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Devshayni Ekadashi Vrat 2023 Kab Hai:देवशयनी एकादशी कब है 2023 में, जानिए इस तिथि का महत्व और विधि

Devshayni Ekadashi Vrat 2023 Kab Hai: देवशयनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु निद्रा काल से पहले सारा कार्यभार भगवान शिव को सौंप कर चतुर्मास के लिए राजा बलि के यहां निद्रा शयन में जाते हैं।

Suman Mishra। Astrologer
Published on: 10 May 2023 3:13 PM GMT (Updated on: 11 May 2023 11:16 AM GMT)
Devshayni Ekadashi Vrat 2023 Kab Hai:देवशयनी एकादशी कब है 2023 में, जानिए इस तिथि का महत्व और विधि
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सांकेतिक तस्वीर,सौ. से सोशल मीडिया

देवशयनी एकादशी की व्रत 2023 ( Devshayni Ekadashi Vrat 2023 Kab Hai)

जुलाई के दिन से भगवान विष्णु चतुर्मास के लिए चिरनिद्रा में जाएंगे। धर्मानुसार इस दिन को आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की देवशयनी एकादशी कहते हैं। इस दिन से सृष्टि के पालनहार का निद्रा काल 4 मास के लिए शुरू हो जाता है। वैसे तो सारी एकादशियों का अपना महत्व है, लेकिन देवशयनी एकादशी के दिन व्रत और पूजा से भगवान विष्णु की कृपा मिलती है। इस साल 2023 में देवशयनी या हरिशयनी एकादशी 29 जून को पड़ेगी।

देवशयनी एकादशी का शुभ मुहूर्त

देवशयनी एकादशी तिथि प्रारम्भ - 29 जून, 2023 को 09:59 Pm बजे

एकादशी तिथि समाप्त - 30 जून, 2023 को 07:17 Pm बजे

एकादशी व्रत पारण- 5:36 AM से 8:21 AM

शाम 06.32 मिनट तक है।

इस दिन का शुभ समय या अभिजित मुहूर्त 11. 54 मिनट से दोपहर 12.49 मिनट तक है

ब्रह्म मुहूर्त : 04:10 AM से 04:58 AM

अमृत काल : 12:19 AM से 02:02 AM

अभिजित मुहूर्त: 12:02 PM से 12:55 PM

देवशयनी एकादशी पूजा विधि

  • देवशयनी एकादशी के समय सूर्य मिथुन राशि में रहते हैं। पद्म पुराण , विष्णु पुराण और गीता के अनुसार इस दिन से भगवान विष्णु चार मास के लिए शयन करते हैं। ऐसी मान्यता है कि देवशयनी एकादशी का व्रत करने से भक्तों की समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और उनके सभी पापों का नाश होता है। इस दिन विधि-विधान से पूजा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
  • दशमी तिथि से ही देवशयनी एकादशी व्रत की शुरुआत होती है। एकादशी तिथि के एक दिन पहले ही भोजन में नमक का परहेज किया जाता है। उसके बाद एकादशी तिथि के हरिशयनी एकादशी के व्रत का संकल्प करें। लकड़ी के पाटा पर आसन बिछा कर भगवान विष्णु की प्रतिमा रखें और पूजन पंचामृत से स्नान करवाकर शुरू करें। फिर धूप, दीप, पुष्प आदि से पूजा करें। इस पूजा में ताम्बूल, पुंगीफल अर्पित करना चाहिए।
  • इसके बाद इस मंत्र द्वारा स्तुति की जानी चाहिए:- ऊं नमो भगवते मंत्र द्वारा भगवान का ध्यान करना चाहिए। देवशयनी एकादशी व्रत की कथा भी सुनें। ब्राह्मणों को भोजन व दान-दक्षिणा दें।
  • इस दिन व्रत करने वालों को ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए भगवान का निराहार या फलाहर उपासना करनी चाहिए।
  • इस दिन झूठ, फरेब, चोरी, हत्या न करने का संकल्प लेना चाहिए।


देवशयनी एकादशी का महत्व (devshayni ekadashi ka mahatva)

हरिशयनी एकादशी का धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व है। इस दिन से देवउठनी एकादशी तक हर तरह के मांगलिक कामों पर रोक लगी होती है। इस दौरान धार्मिक भजन-कीर्तन और विष्णु-लक्ष्मी, तुलसी समेत शिव आराधना को जरूरी बताया गया है।

देवशयनी एकादशी के दिन से चातुर्मास की शुरूआत के साथ ही भारत के विभिन्न हिस्सों में मानसून सक्रिय हो जाता है।मान्यता के अनुसार इन महीनों में वातावरण में नमी के कारण कई तरह के सूक्ष्म जीव-जंतुओं का जन्म होता है और वे शरीर को प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से नुकसान पहुंचा सकते हैं। इसलिए धर्माधीशों ने इन चार महीनों के लिए कुछ धार्मिक नियम बनाये और उनका अनुसरण करने के लिए प्रेरित किया।

Suman Mishra। Astrologer

Suman Mishra। Astrologer

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