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Dhanteras Ka Shubh Muhurat: धनतेरस पर किसकी और क्यों की जाती है पूजा, जानिए इस दिन बन रहा कौन सा शुभ योग
Dhanteras Kab Hai : धनतेरस कब है? धनतेरस पर भगवान धनवंतरी के पूजन से आयु और स्वास्थ्य की कामना फलीभूत होती है। कहते हैं धनवंतरि हाथों में अमृत से भरा हुआ कलश लेकर प्रकट हुए थे। यही वजह है कि इस दिन बर्तन खरीदने की परंपरा आज तक चल रही है। धनतेरस के दिन धन के देवता कुबेर और मृत्युदेव यमराज की पूजा की जाती है।
Dhanteras Kab Hai धनतेरस कब है?
धनतेरस हर साल कार्तिक के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को मनाया जाता है। इस साल 2 नंवबर को धनतेरस है। इस दिन भगवान धनवंतरि और कुबेर के साथ मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। इस बार धनतेरस पर त्रिपुष्कर योग बन रहा है। जो धन प्राप्ति का मार्ग बनाएगा।साथ ही तिगुना फल देगा। इस साल धनतेरस के दिन प्रदोष और धन त्रयोदशी का महायोग है। इस महायोग में शुभ खरीदारी फलदायी है।
धनतेरस के दिन किसकी पूजा करें?
धनतेरस पर बर्तन, झाड़ू, खड़ा धनिया, सोना और चांदी खरीदने के साथ ही धन्वंतरि देव की पूजा का विधान है। धनतेरस पर भगवान धनवंतरी के पूजन से आयु और स्वास्थ्य की कामना फलीभूत होती है। कहते हैं धनवंतरि हाथों में अमृत से भरा हुआ कलश लेकर प्रकट हुए थे। यही वजह है कि इस दिन बर्तन खरीदने की परंपरा आज तक चल रही है। धनतेरस के दिन धन के देवता कुबेर और मृत्युदेव यमराज की पूजा की जाती है।
पंचांग के अनुसार धनतेरस त्रयोदशी तिथि को 2 नवंबर 2021 मंगलवार के दिन है। दो दिन बाद 4 नवंबर को दिवाली है।
धनतेरस पूजा का शुभ मुहूर्त
- धनतेरस मुहूर्त शाम 06 . 18 से 08 .11 बजे तक का मुहूर्त है। इस दिन चंद्रमा कन्या राशि में और सूर्य तुला राशि में रहेंगे।
- प्रदोष काल : 5 .35 से 08. 11 मिनट तक रहेगा। सूर्यास्त के बाद के तीन मुहूर्त को प्रदोष काल कहा जाता है जिसमें यमराज को दीपदान किया जाता है।
धनतेरस खरीदारी कब करें?
- अभिजीत मुहूर्त– सुबह 11:42 से 12:26 तक।
- वृषभ काल– शाम 06:18 से 08:14: तक।
- त्रिपुष्कर योग-06:06 AM से 11:31 AM
- प्रदोष काल- शाम 05:35 से 08:14 तक।
- गोधूलि मुहूर्त- शाम 05:05 से 05:29 तक।
- निशिता मुहूर्त- रात्रि 11:16 से 12:07 तक।
- चौघड़िया
- लाभ- प्रात: 10:43 से 12:04 तक।
- अमृत- दोपहर 12:04 से 01:26 तक।
- शुभ- दोपहर 02:47 से 04:09 तक।
- लाभ- 07:09 से 08:48 तक।
- शुभ- 10:26 से 12:05 तक।
- अमृत- 12:05 से 01:43 तक।
धनतेरस पूजा की विधि
- धनतेरस से दिवाली के दिन तक मां लक्ष्मी को लौंग का एक जोड़ा जरूर अर्पित करें। धनतेरस के दिन नई झाडू एवं सूप अवश्य खरीदें और इसका पूजन करना चाहिए। इस दिन घर को स्वच्छ रखें। धनतेरस पर उत्तर दिशा में हरे रंग का प्रयोग अधिक से अधिक करें। इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
- इस दिन सबसे पहले सुबह पूजा की तैयारी करें। घर के ईशान कोण में ही पूजा करें। पूजा के समय हमारा मुंह ईशान, पूर्व या उत्तर में होना चाहिए। पूजा में पंचदेव की स्थापना जरूर करें। सूर्यदेव, श्रीगणेश, दुर्गा, शिव और विष्णु को पंचदेव कहा गया है।
- इस दिन धन्वंतरि देव की षोडशोपचार पूजा करना चाहिए। अर्थात 16 क्रियाओं से पूजा करें। पाद्य, अर्घ्य, आचमन, स्नान, वस्त्र, आभूषण, गंध, पुष्प, धूप, दीप, नेवैद्य, आचमन, ताम्बुल, स्तवपाठ, तर्पण और नमस्कार।
- पूजा करने के बाद प्रसाद या नैवेद्य (भोग) चढ़ाएं। ध्यान रखें कि नमक, मिर्च और तेल का प्रयोग नैवेद्य में नहीं किया जाता है। प्रत्येक पकवान पर तुलसी का एक पत्ता रखा जाता है। अंत में उनकी आरती करके नैवेद्य चढ़ाकर पूजा का समापन किया जाता है।
- इस त्योहार पर घर या प्रतिष्ठान में उत्तर दिशा में तीन सिक्के लाल रंग के कपड़े में बांधकर छुपाकर रख दें। इससे धन आगमन के साधन विकसित होते हैं।
- शाम के समय घर या प्रतिष्ठान में दीपक प्रज्वलित करें। मंदिर, गोशाला, कुआं या तालाब पर भी दीपक प्रज्जवलित करें। मुख्य पूजा के बाद अब मुख्य द्वार या आंगन में प्रदोष काल में दीये जलाएं। एक दीया यम के नाम का भी जलाएं। रात्रि में घर के सभी कोने में भी दीए जलाएं।
- धनतेरस की शाम को 13 दीपक जलाएं और साथ में 13 कौड़ियां को लेकर आधी रात के समय घर के प्रत्येक कोने में रख दें। इस दिन यम के निमित्त दीपदान अवश्य करें। धनतेरस पर कुबेर यंत्र की स्थापना करना चाहिए। इसकी स्थापना से सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है। घर की उत्तर दिशा में कछुए का चित्र या पीतल की प्रतिमा रखने से आर्थिक हानि से बचा जा सकता है।
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