×

TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

Diwali-Dhanteras Kab Hai: कब और किस मुहूर्त में होगी दिवाली-धनतेरस की पूजा, जानिए कब है नरक चतुर्दशी, गोवर्धन पूजा, भाई दूज

Diwali-Dhanteras 2023 Kab Hai: दिवाली का शुभ मुहूर्त कब है, दिवाली के दिन शाम के बाद शुभ मुहूर्त में मां लक्ष्मी का पूजन करते हैं। जानते हैं दिवाली -धनतेरस के बारे में ...

Suman  Mishra | Astrologer
Published on: 26 Sept 2023 8:30 AM IST (Updated on: 26 Sept 2023 8:30 AM IST)
Diwali-Dhanteras 2023 Kab Hai
X

Diwali-Dhanteras 2023 Kab Hai (Photo - Social Media)

Diwali-Dhanteras 2023 Kab Hai: इस साल मलमास की वजह से त्योहारों का सीजन अब शुरू हुआ है।अभी 29 सितंबर से श्राद्धपक्ष शुरु हो रहा है। फिर 15 अक्टूबर से नवरात्रि और उसके बाद आएगी दिवाली। दीपावली से कुछ दिन पहले से घर की साफ-सफाई कर मां लक्ष्मी के आगमन की तैयारी की जाती है। अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने वाला दीपों का उत्सव दीपावली हर धर्म हिंदू, सिक्ख, बौध व जैन धर्म में मनाया जाता है। सनातन धर्म में इस दिन लक्ष्मी और गणेश जी का पूजन किया जाता है।

हर साल कार्तिक मास की अमावस्या के दिन दीपावली का उत्सव होता है। अमावस्या तिथि पर प्रदोष काल में दिवाली पर लक्ष्मी पूजन करने का विधान है। कहते हैं लंका पर विजय पाकर रावण के बाद 14 वर्ष का वनवास पूरा करके श्रीरामजी दिवाली के दिन ही अयोध्या आएं थे। तो पूरी नगरी को रौशन किया गया था। यह त्योहार देश के हर कोने में धूमधाम से मनाया जाता है। खासकर राजस्थान, बिहार , उत्तर प्रदेश में दीपावाली की रौनक देखते ही बनती है।

दीपावली की पूजा सामग्री

दिवाली के दिन लक्ष्मी पूजन किया जाता है। इस दिन मां लक्ष्मी व गणेश जी की मूर्तियां (बैठी हुई मुद्रा में), केशर, रोली, चावल, पान, सुपारी, फल, फूल, दूध, खील, बताशे, सिंदूर, शहद, सिक्के, लौंग। सूखे, मेवे, मिठाई, दही, गंगाजल, धूप, अगरबत्ती, 11 दीपक रुई तथा कलावा नारियल और तांबे का कलश लेना चाहिए।

दीपावली पर कैसे करें लक्ष्मी पूजन की तैयारी

दीपावली के दिन एक थाल में या भूमि को साफ करके उसे गंगाजल से शुद्ध करें, नवग्रह बनायें या नवग्रह यंत्र की स्थापना करें। इसके बाद एक तांबे का कलश लें, जिसमें गंगाजल, दूध, दही, शहद, सुपारी, सिक्के और लौंग आदि डालकर उसे लाल कपडे से ढंक कर एक कच्चा नारियल कलावे से बांध कर रख दें। नवग्रह यंत्र बनाया गया है, वहां रुपया, सोना या चांदी का सिक्का, लक्ष्मी जी की मूर्ति या मिट्टी के बने हुए लक्ष्मी-गणेश सरस्वती जी या अन्य देवी देवताओं की मूर्तियां या चित्र सजायें। अगर धातु की मूर्ति हो तो उसे साक्षात रूप मानकर दूध, दही ओर गंगाजल से स्नान कराकर अक्षत, चंदन का श्रृंगार करके फूल आदि से सजाएं। मूर्ति के दाहिने ओर एक पंचमुखी दीपक अवश्य जलायें, जिसमें घी या तिल का तेल प्रयोग किया जाना चाहिए।

दिवाली लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त कितने बजे है

दिवाली का शुभ मुहूर्त पूरे दिन होता है। इस दिन से पहले घर के हर कोने को अच्छे से साफ कर लिया जाता है। फिर दिवाली के दिन शाम के बाद शुभ मुहूर्त में मां लक्ष्मी का पूजन करते हैं। जानते हैं...

12 नवंबर की शाम 5 बजकर 40 मिनट से लेकर 7 बजकर 36 मिनट तक है।

लक्ष्मी पूजा के लिए शाम 05.39 - रात 07.35 (12 नवंबर 2023), अवधि - 01 घंटा 56 मिनट

इस मुहूर्त में लक्ष्मी पूजा करने से जीवन में अपार सुख-समृद्धि की प्राप्ति होगी। 13 नवंबर 2023, सोमवार की दोपहर 2 बजकर 56 मिनट पर होगा

पूजा की अवधि- 01 घंटा 54 मिनट

प्रदोष काल मुहूर्त -शाम 05:29 - रात 08:08

वृषभ लग्न- शाम 05:39 - रात 07:35

महानिशीथ काल-23.38 से 24.30 तक

विशेष सिंह लग्न - प्रात: 12:10 - प्रात: 02:27 (13 नवंबर 2023)

दिवाली का पंच दिवसीय पर्व

दिवाली संस्कृत शब्द दीपावली से बना है जिसका अर्थ होता है प्रकाशोत्सव। आपको बता दें कि दिवाली एक दिन का नहीं 5 दिवसीय त्योहार है जो धनतेरस से शुरू होता है और भाईदूज को खत्म होता है। इस बार –

10 नवंबर को धनतेरस

12 नवंबर को नरक चतुर्दशी

12 नवंबर को दिवाली

14 नवंबर को गोवर्धन पूजा

14 नवंबर को भाई दूज है।

लक्ष्मी पूजा के लिये शुभ चौघड़िया मुहूर्त

अपराह्न मुहूर्त (शुभ) - दोपहर 02:44 - दोपह 02:47 पी एम (12 नवंबर 2023)

सायाह्न मुहूर्त (शुभ, अमृत, चर) - शाम 05:29 - रात 10:26 पी एम (12 नवंबर 2023)

रात्रि मुहूर्त (लाभ) - प्रात: 01:44 - प्रात: 03:24 (13 नवंबर 2023)

उषाकाल मुहूर्त (शुभ) - प्रात: 05:06 - 06:45 (13 नवंबर 2023)

Dhanteras Kab Hai धनतेरस कब है?

धनतेरस हर साल कार्तिक के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को मनाया जाता है। इस साल 10 नंवबर को धनतेरस है। इस दिन भगवान धनवंतरि और कुबेर के साथ मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। इस बार धनतेरस पर त्रिपुष्कर योग बन रहा है। जो धन प्राप्ति का मार्ग बनाएगा।साथ ही तिगुना फल देगा। इस साल धनतेरस के दिन प्रदोष और धन त्रयोदशी का महायोग है। इस महायोग में शुभ खरीदारी फलदायी है। धनतेरस पर बर्तन, झाड़ू, खड़ा धनिया, सोना और चांदी खरीदने के साथ ही धन्वंतरि देव की पूजा का विधान है। धनतेरस पर भगवान धनवंतरी के पूजन से आयु और स्वास्थ्य की कामना फलीभूत होती है। कहते हैं धनवंतरि हाथों में अमृत से भरा हुआ कलश लेकर प्रकट हुए थे। यही वजह है कि इस दिन बर्तन खरीदने की परंपरा आज तक चल रही है। धनतेरस के दिन धन के देवता कुबेर और मृत्युदेव यमराज की पूजा की जाती है।

पंचांग के अनुसार धनतेरस त्रयोदशी तिथि को 10 नवंबर 2023 को है। दो दिन बाद 12 नवंबर को दिवाली है।

धनतेरस पूजा का शुभ मुहूर्त

धनतेरस मुहूर्त शाम 06 . 18 से 08 .11 बजे तक का मुहूर्त है। इस दिन चंद्रमा कन्या राशि में और सूर्य तुला राशि में रहेंगे।

प्रदोष काल : 5 .35 से 08. 11 मिनट तक रहेगा। सूर्यास्त के बाद के तीन मुहूर्त को प्रदोष काल कहा जाता है जिसमें यमराज को दीपदान किया जाता है।

दिवाली-धनतेरस पूजा की विधि

  • धनतेरस से दिवाली के दिन तक मां लक्ष्मी को लौंग का एक जोड़ा जरूर अर्पित करें। धनतेरस के दिन नई झाडू एवं सूप अवश्य खरीदें और इसका पूजन करना चाहिए। इस दिन घर को स्वच्छ रखें। धनतेरस पर उत्तर दिशा में हरे रंग का प्रयोग अधिक से अधिक करें। इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
  • इस दिन सबसे पहले सुबह पूजा की तैयारी करें। घर के ईशान कोण में ही पूजा करें। पूजा के समय हमारा मुंह ईशान, पूर्व या उत्तर में होना चाहिए। पूजा में पंचदेव की स्थापना जरूर करें। सूर्यदेव, श्रीगणेश, दुर्गा, शिव और विष्णु को पंचदेव कहा गया है।
  • इस दिन धन्वंतरि देव की षोडशोपचार पूजा करना चाहिए। अर्थात 16 क्रियाओं से पूजा करें। पाद्य, अर्घ्य, आचमन, स्नान, वस्त्र, आभूषण, गंध, पुष्प, धूप, दीप, नेवैद्य, आचमन, ताम्बुल, स्तवपाठ, तर्पण और नमस्कार।
  • पूजा करने के बाद प्रसाद या नैवेद्य (भोग) चढ़ाएं। ध्यान रखें कि नमक, मिर्च और तेल का प्रयोग नैवेद्य में नहीं किया जाता है। प्रत्येक पकवान पर तुलसी का एक पत्ता रखा जाता है। अंत में उनकी आरती करके नैवेद्य चढ़ाकर पूजा का समापन किया जाता है।
  • इस त्योहार पर घर या प्रतिष्ठान में उत्तर दिशा में तीन सिक्के लाल रंग के कपड़े में बांधकर छुपाकर रख दें। इससे धन आगमन के साधन विकसित होते हैं।
  • शाम के समय घर या प्रतिष्ठान में दीपक प्रज्वलित करें। मंदिर, गोशाला, कुआं या तालाब पर भी दीपक प्रज्जवलित करें। मुख्‍य पूजा के बाद अब मुख्य द्वार या आंगन में प्रदोष काल में दीये जलाएं। एक दीया यम के नाम का भी जलाएं। रात्रि में घर के सभी कोने में भी दीए जलाएं।
  • धनतेरस की शाम को 13 दीपक जलाएं और साथ में 13 कौड़ियां को लेकर आधी रात के समय घर के प्रत्येक कोने में रख दें। इस दिन यम के निमित्त दीपदान अवश्य करें। धनतेरस पर कुबेर यंत्र की स्थापना करना चाहिए। इसकी स्थापना से सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है। घर की उत्तर दिशा में कछुए का चित्र या पीतल की प्रतिमा रखने से आर्थिक हानि से बचा जा सकता है।


\
Suman  Mishra | Astrologer

Suman Mishra | Astrologer

एस्ट्रोलॉजी एडिटर

मैं वर्तमान में न्यूजट्रैक और अपना भारत के लिए कंटेट राइटिंग कर रही हूं। इससे पहले मैने रांची, झारखंड में प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया में रिपोर्टिंग और फीचर राइटिंग किया है और ईटीवी में 5 वर्षों का डेस्क पर काम करने का अनुभव है। मैं पत्रकारिता और ज्योतिष विज्ञान में खास रुचि रखती हूं। मेरे नाना जी पंडित ललन त्रिपाठी एक प्रकांड विद्वान थे उनके सानिध्य में मुझे कर्मकांड और ज्योतिष हस्त रेखा का ज्ञान मिला और मैने इस क्षेत्र में विशेषज्ञता के लिए पढाई कर डिग्री भी ली है Author Experience- 2007 से अब तक( 17 साल) Author Education – 1. बनस्थली विद्यापीठ और विद्यापीठ से संस्कृत ज्योतिष विज्ञान में डिग्री 2. रांची विश्वविद्यालय से पत्राकरिता में जर्नलिज्म एंड मास कक्मयूनिकेश 3. विनोबा भावे विश्व विदयालय से राजनीतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री

Next Story