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आस्था और सौहार्द का अनूठा मेल है देवा मेला, देता है कौमी एकता की मिसाल

यूपी के बाराबंकी जिले के देवा शरीफ में लगने वाला देवा मेला इस साल अपने समापन की ओर है। मेले में लाखों की संख्या में आए हुए लोगों में मुस्लिम जायरीनों की जितनी बड़ी संख्या रही उतनी ही ज्यादा संख्या हिन्दू श्रद्धालुओं की भी रही।

tiwarishalini
Published on: 14 Oct 2017 8:17 PM IST
आस्था और सौहार्द का अनूठा मेल है देवा मेला, देता है कौमी एकता की मिसाल
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आस्था और सौहार्द का अनूठा मेल है देवा मेला, देता है कौमी एकता की मिसाल

बाराबंकी: यूपी के बाराबंकी जिले के देवा शरीफ में लगने वाला देवा मेला इस साल अपने समापन की ओर है। मेले में लाखों की संख्या में आए हुए लोगों में मुस्लिम जायरीनों की जितनी बड़ी संख्या रही उतनी ही ज्यादा संख्या हिन्दू श्रद्धालुओं की भी रही। हाजी वारिस अली शाह की दरगाह ट्रस्ट के संचालक साद महमूद ने बताया कि यहां मत्था टेकना के लिए सिर्फ देश ही नहीं बल्कि विदेशों से भी श्रद्धालु आते हैं।

करवाचौथ के दिन से शुरू होता है मेला

मेले में दुकान लगाने वाले बुजुर्ग रहमत ने बताया कि मेला हर साल कार्तिक महीने के करवाचौथ से शुरू होकर दस दिन तक चलता है। मेले में पशुओं का विशाल बाजार लगता है। जिसमें कई अच्छी नस्ल के घोड़े, गधे, भैंसें प्रमुखता से खरीदी बेची जाती हैं। जिसके लिए दूर-दूर से लोग आते हैं।

थोड़ी दूर पर ही है भूत भगाने वाली मजार

मुख्य दरगाह से थोड़ी ही दूर पर शाह विलायत शाह उर्फ़ जलाली बाबा की मजार है। इस मजार पर भूत-प्रेत, जिन्नात-चुड़ैल की झाड़ फूंक की जाती है। दूर-दूर से आने वाले पीड़ित लोगों की मान्यता है कि इस मजार पर आने वाला पीड़ित स्वस्थ होकर वापस जाता है।

पैदाइशी सन्त थे हाजी वारिस अली

ट्रस्ट के संचालक बताते हैं कि हाजी वारिस अली शाह बचपन से ही संत प्रकृति (वली) थे। उनकी जुबान में शक्ति थी और उनके चमत्कारों की चर्चा आज भी की जाती है। ट्रस्ट की स्थापना 1917 में हुई थी और मजार का निर्माण सबके सहयोग से 1925 में हुआ था। लेकिन, यहां पर मेला ट्रस्ट की स्थापना से दशकों पहले से लगता आया है।

18 से शुरू होकर 22 तक चलेगा दादा मियां का उर्स

इस्लामी कैलेंडर के मोहर्रम महीने की 27वीं को शुरू होकर अगले महीने सफर की पहली तक चलने वाला दादा मियां का उर्स इस साल 18 अक्टूबर से शुरू होकर 22 तक चलेगा। दादा मियां यानि सैयद कुर्बान अली शाह हाजी वारिस अली शाह के पिता थे। जिनका उर्स हर साल मनाया जाता है।

मेले में प्रशासन ने लगा रखा है आधार कार्ड कैंप

मेले में श्रद्धालुओं की बड़ी संख्या देखते हुए जिला प्रशासन ने दूरदर्शिता का परिचय देते हुए आधार कार्ड बनवाने के कैंप भी लगवा रखे हैं। इन कैंप में भी अच्छी खासी भीड़ देखी जा रही है। मेले में एक तरफ लखनऊ के प्रसिद्ध खाने पीने वालों ने अपने स्टॉल लगवा रखे हैं। वहीं दूसरी तरफ स्थानीय दुकानदारों की स्टॉल भी सजी हुई हैं। यहां देवीपाटन का मशहूर सुरमा भी है तो मेरठ की मशहूर नानखटाई भी।



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tiwarishalini

Excellent communication and writing skills on various topics. Presently working as Sub-editor at newstrack.com. Ability to work in team and as well as individual.

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