है कुत्ता। कुत्ता पालने या कुत्ते की सेवा करने से केतु का अशुभ प्रभाव समाप्त हो जाता है। पितृ पक्ष में कुत्तों को मीठी रोटी खिलानी चाहिए।

कौआ

भादौ महीने के 16 दिन कौआ हर घर की छत का मेहमान बनता है। ये 16 दिन श्राद्ध पक्ष के दिन माने जाते हैं। कौए एवं पीपल को पितृ प्रतीक माना जाता है। इन दिनों कौए को खाना खिलाकर एवं पीपल को पानी पिलाकर पितरों को तृप्त किया जाता है।

विष्णु पुराण में श्राद्ध पक्ष में भक्ति और विनम्रता से यथाशक्ति भोजन कराने की बात कही गई है। कौए को पितरों का प्रतीक मानकर श्राद्ध पक्ष के 16 दिनों तक भोजन कराया जाता है। माना जाता है कि कौए के रूप में हमारे पूर्वज ही भोजन करते हैं। कौए को भोजन कराने से सभी तरह का पितृ और कालसर्प दोष दूर हो जाता है।

कौवों को भोजन कराने से शनि खुश

शनि को प्रसन्न करना हो तो कौवों को भोजन कराना चाहिए।घर की मुंडेर पर कौवा बोले तो मेहमान जरूर आते हैं। कौवा घर की उत्तर दिशा में बोले तो घर में लक्ष्मी आती है।

पश्चिम दिशा में बोले तो मेहमान आते हैं। पूर्व में बोले तो शुभ समाचार आता है। दक्षिण दिशा में बोले तो बुरा समाचार आता है। कौवे को भोजन कराने से अनिष्ट व शत्रु का नाश होता।

गाय का रहस्य

गाय इसलिए पूजनीय नहीं है कि वह दूध देती है और इसके होने से हमारी सामाजिक पूर्ति होती है,

दरअसल मान्यता के अनुसार 84 लाख योनियों का सफर करके आत्मा अंतिम योनि के रूप में गाय बनती है।

गाय लाखों योनियों का वह पड़ाव है, जहां आत्मा विश्राम करके आगे की यात्रा शुरू करती है।गाय का कोई अपशकुन नहीं होता।

जिस भू-भाग पर मकान बनाना हो, वहां 15 दिन तक गाय-बछड़ा बांधने से वह जगह पवित्र हो जाती है।

भू-भाग से बहुत-सी आसुरी शक्तियों का नाश हो जाता है। गाय में सकारात्मक ऊर्जा का भंडार होता है।

गाय का मार्ग रोकना शुभ कहा गया है।

गाय-बछड़े के एकसाथ दर्शन सफलता का प्रतीक है।

घर के आसपास गाय होने का मतलब है कि आप सभी तरह के संकटों से दूर रहकर सुख और समृद्धिपूर्वक जीवन जी रहे हैं।

गाय के समीप जाने से ही संक्रामक रोग कफ, सर्दी-खांसी व जुकाम का नाश हो जाता है।

अचानक गाय का पूंछ मार देना भी शुभ है। काली चितकबरी गाय का ऐसा करना तो और भी शुभ कहा गया है।

गाय को क्यों पवित्र माना जाता है?

पुराणों के अनुसार गाय में सभी देवताओं का वास माना गया है। गाय को किसी भी रूप में सताना घोर पाप माना गया है। उसकी हत्या करना तो नर्क के द्वार को खोलने के समान है, जहां कई जन्मों तक दुख भोगना होता है।

गाय ही व्यक्ति को मरने के बाद वैतरणी नदी पार कराती है। भारत में गाय को देवी का दर्जा प्राप्त है। गाय के भीतर देवताओं का वास माना गया है। दिवाली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा के अवसर पर गायों की विशेष पूजा की जाती है और उनका मोर पंखों आदि से श्रृंगार किया जाता है।

चींटी के बारे में ये बातें नहीं जानते होंगे आप

हर समय हम चींटियों को नजरअंदाज करते हैं, उन्हें पैरों तले कुचल देते हैं और उन्हें काटने वाले दुष्टों से अधिक कुछ नहीं समझते।

किंतु चींटी बहुत ही मेहनती और एकता से रहने वाली जीव होती है।

सामूहिक प्राणी होने के कारण चींटी सभी कार्यों को बांटकर करती है। इसमें नर चींटी की कोई भूमिका नहीं होती है।

विश्वभर में चींटियों की लगभग 14,000 से अधिक प्रजातियां पाई जाती हैं।

ये 1 मिलीमीटर से लेकर 4 सेंटीमीटर तक की लंबाई की होती हैं।

जिन चींटियों को हम सबसे अधिक पहचानते हैं, उनमें हैं काली चींटी, मकोड़ा।

पेड़ों पर रहने वाली लाल चींटी, जो काटने के लिए मशहूर है और छोटी काली चींटी, जो गुड़ आदि मीठी चीजों की ओर अद्भुत आकर्षण दर्शाती है।



Aditya Mishra

Aditya Mishra

Next Story