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Dev Uthani Ekadashi Vrat: देवउठनी एकादशी के दिन जगते हैं भगवान विष्णु, जानिए शुभ मुहूर्त, योग व पारण का समय

Dev Uthani Ekadashi Vrat : देवउठनी एकादशी के दिन उपवास रखने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। मोक्ष का मार्ग खुलता है। मान्यता है कि इस दिन नदियों में स्नान करने और भगवान विष्णु की पूजा से अश्वमेध यज्ञ का फल मिलता है।

Suman  Mishra | Astrologer
Published on: 15 Nov 2021 1:15 AM GMT (Updated on: 15 Nov 2021 3:09 AM GMT)
Dev Uthani Ekadashi
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सांकेतिक तस्वीर ( सौ. से सोशल मीडिया)

Dev Uthani Ekadashi देवउठनी एकादशी :

कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवउठनी एकादशी कहा जाता है। इसे देवोत्थान एकादशी, देवउठनी ग्यारस, प्रबोधिनी एकादशी आदि के नामों से भी जाना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु 4 माह के शयन काल के बाद उठते है। इस बार देवउठनी एकादशी 14 नवंबर को है। देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु योगनिद्रा से जागते हैं। इस दिन से शुभ कार्य का आरंभ होता है।

श्रीविष्णु की पूजा विधि-विधान की जाती है। देवउठनी एकादशी 14 नवंबर को है। इस दिन उपवास रखने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। मोक्ष का मार्ग खुलता है। मान्यता है कि इस दिन नदियों में स्नान करने और भगवान विष्णु की पूजा से अश्वमेध यज्ञ का फल मिलता है। एकादशी के पवित्र दिन अगर ये सारे काम किए जाए तो बैकुंठ की प्राप्ति होती है।

  • देवउठनी एकादशी पर सुबह स्नान करने के बाद विष्णु के साथ मां लक्ष्मी की भी विधिवत पूजा जरूर करें। तभी पूजा पूर्ण होगी और मां लक्ष्मी का आशीर्वाद भी मिलेगा। मान्यता है कि पीपल के वृक्ष में देवताओं का वास होता है, इसलिए एकादशी के दिन पीपल के वृक्ष में सुबह गाय के घी का दीपक जरूर जलाएं।
  • हिन्दू धर्म के मान्यतानुसार इस दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। वहीं इस दिन शालीग्राम और तुलसी का विवाह भी किया जाता है। और इसी दिन भगवान विष्णु चार महीने की गहरी नींद के बाद जागते हैं। उनके उठने के साथ ही हिन्दू धर्म में शुभ-मांगलिक कार्य आरंभ होते हैं।
  • इस दिन भगवान विष्णु और माता तुलसी का विवाह होता है और इस दिन ये विवाह हर सुहागन को जरूर करना चाहिए। इसे अंखड सौभाग्य व सुख-समृद्धि मिलती है। मां तुलसी को लाल चुनरी जरूर चढ़ाएं।
  • शाम को घर के हर कोने को प्रकाशमान करें, क्योंकि इस दिन भगवान जागते हैं। शाम को पूजा करें और घर के हर कोने में दीप जलाएं। ऐसा करने से घर में कभी धन की कमी नहीं रहती है।

देवउठनी एकादशी का शुभ मुहूर्त

भगवान चार महीने बाद देवउठनी एकादशी को अपनी निंद्रा तोड़ते हैं। जिसमें भगवान विष्णु के बिना ही मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। लेकिन देवउठनी एकादशी को जागने के बाद देवी-देवता भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की एक साथ पूजा करके देव दिवाली मनाते हैं। देव दीपावली के दिन मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए श्रीसूक्त का पाठ किया जाता है। उससे पहले देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा और व्रत किया जाता है। जानते हैं शुभ मुहूर्त और बनने वाले शुभ योग...

  • देवउठनी एकादशी पर जगत के पालनहार भगवान विष्णु की पूजा और व्रत का विधान है। इस दिन दो अद्भुत संयोग बन रहे हैं।
  • एकादशी तिथि का आरंभ- 05:48 AM, 14 नवंबर से
  • एकादशी तिथि का समापन- 06:39 AM, 15 नवंबर तक
  • हरिवासर समाप्ति का समय: दोपहर 01 बजकर 02 मिनट पर (15 नवंबर)
  • देवउठनी एकादशी पारण मुहूर्त: दोपहर 01 बजकर 09 मिनट से 03 बजकर 18 मिनट तक (15 नवंबर)
  • सर्वार्थ सिद्धि योग-04:31 PM से 06:15 AM, 15 नवंबर
  • रवि पुष्य योग -06:14 AM से 04:31 PM

देवउठनी एकादशी के दिन तुलसी-शालीग्राम विवाह

पुरातनकथाओं के अनुसार देवउठनी एकादशी के दिन तुलसी और भगवान शालीग्राम का विवाह भी करवाया जाता है। भगवान विष्णु को तुलसी काफी प्रिय है। इसके पीछे एक पौराणिक कथा है, जिसमें जालंधर को हराने के लिए भगवान विष्णु ने वृंदा नामक विष्णु भक्त के साथ छल किया था। जिसके बाद वृंदा ने विष्णु जी को श्राप देकर पत्थर का बना दिया था, लेकिन लक्ष्मी माता और देवी-देवताओं के विनती के बाद उन्हें वापस सही करके सती हो गई थी। उनकी राख से ही तुलसी के पौधे का जन्म हुआ और उनके साथ शालीग्राम के विवाह का चलन शुरू हुआ।

देवउठनी एकादशी के दिन न करें ये काम

  • एकादशी के दौरान ब्रह्मचार्य का पालन करना चाहिए। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा से फल ज्यादा मिलता है इसलिए एकादशी के दिन शारीरिक संबंध से परहेज रखना चाहिए।
  • शास्त्रों में एकादशी के दिन चावल या चावल से बनी चीजों के खाने की मनाही है। मान्यता है कि इस दिन चावल खाने से प्राणी रेंगनेवाले जीव की योनि में जन्म पाता है। लेकिन द्वादशी को चावल खाने से इस योनि से मुक्ति भी मिल जाती है। भगवान विष्णु और उनके किसी भी एकादशीतिथि में चावल का प्रयोग नहीं करना चाहिए। भगवान विष्णु को एकादशी का व्रत सबसे प्रिय है। पुराणों में बताया गया है कि इस दिन जो व्रत न रहे हों, उन्हें भी प्याज, लहसुन, मांस, अंडा जैसे तामसिक पदार्थ का सेवन नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से नरक में स्थान मिलता है।


प्रबोधनी एकादशी की पूजा विधि

  • देवउठनी एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर व्रत का संकल्प लें और श्री विष्णु का ध्यान करें।
  • घर की साफ़-सफाई करने के बाद स्नानादि कार्यों से निवृत्त होकर चौक में भगवान विष्णु के चरणों की आकृति बनाएं। देवउठनी एकादशी की रात में घरों के बाहर तथा पूजा स्थान पर दीप प्रज्जवलित करने चाहिए। पूजा करने के बाद शंख, घंटियां आदि बजाकर भगवान को निद्रा से जगाना चाहिए।
  • देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु का केसर मिश्रित दूध से अभिषेक करना चाहिए। ऐसा करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होकर आपको मनवांछित फल प्रदान करते है।
  • इस दिन स्नान करने के बाद गायत्री मंत्र का जप अवश्य करें। मान्यता है कि इससे बेहतर स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। धन-धान्य की प्राप्ति के लिए एकादशी तिथि पर भगवान विष्णु को सफेद मिठाई या खीर का भोग लगाएं। भोग में तुलसी का पत्ता जरूर डालें। ऐसा करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती हैं।
  • एकादशी पर विष्णु मंदिर में एक नारियल और बादाम अर्पित करें। ऐसा करने से आपके सभी रुकें हुए काम सिद्ध होने लगते है और सुख-शांति की प्राप्ति होती है।

Suman  Mishra | Astrologer

Suman Mishra | Astrologer

एस्ट्रोलॉजी एडिटर

मैं वर्तमान में न्यूजट्रैक और अपना भारत के लिए कंटेट राइटिंग कर रही हूं। इससे पहले मैने रांची, झारखंड में प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया में रिपोर्टिंग और फीचर राइटिंग किया है और ईटीवी में 5 वर्षों का डेस्क पर काम करने का अनुभव है। मैं पत्रकारिता और ज्योतिष विज्ञान में खास रुचि रखती हूं। मेरे नाना जी पंडित ललन त्रिपाठी एक प्रकांड विद्वान थे उनके सानिध्य में मुझे कर्मकांड और ज्योतिष हस्त रेखा का ज्ञान मिला और मैने इस क्षेत्र में विशेषज्ञता के लिए पढाई कर डिग्री भी ली है Author Experience- 2007 से अब तक( 17 साल) Author Education – 1. बनस्थली विद्यापीठ और विद्यापीठ से संस्कृत ज्योतिष विज्ञान में डिग्री 2. रांची विश्वविद्यालय से पत्राकरिता में जर्नलिज्म एंड मास कक्मयूनिकेश 3. विनोबा भावे विश्व विदयालय से राजनीतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री

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