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Diwali 2024 Me Kab Hai :दिवाली 2024 में कब है? जानिए शुभ मुहूर्त और इस बार क्या दो दिन मनाई जाएगी दिवाली?

Diwali 2024 Me Kab Hai: हर साल कार्तिक मास की अमावस्या के दिन दिवाली मनाई जाती है। जानते 2024 में कब है दिवाली का पर्व

Suman  Mishra | Astrologer
Published on: 21 Dec 2023 4:45 AM GMT (Updated on: 21 Dec 2023 4:45 AM GMT)
Diwali 2024 Me Kab Hai :दिवाली  2024 में कब है?  जानिए शुभ मुहूर्त और इस बार क्या दो दिन मनाई जाएगी दिवाली?
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Diwali 2024: हर साल कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष कीअमावस्‍या को दिवाली मनाया जाता है। जिसकी शुरुआत धनतेरस के त्योहार से होती है इसके बाद छोटी दिवाली, दिवाली, गोवर्धन और भाई दूज का त्योहार होता है। 2024 में दिवाली के त्योहार को लेकर असमंजस है क्योंकि साल 2024 में दिवाली के त्योहार की दो तिथि है। जानते है साल 2024 में दिवाली का त्योहार कब मनाया जाएगा।

दिवाली की तिथि

2024 में दिवाली के त्योहार 31 अक्टूबर और 1 नवंबर है, जिसमें दिवाली का त्योहार ज्यादातर जगहों पर 1 नवंबर दिन शुक्रवार को मनाया जाएगा। जबकि दक्षिण भारत के अधिकांश राज्यों में दिवाली 31 अक्टूबर 2024 दिन गुरुवार को मनाई जाएगी।

दिवाली पर लक्ष्मी पूजा का शुभ-मुहूर्त

दिवाली पूजा शुभ-मुहूर्त : 1 नवंबर 2024 सायं 05:35 से सायं 06:18 तक

दिवाली पूजा शुभ-मुहूर्त (प्रदोष काल): 1 नवंबर 2024 सायं 05:35 से रात्रि 08: 11 तक

दिवाली पूजा शुभ-मुहूर्त (वृषभ काल) : 1 नवंबर 2024 सायं 06: 21 से रात्रि 08: 17 तक


दिवाली पूजा विधि

दिवाली के दिन लक्ष्मी पूजा का विशेष महत्व होता है। धार्मिक मान्यता है कि इन दिन धन की देवी लक्ष्मी खुद घर में पधारती है। ऐसे में विधि-विधान से माता लक्ष्मी पूजा की पूजा करना अनिवार्य होता है।

दिवाली की पूजा हमेशा स्थिर लग्न में करनी चाहिए। इससे लक्ष्मी स्थायी रुप से रहती है। समृद्धि हमेशा बनी रहती है। इसके लिए इस दिन लक्ष्मी पूजन के लिए चौकी लें, उस पर लाल कपड़ा बिछाकर उस पर लक्ष्मी जी और गणेश जी की मूर्ति रखें और जल से भरा एक कलश रखें। जल, मौली, चावल, फल, गुड़, अर्पित करें और माता महालक्ष्मी की स्तुति करें। इसके साथ देवी सरस्वती, मां काली, भगवान विष्णु और कुबेर देव की भी विधि विधान से पूजा करें। महालक्ष्मी पूजन पूरे परिवार को एक साथ करना चाहिए।

इस दिन संध्या और रात्रि के समय शुभ मुहूर्त में मां लक्ष्मी, विघ्नहर्ता भगवान गणेश और माता सरस्वती की पूजा और आराधना की जाती है। पुराणों के अनुसार कार्तिक अमावस्या की अंधेरी रात में महालक्ष्मी स्वर्ग से धरती पर आती हैं और हर घर में विचरण करती हैं। इस दौरान जो घर हर प्रकार से स्वच्छ और प्रकाशमान होता है वहां मां लक्ष्मी ठहर जाती है। मां लक्ष्मी के साथ कुबेर पूजा भी की जाती है। पूजन के दौरान पहले घर की साफ-सफाई करें और पूरे घर में वातावरण की शुद्धि और पवित्रता पर ध्यान दिया जाता है। पूरे घर में इसके लिए गंगाजल का छिड़काव करना चाहिए। रंगोली और दीपों से घर को सजाना चाहिए।

Suman  Mishra | Astrologer

Suman Mishra | Astrologer

एस्ट्रोलॉजी एडिटर

मैं वर्तमान में न्यूजट्रैक और अपना भारत के लिए कंटेट राइटिंग कर रही हूं। इससे पहले मैने रांची, झारखंड में प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया में रिपोर्टिंग और फीचर राइटिंग किया है और ईटीवी में 5 वर्षों का डेस्क पर काम करने का अनुभव है। मैं पत्रकारिता और ज्योतिष विज्ञान में खास रुचि रखती हूं। मेरे नाना जी पंडित ललन त्रिपाठी एक प्रकांड विद्वान थे उनके सानिध्य में मुझे कर्मकांड और ज्योतिष हस्त रेखा का ज्ञान मिला और मैने इस क्षेत्र में विशेषज्ञता के लिए पढाई कर डिग्री भी ली है Author Experience- 2007 से अब तक( 17 साल) Author Education – 1. बनस्थली विद्यापीठ और विद्यापीठ से संस्कृत ज्योतिष विज्ञान में डिग्री 2. रांची विश्वविद्यालय से पत्राकरिता में जर्नलिज्म एंड मास कक्मयूनिकेश 3. विनोबा भावे विश्व विदयालय से राजनीतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री

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