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Dev Diwali 2023 date : दिवाली के बाद आने वाली है देव दिवाली, जानिए इससे जुड़ी खास बातें,क्यों और कब मनाई जाएगी

Dev Diwali 2023 date: दिवाली के 15 दिन बाद देव दिवाली मनाई जाती है। इस दिन देव लोग से देवता पृथ्वी लोक पर आते हैं जानते है...

Suman  Mishra | Astrologer
Published on: 17 Nov 2023 2:30 AM GMT
Dev Diwali 2023 date : दिवाली के बाद आने वाली है देव दिवाली, जानिए  इससे जुड़ी खास बातें,क्यों और कब मनाई जाएगी
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्Dev Diwali 2023 Date: देव दिवाली दीपावली के 15 दिन बाद कार्तिक पूर्णिमा के ही दिन मनाया जाता है। 26 नवंबर को देशभर में देव दिवाली मनाया जाएगा। वैसे तो ये त्योहार कई राज्यों में बहुत ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। लेकिन बनारस शहर में इस त्योहार का सबसे ज्यादा उत्साह देखने को मिलता है। देव दिवाली के दिन मां गंगा की पूजा की जाती है। इस दिन गंगा नदी के घाटों को दीए जलाकर रोशन करते हैं। जिससे गंगा के तटों का नजारा देखने ही बनता है। इस दिन भगवान शंकर ने राक्षस त्रिपुरासुर का वध किया था। जिसकी खुशी में देवताओं ने इसी दिन स्वर्ग लोक में दीप जलाकर जश्न मनाया था। देवों द्वारा मनाई गई इस दिवाली के बाद से ही हर साल इस दिन को देव दिवाली के रुप में मनाया जाता है। इस दिन पूजा का खास महत्व है।

देव दिवाली की पूजा का समय

इस त्योहार को लेकर एक और मान्यता है कि, इस दिन देवता पृथ्वी लोक पर आते हैं। इस महीने में भगवान ब्रह्मा, विष्णु, शिव, अंगिरा और आदित्य आदि ने महापुनीत पर्वों को प्रमाणित किया है। इस वजह से कार्तिक पूर्णिमा के पूरे माह को बेहद पवित्र माना जाता है।

देव दिवाली 2023 26 नवंबर, 2023

प्रदोष काल देव दीपावली मुहूर्त: 17:08 to 19:47

पूर्णिमा तिथि का आरंभ 26 नवंबर, 2023 को 15:53

पूर्णिमा तिथि का समापन 27 नवंबर, 2023 को 14:45

देव दिवाली पूजा विधि

देव दीवाली का पर्व दीपावली के बाद आने वाली पूर्णिमा को मनाया जाता है। दीवाली के ही समान इस दिन भी लोग पूजा करते हैं, घरों के बाहर दीपक जलाते हैं और गंगा किनारे मिट्टी के दीए जलाए जाते हैं। इस दिन का विशेष महत्व होने के कारण भक्त श्रद्धालुजन इस दिन पवित्र नदियों में स्नान भी करते हैं। हजारों भक्त कार्तिक पूर्णिमा पर गंगा नदी में स्नान करने के लिए वाराणसी पहुंचते हैं। देव दिवाली प्रबोधिनी एकादशी (कार्तिक महीने के 11 वें दिन) से शुरू होती है, और यह कार्तिक पूर्णिमा पर समाप्त होती है। इस दौरान गंगा नदी के घाट पर शाम की आरती की जाती है। आरती के साथ-साथ भारत के हर शहर और गलियों को रंग-बिरंगी रोशनी और छोटे-छोटे दीयों से सजाया जाता है।

देव दिवाली के दिन गंगा स्नान का बहुत महत्व है।

देव दिवाली के दिन घर में तुलसी के पौधे के सामने दीपक जलाना भी बहुत शुभ होता है।

इस दिन दीए दान करना भी काफी शुभ माना जाता है।

ऐसा माना जाता है कि, इस पर्व पर जो लोग पूरब की ओर मुंह करके दीए दान करते हैं, उन पर भगवान की कृपा हमेशा बनी रहती है। इसके अलावा मान्यता ये भी है कि, इस दिन जो भी दीए दान करता है उसको ईश्वर लंबी उम्र देते हैं। इसके साथ ही उनके घर में सुख शांति का माहौल हमेशा बना रहता है।

देव दिवाली की कथा

शिव पुराण में उल्लेख किया गया है कि त्रिपुरासुर (तारकासुर का पुत्र) नामक एक राक्षस पृथ्वी पर मनुष्यों के साथ-साथ स्वर्ग में रहने वाले देवताओं पर भी अत्याचार कर रहा था। त्रिपुरासुर ने सफलतापूर्वक पूरी दुनिया को जीत लिया और तपस्या के बल पर वरदान प्राप्त किया कि उसके बनाए गए तीन नगरों को जब एक ही बाण से भेद दिया जाए तभी उसका अंत होगा। इन तीन नगरों को ‘त्रिपुरा’ नाम दिया गया। राक्षसों के इस क्रूर कृत्य से दुखी देवताओं ने भगवान शिव से मनुष्य तथा देवताओं की रक्षा करने की प्रार्थना की। उनकी प्रार्थना पर भगवान शिव ने क्रोध स्वरूप धारण किया और त्रिपुरासुर को मारने के लिए सज्ज हो गए। कार्तिक पूर्णिमा के शुभ दिन, भगवान शिव ने त्रिपुरासुर के अस्तित्व को समाप्त कर दिया और एक ही तीर से उनके तीन नगरों को भी नष्ट कर दिया। इसी जीत का स्मरण करने के लिए स्वर्ग के देवी-देवता इस दिन को देव दीवाली के रूप में मनाते हैं। वर्तमान में इसे देव दिवाली या छोटी दीपावली के नाम से जाना जाता है।

Suman  Mishra | Astrologer

Suman Mishra | Astrologer

एस्ट्रोलॉजी एडिटर

मैं वर्तमान में न्यूजट्रैक और अपना भारत के लिए कंटेट राइटिंग कर रही हूं। इससे पहले मैने रांची, झारखंड में प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया में रिपोर्टिंग और फीचर राइटिंग किया है और ईटीवी में 5 वर्षों का डेस्क पर काम करने का अनुभव है। मैं पत्रकारिता और ज्योतिष विज्ञान में खास रुचि रखती हूं। मेरे नाना जी पंडित ललन त्रिपाठी एक प्रकांड विद्वान थे उनके सानिध्य में मुझे कर्मकांड और ज्योतिष हस्त रेखा का ज्ञान मिला और मैने इस क्षेत्र में विशेषज्ञता के लिए पढाई कर डिग्री भी ली है Author Experience- 2007 से अब तक( 17 साल) Author Education – 1. बनस्थली विद्यापीठ और विद्यापीठ से संस्कृत ज्योतिष विज्ञान में डिग्री 2. रांची विश्वविद्यालय से पत्राकरिता में जर्नलिज्म एंड मास कक्मयूनिकेश 3. विनोबा भावे विश्व विदयालय से राजनीतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री

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